कुछ अनुभव सिद्ध वास्तु टिप्स भारत की वैदिक सर्वोच्च सता “ऊ” के बारे में अनुसंधान के बारे में अनुसंधान की प्रक्रिया के दौरान ज्ञात हुआ की ऊं शब्द अ उ, म तथा चंद्र से मिलकर बना है। अत: चरों दिशाओं में इन्हीं अक्षरों के प्रयोग से चाइनीज फेंगसुई से कहीं ज्यादा फल... और पढ़ेंसितम्बर 2011व्यूस: 7796
गणपति के विभिन्न रूपों के पूजन से कष्ट निवारण विघ्नहर्ता मंगलकर्ता गौरी पुत्र गणेश जी की महत्ता को सनातन धर्मावलंबी प्रत्येक व्यक्ति स्वीकार करता है। सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले गणेश जी की पूजा का शास्त्रीय विधान है। इनकी कृपा दृष्टि से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होते है... और पढ़ेंसितम्बर 2013व्यूस: 8551
पांव बोले: किस्मत के राज खोले मनुष्य के जीवन की दिशा ओर दशा निर्धारण में हाथों की तरह ही पैरों की भूमिका भी अहम होती है. उसके व्यक्तित्व का विकास हाथों की रेखाओं पर निर्भर करता है. कमोवेश उसी तरह पैरों पर भी निर्भर करता है. पैरों का आकार....... और पढ़ेंजुलाई 2009व्यूस: 9491
कांवर के अनेकार्थ कांवर शिवोपासना का एक साधन तो है ही लेकिन यह प्रतीक है, शिवत्व सम्बन्धी अनेक भावों और अर्थों का जिसे विद्वज्जन सहज में ही समझ सकते हैं। कांवर शब्द के ऐसे ही कुछ अर्थों की अनुभूति इस प्रकार है जिससे अनुप्राणित व्यक्ति सदा-सर्वदा शि... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 6748
अंगूठे का महत्व सुविकसित, दृढ़ व सुगठित अंगूठा व्यक्ति को बौद्धिक और मानसिक बल प्रदान करता है। प्रस्तुत लेख में अंगूठे की संरचना द्वारा व्यक्तित्व का विश्लेषण किया गया है।... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 7579
सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा क्यों? भगवान श्री गणेश जी का देवताओं में असाधारण महत्व है। किसी भी धार्मिक या मांगलिक कार्य का आरंभ बिना इनकी पूजा के प्रारंभ नहीं होती। किसी भी उत्सव-महोत्सव में उनका पूजन करना अनिवार्य है। इतना महत्व किसी और देवता की नहीं। विस्तार से ज... और पढ़ेंसितम्बर 2013व्यूस: 12987
तंत्र शास्त्र : प्रक्रित्यानुरूप उपासना एवं प्राप्तियां तंत्र शास्त्र के सभी ग्रंथों का मुख्य उद्देश्य सिद्धि लाभ तथा महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती की अनुग्रह प्राप्ति ही हैं। इसलिए शक्ति की उपासना की जाती हैं। आसुरी प्रकृति वाले व्यक्ति उसे मांस-मद्य आदि से पूजते हैं। उससे उन्हें... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 7382
विभिन्न प्रकार के शंख तथा उनसे लाभ शंख हमारी धर्म संस्कृति एवं जागरूकता का प्रतिक है। पुराणों के अनुसार शंख को लक्ष्मी का सहोदर कहा गया है, क्योकि दोनों की उत्पति समुद्र से ही हुई है। नित्य शंख पूजन एवं शंख वादन से आयु-आरोग्यता एवं धन-समृद्धि की वृद्धि होती है... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 11850
वास्तु और हमारा जीवन वास्तुशास्त्र के विज्ञान है। किसी भवन में वास्तुदोष होने पर उसका निराकरण वैज्ञानिक तरीके से करना चाहिए। यदि किसी मंदिर का वास्तु ठीक न हो तो वहां भी ज्यादा लोग दर्शन करने नहीं, जाते, मंदिर में चढावा भी ठीक से नहीं चढता। जबकि वहां ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 5416
सटीक फलादेश के लिए बाधक दोष का सटीक फलादेश के लिए उस कुंडली की बाधक राशि व बाधक ग्रह का विश्लेषण विशेष लाभदायक है। आइए, कुछ कुंडलियों का विवेचन करें।... और पढ़ेंजनवरी 2009व्यूस: 6675
अग्नि तत्व राशि एकादश भाव में सूर्य अग्नि तत्व मेष राश्फी में सूर्य के होने से विशेषकर बड़े भाइयों को समाज में उच्च स्थान एवं यश, प्रसिद्धि मिलती है. जातक के मित्र भी उच्च पदस्थ होते है. जातक बुद्धिमान, चतुर और साहसी होता है, परन्तु कम संतान वाला होता है. वह भोग-विला... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 16006
होली रंग डालो ऐसा डालो, जिससे एक उमर रंग जाये। इन पानी वाले रंगों से क्या होता है।। ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद्बाहू राजन्यः कृतः। ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्याशूद्रो अजायत।। अथवा पुरूषस्य मुखं ब्रह्म क्षत्रमेतस्य बाहवः। ऊर्वोर्वेश्यो भगव... और पढ़ेंदिसम्बर 2013व्यूस: 6973