वास्तु दोष : कारण और निवारण वर्तमान भौतिकवादी युग में सभी लोगों की आकांक्षा अधिक से अधिक सुख साधन प्राप्त करने की होती हैं। इसमें कुछ तो सफल हो पाते है किन्तु बहुसंख्यक लोगों की यह चाह सपना बनकर ही रह जाती हैं। ... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 6286
शंख साधना करें, घर कों वास्तु दोष से मुक्त रखें शंख कों धन-सम्पति का प्रदाता माना जाता है. यह एक धार्मिक मंगल चिन्ह के रूप में मंदिरों व घरों के पूजा स्थल में रखा जाता है. ऐसी मान्यता है की शंख की स्थापना से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. और सकारात्मक उर्जा की उत्पति होती है. ... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 10000
वास्तु शास्त्र व फेंगशुई समानताएं एवं अंतर वास्तु एवं फेंगशुई के सिद्धांतों में काफी अंतर हैं। किन्तु दोनों ही काफी प्रभावशाली हैं। फंगशुई में पाँचों तत्वों के संतुलन की बात की जाती हैं। तथा संतुलन के लिए अनेक सांकेतिक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता हैं।... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 5653
कैसे मनाएं कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास कि अष्टमी, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृषराशि के चंद्रमा में हुआ था। अत: इस दिन जन्माष्टमी व्रत रखने का विधान है। इस व्रत को बाल, युवा, वृद्ध सभी कर सकते है। यह व्रत भारत वर्ष के कुछ प्रांतों में सू... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 10930
श्री बुद्ध जयंती एवं व्रत महाराज शुद्धोद्न के यशस्वी पुत्र गौतम बुद्ध के रूप में श्री भगवान अवतरित हुए थे. ऐसी प्रसिद्धि विश्रुत है. परन्तु पुराणवर्णित भगवान बुद्ध देव का प्राकट्य गया के समीप कोकट देश में हुआ था. उनके पुण्यात्मा पिता का नाम ‘अजन” बताया गया... और पढ़ेंदिसम्बर 2009व्यूस: 7670
यंत्र राज श्री यंत्र श्री यंत्र को धनदाता और सर्वसिद्धिदाता कहा गया है। श्री यंत्र की रचना तांबे, चांदी या सोने के पत्र पर स्फटिक पर की जा सकती है। शास्त्रों के अनुसार स्फटिक या स्वर्णपत्र पर शुभ मुहूर्त में अंकित श्री यंत्र सर्वोत्कृष्ट होता है। ... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 11016
शनि पीड़ा निवारक उपाय शनि को वृद्धावस्था का स्वामी ग्रह माना जाता है। घर में वृद्ध माता-पिटा शनि के रूप होते है। जिस घर में वृद्ध माता-पिता को प्रसन्न रखा जाता है। उस पर शनि की कृपा दृष्टि रहती है। जहां वृद्ध माता-पिता को सताया जाता है। वहाँ शनि का प्र... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 18156
प्रश्न शास्त्र विवाह में गोधूली मुहुर्त का अपना महत्व है. धार्मिक मान्यताओं ने यह पूजनीय है. ज्योतिष् के अनुसार इसे शुक्र ग्रह का प्रतीक माना गया है. जो दाम्पत्य सुख का कारक ग्रह है. संध्यासमय चारा चरकर लौटती गायों के खुरों से उड़ती धूल प्रदूषित ... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 8775
जमीन जायदाद व मकान का योग प्रश्न: जमीन जायदाद व मकान प्राप्त करने के कौन से योग होते हैं? कुंडली से कैसे जानें कि जातक को पैतृक संपत्ति मिलेगी या स्वअर्जित? भू संपत्ति अर्जन में शनि की भूमिका स्पष्ट करें।... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 33272
कैसे लें हस्ताक्षर द्वारा स्वास्थ्य व धन लाभ भारत के महान विद्वान महर्षि पराशर ने अक्षरों के स्वरुप के बारे में अपने एक लघु ग्रंथ ‘‘धीप्र’’ में अक्षरों की भाषा का उल्लेख किया है। पाश्चात्य देश फ्रांस के विद्वान मिंको ने भी हस्ताक्षर यानि सिग्नेचर विषय पर काफी काम किया है और ... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 8507
हस्ताक्षर के प्रकार एवं विशेषतायें हस्ताक्षर किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक आइना/दर्पण है जो उसको उसकी परछाईं दिखाता है। इससे किसी भी व्यक्ति के स्तर, चरित्र, योग्यता का आकलन किया जा सकता है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि हस्ताक्षर मात्र से ही जातक के कुल गोत्र का ... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 11523
लिखावट द्वारा रोगों की पहचान व उपचार जब व्यक्ति के शरीर के सभी विभाग ठीक प्रकार से कार्य करते हों, भूख खुलकर लगती हो, भोजन भली-भांति पचता हो, शौच साफ होता हो, काम-धन्धे के लिए, उत्साह हो, बदन में आलस्य ना हो और ना ही जड़ता हो, मन में दमखम और उत्साह हो तो उत्तम स्वास्थ... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 7497