अंक ज्योतिष में वर्ग पद्धति

अंक ज्योतिष में वर्ग पद्धति  

अशोक भाटिया
व्यूस : 14715 | जुलाई 2010

अंक ज्योतिष में वर्ग पद्धति अंक गुरु अशोक भाटिया वर्तमान के अंक ज्योतिष में जिस विवेचन, या विधा को देख रहे हैं, वह मूलतः संखया के गणित का ही विशेष प्रकार का फलित है। किंतु संखया शब्द ज्योतिष के परिप्रेक्ष्य को प्रकट नहीं कर पाता।

इसलिए इसे संखया ज्योतिष के स्थान पर अंक ज्योतिष, या अंक विद्या के नाम से जानते हैं। अंक विद्या के प्रचलित मत : अंक ज्योतिष में मुखयतः चार मत प्रचलित हैं- प्रथम कीरो, द्वितीय सेफेरियल, तृतीय मत पाइथागोरस एवं चौथा मत आधुनिक है, जिनके आधार पर विश्व के अनेक देशों में इसकी गणना एवं फलादेश किये जाते हैं। इन मतों में सर्वाधिक महत्व कीरो पद्धति को दिया जाता है। कीरो, सेफेरियल, पाइथागोरस व आधुनिक पद्धति में प्रत्येक अक्षर को एक निश्चित संखया प्रदान की है।

Buy Detail Numerology Report

यह पद्धतियां विश्व में सर्वाधिक प्रचलित हैं तथा इसकी विशिष्टता को नकारा नहीं जा सकता, न ही इसे संदेहपूर्ण कहा जा सकता है। इस पद्धति में जातक के नाम को सर्वप्रथम अंग्रेजी अक्षरों में परिवर्तित कर के उसका अंकमान निकाला जाता है। इसे नामांक माना गया है। जन्म तिथि के योग को मूलांक माना जाता है तथा जन्म तिथि, मास, ईस्वी सन् (शताब्दी सहित) के योग को भाग्यांक माना जाता है।

आज के संदर्भ में हम भारतीय पद्धति व अक्षरों को भूलकर पाद्गचात्य पद्धति से गणना कर रहे हैं। वैदिक अंक विद्या में तिथि गणना की विभिन्न पद्धतियों पर कार्य किया गया है। अंक ज्योतिष में गणना का आधार जन्म तिथि व नाम है। जन्मतिथि आधार

1. इकाई पद्धति इकाई पद्धति में मूलांक-दिनांक पर आधारित होता है और भाग्यांक सम्पूर्ण जन्म तिथि पर आधारित होता है। और इन सब का एक अंक बनाया जाता है जिसको हम इकाई अंक कहते हैं। संक्षेप में इन अंको के प्रभाव को निम्नानुसार याद कर सकते हैं।

अंक-1 : यह अंक स्वतंत्र व्यक्तित्व का धनी है। इससे संभावित अंह का बोध, आत्म निर्भरता, प्रतिज्ञा, दृढ़ इच्छा शक्ति एवं विशिष्ट व्यक्तित्व दृष्टि गोचर होता है। इसका प्रतिनिधि सूर्य ग्रह है।

अंक-2 : अंक दो का संबंध मन से है। यह मानसिक आकर्षण, हृदय की भावना, सहानुभूति, संदेह, घृणा एवं दुविधा दर्शाता है। इसका प्रतिनिधित्व चन्द्र को मिला है।

अंक-3 : तीन का अंक विस्तार वादी है। इससे बढ़ोत्तरी, बुद्धि विकास क्षमता, धन वृद्धि एवं सफलता मिलती है। इस अंक का स्वामित्व बृहस्पति या गुरू ग्रह को मिला है।

अंक-4 : इस अंक से मनुष्य की हैसियत, भौतिक सुख संपदा, सम्पत्ति, कब्जा, उपलब्धि एवं श्रेय प्राप्त होता है। इसका प्रतिनिधि हर्षल या राहु ग्रह है।


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


अंक-5 : इस अंक द्वारा वाणिज्य, व्यवसाय, रोजगार, फसल, खाद्यान्न, तर्कशक्ति, वाकपटुता, कारण और निवारण, नैतिक स्थिति तथा यात्रा का बोध होता है। बुध ग्रह इसका प्रतिनिधत्व करता है।

अंक-6 : छह का अंक वैवाहिक जीवन, प्रेम एवं प्रेम-विवाह, आपसी संबंध, सहयोग, सहानुभूति, संगीत, कला, अभिनय एवं नृत्य का परिचायक है। इसका प्रतिनिधित्व शुक्र को मिला है।

अंक -7 : सात का अंक आपसी ताल मेल, साझेदारी, समझौता, अनुबंध, शान्ति, आपसी सामंजस्य एवं कटुता को जन्म देता है। इस अंक का प्रतिनिधित्व नेपच्यून या केतु ग्रह को मिला है।

अंक-8 : शनि का अंक होने से इस अंक से क्षीणता, शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक कमजोरी, क्षति, हानि, पूर्ननिर्माण, मृत्यु, दुःख, लुप्त हो जाना या बहिर्गमन हो जाता है। इसका स्वामित्व शनि का है जो यम का रूप है।

अंक-9 : यह अन्तिम ईकाई अंक होने से संघर्ष, युद्ध, क्रोध, ऊर्जा, साहस एवं तीव्रता देता है। इससे विभक्ति, रोष एवं उत्सुकता प्रकट होती है। इसका प्रतिनिधि मंगल ग्रह है जो युद्ध का देवता है। कुछ अंक शास्त्री इसमें विश्वास नहीं करते तिथि को मूलांक में न लाकर 1 से 31 तक अलग-अलग व्याखया करते हैं। उनका मानना है कि मूलांक बनाने पर तिथि का स्वरूप बिगड़ जाता है। मान लो किसी का दिनांक 13 है तो इसमें 1 अंक सूर्य का है और 3 अंक गुरु का है। दोनों को जोड़ दें (1+3 = 4) तो यह 4 अंक राहु का हो जाता है। इसी कड़ी में कुछ अंकशास्त्री मास्टर नंबर की भी बात करते हैं।

उनका मानना है कि 11 और 22 दिनांक मास्टर नंबर है। इससे आगे कुछ अंक शास्त्री कर्म अंकों की भी बात करते हैं। उनका मानना है कि किसी भी माह की 11, 13, 14, 16, 19 एवं 22 दिनांक पिछले कर्मों का फल दर्शाती है। 2. वर्ग पद्धति अंक वर्ग पद्धति को मुखय रूप से चीन में लो शू चक्र के रूप में स्वीकार किया गया और पश्चिम में सेफरियल ने कोई नाम न देकर इस पर कार्य किया जिसका मुखय आधार भारत में प्रचलित नवग्रह थे। सेफरियल के आधार ग्रंथ उपलब्ध नहीं है।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


इसलिए हम इस कड़ी को भूल गये और यह पद्धति प्रसिद्ध नही हो पायी। अब हम आज के इस आधुनिक युग में सेफरियल पद्धति को भारतीय वैदिक ज्योतिष के आधर पर ''वैदिक अंक योग कुंडली'' या वैदिक ग्रह चक्र के रूप में समझ सकते हैं। वस्तुतः अंक कुंडली पर शोध चल रही है। समयानुसार उसे भी इस पद्धति के साथ जोड़ा जाएगा। सेफरियल ने अपनी पुस्तक ''कबाला ऑफ नंबर्स'' में हर अंक को ग्रह से जोड़कर उसका स्थान निश्चित किया। इस पद्धति में शताब्दि के अंक नहीं लिये जाते हैं।

उदाहरण के लिए महात्मा गांधी का जन्म दिन 2-10-1869 था। इसे वर्ग में इस प्रकार दिखाएंगे। सेफरियल के आधार पर महात्मा गांधी का अंक चक्र उपर्युक्त चक्र में 18वीं शताब्दि को नहीं दर्शाया गया। उदाहरण के तौर पर अमिताभ बच्चन का जन्म 11 -10-1942 को हुआ, उसके अनुसार वैदिक ग्रह अंक चक्र। उपर्युक्त चक्र में 19वीं शताब्दी को नहीं दर्शाया गया। अनुपस्थित अंक : वर्ग पद्धति में सभी नौ अंक किसी भी जातक को प्राप्त नहीं होंगे। लो शू ग्रिड में शताब्दि अंक लेने पर भी पूरे नौ अंक प्राप्त नहीं होते। वैदिक अंक चक्र में शताब्दि अंक नहीं लिये जाते हैं।

इसलिए और कम अंक प्राप्त होते हैं। किसी भी अंक का ना होना मिसिंग नंबर कहलाता है। अतः किसी भी अंक के न होने का प्रभाव निम्नलिखित हैं

अंक 1: यदि किसी के अंक चक्र में 1 का अंक नहीं है तो उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिये दूसरे व्यक्ति का परामर्श या सहारा चाहिए होता है।

अंक 2 : यदि किसी के अंक चक्र में 2 का अंक नहीं है तो वह अपनी बात आत्मविश्वास से नहीं कह पाएगा।

अंक 3 : यदि अंक चक्र में 3 अंक न हो तो गुरु जनों व ईश्वर की कृपा कम प्राप्त होती है। अधिक मेहनत करने के बाद उद्देश्य की प्राप्ति होती है।

अंक 4 : यदि अंक चक्र में 4 न हो तो व्यक्ति अपने विचारों में उलझा रहता है और वह व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है।

अंक 5 : अंक 5 न होने पर व्यक्ति वार्तालाप करने में असफल, पढ़ने में मन न लगना व पैसे का अभाव बना रहता है।

अंक 6 : अंक 6 न होने पर लौकिक सुख व भोग की कमी रहती है।

अंक 7 : अंक चक्र में यदि 7 अंक न हो तो व्यक्ति के कामों व पढ़ाई में रूकावट आयेगी। यह अंक मध्यम में होने के कारण सभी अंकों का आधार अंक है।

अंक 8 : यदि अंक चक्र में 8 अंक न हो तो व्यक्ति में निर्णय शक्ति की कमी व उसे भौतिक साधनों का अभाव रहता है।

अंक 9 : यदि अंक चक्र में 9 अंक न हो तो व्यक्ति को शौर्य की कमी रहती है। जीवन में संघर्ष अधिक करना पड़ता है व सुख साधन असानी से प्राप्त नहीं होते। जो अंक हमें प्राप्त नहीं होता उसे हम वर्तमान कर्मों से प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं। मिसिंग नंबर के अंक के यंत्र का लॉकेट धारण करें या उस यंत्र की पूजा करें।


Consult our astrologers for more details on compatibility marriage astrology




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.