अध्यात्म प्रेरक शनि ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को ज्ञान, अध्यात्म और भक्ति का मुख्य कारक तथा केतु को मोक्ष का कारक माना गया है। परन्तु ईश्वर की और प्रेरित करने में शनि की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शनि ग्रह अपने भचक्र के ३० वर्ष के गोचर में साढे ... और पढ़ेंनवेम्बर 2006व्यूस: 8384
श्री सत्यनारायण व्रत श्री सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन प्रत्येक मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। यह व्रत सत्य को अपने जीवन और आचरण में उतारने के लिए किया जाता है। इस सत्यव्रत को कोई मानव यदि अपने जीवन और आचरण में सुप्रतिष्ठित करता है तो वह अपने भ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 11179
पर्वत पर अंकित धर्म गाथा प्रकारांतर से धर्म व् इतिहास से सम्मत रहे मगध प्रदेश में एक से बढकर एक ऐतिहासिक व् सांस्कृतिक महत्त्व के पर्वत विराजमान हैं। इसी मगध की भूमि में संसार में मानव निर्मित प्रथम पाषाण गुफा का पर्वत बराबर है तो इसी धरती पर ब्रह्मा जी क... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 6322
रुद्राक्ष की जांच कैसे करे असली रुद्राक्ष की पहचान करना कथन कार्य है क्योंकि एकमुखी और एकाधिक मुखी रुद्राक्ष महंगे होने के कारण नकली भी बना लिए जाते हैं. अधिक लाभ लेने के लिए कम मुखों वाले रुद्राक्षों में अतिरिक्त मुख की धारियां बना दी जाती हैं. रुद्राक्ष स... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 10858
विदेश यात्रा योग : एक विश्लेषण अधिकांश व्यक्ति कर्क, सिंह व् तुला लग्नों के थे और मीन लग्न की कुण्डलियां सबसे कम थीं। राशियों में मेष राशि अधिकांश कुंडलियों में विद्यमान थी। कर्क लग्न के लिए शनि लग्न में गुरु चतुर्थ भाव में एवं राहू द्वादश भाव में और गुरु सप्तम... और पढ़ेंआगस्त 2006व्यूस: 4606
वास्तु शास्त्र में रंगों का महत्व प्रत्येक रंग की अपनी नियति तथा अलग प्रभाव होता है जो मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। इस आलेख में प्रस्तुत है रंगों के प्रभाव पर संक्षिप्त चर्चा-... और पढ़ेंदिसम्बर 2010व्यूस: 21985
समस्या समाधान प्रश्न: मैं एक साॅफ्टवेयर इंजीनियर हूं। मुझे नौकरी कब तक और किस विभाग में मिलेगी? विदेश जाने का योग क्या मेरी जन्म कुंडली में है?... और पढ़ेंजुलाई 2013व्यूस: 4839
कालसर्प योग के स्वप्न कुछ जातकों के स्वप्नों का अध्ययन करने पर ज्ञात हुआ की वे काल सर्प दोष से पीडित है। तदुपरांत उनकी कुंडलियों को देखने पर पता चला की उनके सभी ग्रह राहू-केतु के बीच में है, अथवा केवल चंद्र या मंगल के बाहर होने के कारण आंशिक काल सर्प द... और पढ़ेंमार्च 2006व्यूस: 7261
रुद्राक्ष का औषधिय महत्त्व रुद्राक्ष एक विशेष किस्म का प्राकृतिक जंगली फल हैं. रासायनिक संघटन के दृष्टिकोण से इसमें ५०. ०२४ प्रतिशत कार्बन, ०.१४६१ प्रतिशत नाइट्रोजन, १७.७९८ प्रतिशत हाइड्रोजन और ३०.४५३१ प्रतिशत आक्सीजन का समावेश है तथा इसमें एल्युमिनियम, कैल... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 7677
घर की सजावट में बदलाव लाकर खुशहाली पाएं घर के साजो समान और आंतरिक व्यवस्था व्यक्ति के जीवन को गहरे प्रभावति करती है। घर की व्यवस्था में परिवर्तन द्वारा हर क्षेत्र में सफलता पाएं।... और पढ़ेंजनवरी 2009व्यूस: 5911
मकर संक्रांति माघ मास में जब सूर्य मकर राशि पर होते है, उस समय तीर्थराज प्रयाग में सभी लोग स्नान-दानादि पुण्य कर्म करने के लिए आते है। प्रयाग में आज भी गंगा, यमुना सरस्वती के तटों पर प्रति वर्ष माघ मेला लगता है... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 8584
ज्योतिषीय योगों से तय करे - क्या रत्न पहनें, क्या न पहने जन्म कुंडली में त्रिकोण सदैव शुभ होता हैं. इसलिए लग्नेश, पंचमेश व् नवमेश का रत्न धारण किया जा सकता हैं. यदि इन तीनों में कोई ग्रह अपनी उच्च राशि या स्वराधि में हो हो रत्न धारण नहीं करना चाहिए. यदि शुभ ग्रह अस्त या निर्बल हो तो उसक... और पढ़ेंमई 2012व्यूस: 40677