रुद्राक्ष के बहुआयामी गुण-विशेष रुद्राक्ष वस्तुत: एलियोकापस जैनिट्रस नामक वंश की वनस्पति या पौधे से उत्पन्न हुए एक फल की गुठली हैं, जो फल दिखने में खुमानी जैसा प्रतीत होता है.इसकी बाहरी पतली, चिकनी तवचा जामुनी व् नीली झलक लिए हुए होती हैं. तथा अन्दर का खट्टा, मी... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 8044
शनि ग्रह की शुभता के लिए उपाय किसी भी रूप में शनि से प्रभावित लोग कुछ मंत्रों, रत्नों या यंत्रों का प्रयोग कर शनि की अनुकूलता या कृपा प्राप्त कर सकते हैं।... और पढ़ेंनवेम्बर 2011व्यूस: 15138
अंक ज्योतिष के विविध आयाम ज्योतिष की अन्य विधाओं की भांति, अंक ज्योतिष भी काफी प्राचीन एवं लोकप्रिय विधा हैं। अंक ज्योतिष भी अपने अन्दर भूत, वर्तमान एवं भविष्य के रहस्य अपनी गर्त में छिपाए हुए हैं। सभ्यता के प्रारम्भिक चरण से ही यह सभी क्षेत्रों में किसी न... और पढ़ेंनवेम्बर 2012व्यूस: 10466
लक्ष्मी के साथ गणेश आराधना क्यो? दीपावली पर हम धन की देवी लक्ष्मी जी की आराधना करते हैं लेकिन यह भी सत्य है कि बिना बुद्धि के धन व्यर्थ है। अतः धन दौलत की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी तथा बुद्धि प्राप्ति के लिए गणेश जी की पूजा का विधान है।... और पढ़ेंअकतूबर 2009व्यूस: 11405
ग्रहण: कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ज्योतिष में ग्रहणों का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर देखा जाता है। चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण उसके गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण पूर्णिमा के दिन समुद्र में सबसे अधिक ज्... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 11998
दस महाविद्या रहस्य आगमशास्त्र में अविद्या, विद्या एवं महाविद्या इन तीन शब्दों का वर्णन हैं। जो सांसारिक कार्यों में हमारी सहायता करती हैं। उसे अविद्या कहते हैं। जो मुक्ति का मार्ग बाताती है उसे विद्या कहते हैं। और जो भोग और मोक्ष दोनों देती हैं। उसे... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 32567
हिंदू मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह प्र... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 7318
सीता-शुकी संवाद एक दिन सीताजी सखियों के साथ उद्यान में खेल रही थीं। वहां उन्हें शुक पक्षी का एक जोड़ा दिखायी दिया जो बड़ा मनोरम था। वे दोनों पक्षी एक डाली पर बैठकर इस प्रकार बोल रहे थे- ‘पृथ्वी पर श्रीराम नाम से प्रसिद्ध एक बड़े सुंदर राजा होंगे।... और पढ़ेंदिसम्बर 2013व्यूस: 7119
महामृत्युंजय मंत्र साधना हेतु विचारणीय तथ्य यमराज के म्र्त्युपाश से छुड़ाने वाले केवल भगवान महामृत्युंजय शिव है, जो अपने साधक को दीर्घायु देते है. इनकी साधना एक ऐसी प्रक्रिया है जो कठिन कार्यों को सरल बनाने की क्षमता के साथ-साथ विशेष शक्ति भी प्रदान करती है. साधना करते समय श... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 11589
शत्रु बाधा निवारण और बगलामुखी मंत्र जाप हल्दी की माला से करें। हल्दी की माला बाजार में मिल जाती है। यदि न मिले, तो हल्दी की गांठों को पानी में भिगो दें। वे फूल कर मुलायम हो जाएंगी। तब १०८ टुकड़े काट कर माला गूंथ लें। एक टुकड़ा सुमेरु अर्थात माला के प्रारम्भ को इ... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 14138
वास्तु और ज्योतिष : एक दूसरे के पूरक वास्तु शास्त्र एक विलक्षण शास्त्र है. इसके ८१ पदों में ४५ देवताओं का समावेश है. और विदिशा सहित आठ दिशाओं को जोडकर ५३ देवता होते है. इसी प्रकार जन्म कुंडली में १२ भाव और ९ ग्रह होते है. वास्तु चक्र में ठीक ऊपर उत्तर दिशा होती है. .... और पढ़ेंदिसम्बर 2009व्यूस: 7693
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए लाल किताब के अचूक उपाय जन्म कुंडली में सातों ग्रहों की स्थिति जब राहु-केतु अक्ष के मध्य होने पर कालसर्प योग का निर्माण होता है. कालसर्प योग विशेष रूप से अशुभ माना गया है. कुंडली के जिस भाव से कालसर्प की सृष्टि होती है. उस भाव से सम्बधित कष्ट प्रबल रूप स... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 11115