धन, पद और प्रतिष्ठा की हानि : कब और क्यों ?

इस आलेख में लेखक ने अपनी प्रभावशाली कलम से उन योगों और दशाओं का विस्तृत वर्णन किया है जिनके कारण जातक के धन, पद व यश की हानि होती है।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायगोचरसंपत्ति

जनवरी 2010

व्यूस: 7794

बुधाष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

अष्टकवर्ग का नियम है कि कोई भी ग्रह स्वराद्गिा या उच्च का क्यों न हो, तभी अच्छा फल दे सकता है जब वह अपने अष्टकवर्ग में 5 या 5 इससे अधिक बिंदुओं के साथ हो क्योंकि तब वह ग्रह बली माना जाता है। अतः यदि बुध ग्रह बुधाष्टकवर्ग में 5 या ... और पढ़ें

ज्योतिषअष्टकवर्गकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2009

व्यूस: 9931

ग्रहों का बलवान एवं अच्छी स्थिति में होना सफलता की कुंजी क्यों है?

जन्म कुण्डली का सबसे महत्वपूर्ण भाव प्रथम भाव (लग्न) है क्योंकि जन्म के समय जो राशि पूर्वी क्षितिज पर उदित होती है वही राशि प्रथम भाव में स्थापित होती है और उसके पश्चात् अन्य राशियों एवं ग्रहों को उनकी स्थिति के अनुसार इस पर... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2015

व्यूस: 10836

कारको भाव नाशाय

कारको भाव नाशाय

सीताराम सिंह

जन्मकुंडली के बारह भाव मानव जीवन के विभिन्न अवयवों को दर्शाते हैं। किसी भाव के फल का विचार करते समय सर्वप्रथम उस भाव और भावेश के बल का आकलन किया जाता है। जिस भाव में उसके स्वामी या शुभ ग्रह की स्थिति हो, या उनकी दृष्टि पड़ती हो, तब... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2012

व्यूस: 16029

अंशों की महत्ता

अंशों की महत्ता

विक्रम मावी

लबे अर्से से क्षेत्र में शोध कार्य कुछेक श्रेष्ठों के कुंडली विश्लेषण पर विशेष ध्यान दिया गया, प्रायः देखा गया है कि कुछ ही क्षणों में श्रष्ठ कुंडली का विश्लेषण कर देते हैं, अंशों पर ध्यान नहीं दिया जाता विशेष स्थान पर सवाल कर दिय... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2009

व्यूस: 10574

शिक्षा व व्यवसाय निर्धारण में ज्योतिष का योगदान

सामान्यतया शिक्षा की आधारभूमि में ही व्यवसाय का चयन होता है। अतः आजीविका प्रदान करने वाले ग्रह के अनुरूप ही अध्ययन के क्षेत्र का चुनाव किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कुछ विशेष ग्रह योग व्यक्ति के कार्य क्षेत्र का निर्देश करते हैं। व... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

जुलाई 2013

व्यूस: 9664

सफल डॉक्टर के योग

सफल डॉक्टर के योग

बालकिशन भारद्वाज

एक सफल व प्रसिद्ध डाॅक्टर बनने के लिए आपकी कुंडली में कुछ ग्रहों का प्रभावी योगदान आवश्यक है। पर किसका और कितना? हमारे माननीय व आदरणीय विद्वानों ने समय-समय पर इसका विश्लेषण व वर्णन बड़ी सुगमता से किया है। प्रत्येक बार कुछ नया किया,... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

अकतूबर 2013

व्यूस: 16819

मंगल

मंगल

शिव प्रसाद गुप्ता

मंगल का अर्थ शुभता, मांगलिकता, मधुरता, अनुकूलता से है। यह पराक्रम शौर्य, बल व साहस का प्रतीक है। यदि मंगल बली एवं शुभ प्रभाव में हो तो यह शक्ति, सामर्थ्य, भूसंपत्ति एवं वैभव देता है और व्यक्ति को तेजस्वी, बलवान, निपुण, आत्मनिर्भर,... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2011

व्यूस: 10706

विदेश यात्रा

विदेश यात्रा

तिलक राज

विदेश यात्रा का आकर्षण प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। पहले विद्या प्राप्ति या धन प्राप्ति के लिए ही विदेश यात्रा की जाती थी। समय के साथ विदेश यात्रा का स्वरूप भी बदला है। अब व्यक्ति इलाज के लिए या सिर्फ भ्रमण के लिए भी विदेश जाते... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2008

व्यूस: 10741

कैरियर निर्माण की अनुभूत ज्योतिषीय प्रक्रिया

ज्योतिष ग्रंथों में कर्मक्षेत्र के चयन हेतु असंख्य सिद्धांत एवं नियम प्रतिपादित हैं। इन नियमों को किसी जातक की जन्मकुंडली में लागू कर उसके वास्तविक व्यवसाय का निर्धारण कर पाना अत्यंत कठिन एवं दुरूह है। सारे सिद्धांतों को लागू कर ल... और पढ़ें

ज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरकृष्णामूर्ति ज्योतिषनक्षत्रग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायसफलता

अकतूबर 2005

व्यूस: 11450

शुक्रअष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

अष्टकवर्ग विद्या में नियम है कि कोई भी ग्रह चाहे वह स्वराद्गिा या उच्च का ही क्यों न हो, तभी अच्छा फल दे सकता है जब वह अपने अष्टकवर्ग में 5 या अधिक बिंदुओं के साथ हो क्योंकि तब वह ग्रह बली माना जाता है। अतः यदि शुक्र ग्रह शुक्र अष... और पढ़ें

ज्योतिषअष्टकवर्गकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2010

व्यूस: 12458

ज्योतिष व आनुवंशिकता द्वारा संतान विचार

प्राचीन ऋषियों व ज्योतिष सिद्धांतानुसार संतान संबंधी विचार (संतान की संखया व लिंग) लग्न, लग्नेश, पंचम, पंचमेश, सप्तम, सप्तमेश व चंद्र कुंडली में स्थित शुभाशुभ योगों के द्वारा ज्ञात करते हैं। किसी भी क्षेत्र में आधुनिकता लाने के लि... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगबाल-बच्चेकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2010

व्यूस: 11504

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