खोज के परिणाम : tara dubna 2017


सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ लग्न में विवाह करना जरुरी है.

मुहूर्त के आठ अंग कहे गए है, ये आठ अंग तिथि, नक्षत्र, वार, करण, योग, तारा, चंद्र और लग्न है. इन सभी अंगों में लग्न मुहूर्त को सबसे अधिक महत्व दिया गया है. विवाह मुहूर्त में लग्न शुद्धि करना वैवाहिक जीवन को सुखमय, स्नेहयुक्त और दीर... और पढ़ें

अप्रैल 2009

व्यूस: 9638

हस्त रेखा अध्ययन के सामान्य सिद्धांत

रेखाओं पर तारा कार्य में शीघ्र सफलता का सूचक होता है। रेखाओं पर तिरछी रेखाएं हानिकारक होती है। पतली रेखाएं श्रेष्ठ फल देने में सक्षम होती है। वहीँ मोटी रेखाएं व्यक्ति की दुर्बलता का संकेत देती है। । ... और पढ़ें

जनवरी 2008

व्यूस: 11421

ब्रह्मांड : कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

हमारे इस ब्रह्मांड में लगभग चार हजार करोड तारे है और इस प्रकार के ब्रह्मांड एक हजार करोड से अधिक हमारा यह ब्रह्मांड ही इतना विशाल है की यदि सूर्य को एक सूई की नोक के बराबर मान लिया जाए तो नजदीकी तारा लगभग।... और पढ़ें

ज्योतिष

मार्च 2008

व्यूस: 14578

सूर्य की कक्षा का दूसरा ग्रह शुक्र

शुक्र जिसे भोर या शाम का तारा भी कहते है। का स्थान, बुध के बाद दूसरा है। सूर्य की परिक्रमा करने वाले ग्रहों की कक्षाओं में शुक्र की कक्षा दूसरी है। इसकी कक्षा, क्रांतिवृत के दोनों और अधिकतम ३ अंश २४ मिनट का कोण बनाते हुए झुकी है। ... और पढ़ें

मई 2008

व्यूस: 12971

पीतांबरा शक्तिपीठ दतिया

दस महा विद्याओं में मां काली तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला आती हैं। इन सभी की साधना तांत्रिक विधि से करने का विधान है। मां बगलामुखी को पीताम्बरा नाम से भी जाना जाता है। मां की उपासना... और पढ़ें

देवी और देव

अकतूबर 2006

व्यूस: 8149

वास्तु के अनुसार औद्धोगिक परिसर

पश्चिम के तरफ की चारदीवारी ९०० के कंक्रीट एवं पत्थर के बने होने चाहिए. उअत एवं पूर्व के और की चारदीवारी कंटीले तारा से भी बनाई जा सकती हैं. इसका मुख्य कारण उतर एवं पूर्व क्षेत्र को हल्का एवं खुला हुआ रखना हैं. क्योंकि ईशान क्षेत्र... और पढ़ें

सितम्बर 2012

व्यूस: 6740

परम पूज्य श्री सांई बाबा

परम पूज्य श्री सांई बाबा के जीवन के बारे में बहुत से पक्ष अज्ञात रहे हैं। आइए, उनकी कुंडली और जीवन के अज्ञात पक्षों के बारे में दी गयी खोजपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।... और पढ़ें

ज्योतिषदेवी और देवदशाभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

फ़रवरी 2011

व्यूस: 11146

हस्त – रेखाकृतियों के फल

एक शंख वाला व्यक्ति अध्ययनशील, दो शंखों वाला दरिद्र, तीन शंखों वाला पत्नी पीड़ित, चार शंखों वाला राजा तुल्य वैभव संपन्न पांच शंखों वाला विदेश से धनार्जन करने वाला, छह शंखों वाला होशियार, सात शंखों वाला निर्धन, आठ शंखों वाला सुखी, न... और पढ़ें

जनवरी 2008

व्यूस: 11119

मस्तिष्क रेखा एवं आपका व्यक्तित्व

जीवन रेखा से थोड़ी दूर स्थित तीसरी प्रकार की मस्तिष्क रेखा वाले आत्मविश्वासी दृढनिश्चयी होते है। उन्हें ईश्वर अंतर्ज्ञान का वरदान मिला होता है। यदि मस्तिष्क व् भाग्य रेखाओं के बीच का स्थान संकीर्ण हो तो व्यक्ति का आत्मविश्वास और नि... और पढ़ें

जनवरी 2008

व्यूस: 40133

दश महाविद्या : शाश्वत सृष्टि क्रम गाथा

हिन्दू काल गणना के अनुसार एक हजार चतुर्युगी बितने पर ब्रह्मा का एक दिन और उतनी ही लम्बी ब्रह्मा की एक रात्रि होती हैं। ब्रह्मा का एक दिन बीत जाने पर प्रलय रुपी रात्रि और ब्रह्मा की पूर्णायु १०० वर्ष बीत जाने पर महा प्रलय होती हैं।... और पढ़ें

अकतूबर 2012

व्यूस: 12631

सर्वश्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर हनुमान चक्र

हनुमान जी ज्योतिषी के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। प्रश्नकर्ता आंखंे मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखे। अगर उंगली लाइन पर रखी गई हो, तो दोबारा रखे और नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल समझे। रामा... और पढ़ें

आगस्त 2013

व्यूस: 20476

तृतीयस्थ या तृतीयेश ग्रह की दशा -कभी खुशी कभी गम

भारतीय ज्योतिष में तृतीय भाव को पराक्रम का भाव कहा गया है. यह भाव अष्टम से अष्टम है जिस कारण इसे शुभ भाव नहीं माना जाता है। तृतीयेश की दशा अष्टमेश की दशा तुल्य कही जाती है... और पढ़ें

ज्योतिषदशाघरभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2014

व्यूस: 9756

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Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

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