लियो पाम में फलादेश

लियो पाम में फलादेश  

विनय गर्ग
व्यूस : 7921 | अकतूबर 2010

लियो पाम में फलादेश विनय गर्ग जन्मकुंडली निर्माण के लिए गणना की आवश्यकता होती है। परंतु कोई ज्योतिषी कितनी भी गूढ़ गणना करके कितनी भी विस्तृत कुंडली क्यों न बना ले, यदि उसका सही व सटीक फलादेश न हो पाये तो जातक के लिये तो ज्योतिष शास्त्र किसी काम का नहीं। अतः गणना के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में फलादेश का भी अपना पूरा महत्व है। फलादेश करने के लिये सभी पद्धितियों का ज्ञान होना आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र में हमारे ऋषि-मुनि और विद्वानों में मतांतर भी रहा है, जिसके कारण फलादेश करने में कभी-कभी संशय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। परंतु जो विद्वान और अनुभवी ज्योतिषी हैं वे लोग अपने अनुभव के आधार पर अपना निर्णय कर पाने में सक्षम होते हैं, जिसके आधार पर वे लोग अच्छी प्रकार से फलादेश कर पाते हैं। फलादेश करने के लिये हमें 12 राशियों, 9 ग्रहों, 27 नक्षत्रों, 12 भावों और प्रत्येक नक्षत्र के चार-चार चरणों के अतिरिक्त लग्न कुंडली, चलित कुंडली, ढेर सारी वर्गीय कुंडलियों एवं हजारों योगों के अतिरिक्त दस प्रकार की तथा प्रत्येक दशा के 6 स्तर अर्थात महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म दशा, प्राण दशा एवं स्वर दशा तक का ज्ञान एवं प्रयोग करना होता है।

इसके अतिरिक्त 9 ग्रहों का गोचर हमेशा याद रखना होता है। इतना ही नहीं ज्योतिष में कितनी ही प्रकार की फलादेश करने की विधियां प्रचलित हैं। जैसे पाराशर पद्धति, कृष्णमूर्ति पद्धति, जैमिनी पद्धति, वर्षफल पद्धति, प्रश्न शास्त्र पद्धति आदि। इन सभी पद्धतियों का सर्वप्रथम ज्ञान विस्तृत रूप से प्राप्त करके कुंडलियों में प्रयोग करके अपने अनुभव के आधार पर ज्योतिषीगण अपने सिद्धांत स्वयं बनाते हैं, उनके अनुसार वे लोग फलादेश करते हैं। लियो पाम में इस अत्यंत विशाल एवं गूढ़ विषय को प्रयोक्ता के लिये अत्यंत सरल एवं सुलभ बना दिया है। इसमें आपको 'फलादेश' को प्राप्त करने के लिये 'ज्योतिष' के अंदर स्क्रीन के निचले हिस्से में बीच में लिखे 'कुंडली' बटन को दबाना होगा। इसके बाद ऊपर एक मेन्यू प्रदर्शित होगा जिसमें फलित बटन को दबाना होगा। इसको दबाते ही 'नवमांश फल' की स्क्रीन प्रदर्शित होगी।

इस स्क्रीन पर आप दिये गये जन्म विवरण के आधार पर बनी नवमांश कुंडली के आधार पर फलादेश प्राप्त कर सकते हैं। इसको आप स्क्रीन के निचले हिस्से में बने बटन के द्वारा ऊपर या नीचे करके पढ़ सकते हैं। 'नवमांश फल पर दोबारा क्लिक करने पर एक मेन्यू प्रदर्शित होगा जिसमें निम्न आधार पर फलादेश करने का विकल्प होगा। भाव फल ग्रह फल दशा फल गोचर फल यदि आपने 'भाव फल' पर क्लिक किया तो उसी के नीचे 'प्रथम भाव लिखा हुआ दिखायी देगा तथा उसके नीचे कुंडली के प्रथम भाव का फल उस भाव में स्थित राशि एवं उसमें उपस्थित ग्रह के आधार पर जातक के व्यक्तित्व, शारीरिक रचना एवं स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। यदि आप अन्य भावों के बारे में फलादेश प्राप्त करना चाहते हैं तो 'प्रथम भाव' के बटन को क्लिक करने पर अगला मेन्यू खुल जाता है और इस मेन्यू में प्रथम से द्वादश भाव तक लिखा हुआ होगा। अब प्रयोक्ता को जिस भाव का फल ज्ञात करना हो उस भाव के बटन को क्लिक करके चुनाव करना होगा, जिस भाव का चुनाव प्रयोक्ता करेगा।

उसी स्क्रीन पर उस भाव का फल प्रदर्शित होगा। इस प्रकार आप जन्मकुंडली के 12 भावों का फल तथा उनमें स्थित ग्रहों का फल भी आप पढ़ सकेंगे। अब प्रयोक्ता यदि ग्रहों के भाव में स्थित ग्रहों का विस्तृत फल जानना चाहता है तो ऊपर के मेन्यू में जाकर 'ग्रह फल' को क्लिक करके चुनाव करना होगा। ग्रह फल को क्लिक करते ही उसी स्क्रीन पर सूर्यफल लिखा हुआ दिखायी देगा तथा सूर्य की जिस भाव में स्थित होगी उसके आधार पर फल दिखायी देगा। इतना ही नहीं सूर्य किस भाव में तथा साथ ही साथ किस राशि में है, उसके आधार पर भी फल प्रदर्शित होगा। इस प्रकार प्रयोक्ता यदि अन्य ग्रहों के भावों व राशियों में स्थिति के आधार पर फल देखना चाहते हैं तो पुनः 'सूर्यफल' को क्लिक करें तो प्रयोक्ता अपनी इच्छानुसार इच्छित ग्रह का फल उसकी भाव में स्थिति व राशि में स्थिति के आधार पर प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि कुंडली का फलादेश करने के लिये ग्रह, भाव, राशि के अतिरिक्त दशाओं का फल भी लागू करना होता है उसके लिये ऊपर के मेन्यू से 'दशाफल' को क्लिक करके दशाफल का चुनाव हो जायेगा।

इसको दबाते ही स्क्रीन पर 120 वर्ष की विंशोत्तरी महादशा प्रदर्शित हो जाती है। इसमें नौ ग्रहों की महादशा तथा उसकी समाप्ति अवधि प्रदर्शित होती है। अब प्रयोक्ता के पास दो विकल्प हैं- या तो वह ग्रह के आधार पर उस ग्रह को क्लिक करके उस ग्रह की महादशा का फल पढ़ सकता है। अन्यथा यदि प्रयोक्ता चाहे तो जिस अवधि का फलादेश पढ़ना चाहता है उसके आधार पर तिथि के ऊपर क्लिक करके चुनाव करके फल पढ़ सकता है। दशा का चुनाव करते ही अगली स्क्रीन पर प्रयोक्ता को दशा की अवधि दशास्वामी की राशियों से संबंधित भाव, कारक व स्थिति के आधार पर दशा का फलादेश प्राप्त होगा। इस फलादेश में स्वास्थ्य, आय, संपत्ति, व्यवसाय, पारिवारिक जीवन, शिक्षा/प्रशिक्षण आदि शीर्षकों के अंतर्गत उस दशा अवधि के दौरान का फलादेश प्राप्त होगा। यहां पर भी ऊपर और नीचे के तीर के निशानों की सहायता से फलादेश को ऊपर नीचे करके एक कागज पर लिखे फलादेश की तरह पढ़ा जा सकता है। कुंडली के ग्रह, भाव, दशा के पश्चात आप गोचर पर आधारित फल को भी आप बड़ी आसानी से स्पष्ट रूप से पढ़ सकते हैं।

इसके लिए ऊपर के मेन्यू में जाकर ''गोचर फल'' के बटन को क्लिक करके गोचर फल का चुनाव करना होगा। इसको क्लिक करते ही आपको एक नयी स्क्रीन दिखायी देगी। जिसमें 'गुरु-2010' लिखा हुआ दिखायी देगा। उसी स्क्रीन पर नीचे गुरु का 2010 में गोचर का फल आपकी कुंडली के आधार पर तथा चंद्र राशि के आधार पर दिखायी देगा। यदि आप गुरु का गोचर फल 2010 के अतिरिक्त आगे या पीछे के आने वाले वर्षों का पढ़ना या देखना चाहते हैं तो वह सुविधा भी इसमें उपलब्ध है। उसके लिये स्क्रीन के उपरी भाग पर दो तीर के निशान दिखायी देंगे जिनकी सहायता से आप आगे या पीछे के वर्षों के गुरु के गोचर का फल पढ़ सकते हैं तथा पेज को ऊपर नीचे सरकाने के लिये स्क्रीन के निचले भाग में अलग से दो तीर के निशान बने हुये हैं जिनसे आप स्क्रीन पर फलादेश को एक कागज पर लिखे फलादेश के समान गोचर फल पढ़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप अन्य ग्रहों का गोचर पढ़ना चाहते हैं तो स्क्रीन पर ऊपरी हिस्से में बने 'क्रॉस' का बटन दबायें।

इससे आपको एक मेन्यू दिखायी देगा इस पर निम्न प्रकार से ग्रहों के नाम लिखें होंगे। गुरु शनि राहु अब प्रयोक्ता जिस ग्रह का गोचर फल पढ़ना चाहें उस ग्रह के ऊपर क्लिक करके वांछित ग्रह का चुनाव करके अमुक ग्रह का गोचर फल पढ़ सकते हैं। इन तीनों ग्रहों के लिये भी विकल्प होगा कि वह किस अवधि या वर्ष के लिये गोचर का फल पढ़ना चाहते हैं। इस प्रकार आप किसी भी कुंडली का फलादेश उर्पयुक्त विधि से बड़ी ही आसानी से विस्तृत रूप से चरण बद्ध तरीके से पढ़ सकते हैं। अधिक विस्तृत जानकारी के लिए आप फ्यूचर पॉइंट



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