दरियादिली आभा बंसलजरूरतमंद व्यक्तियों की मदद करना या फिर उसमें एक कड़ी बनना वास्तव में बहुत ही नेक काम है क्योंकि दरियादिली का जज्बा सबमें नहीं होता। कुछ न कुछ तो हर व्यक्ति दान दे देता है चाहे उसके पीछे उनकी मंशा कुछ भी हो लेकिन बिरले ही ऐसे ... और पढ़ेंज्योतिषदशागोचरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषणफ़रवरी 2016व्यूस: 6829
ज्योतिष के छः महादोष एवं रत्न चयन गोपाल राजूजन्मकुंडली में यदि कोई दोष घटित होता है तो उसके फलस्वरूप प्रगति एवं फल प्राप्ति में कई बाधाएं आती हैं। यदि उसके निदान के लिए उपयुक्त रत्न, उपरत्न आदि धारण किए जाएं तो दोष का प्रभाव कम हो जाता है। प्रस्तुत है इस विषय पर विस्तृ... और पढ़ेंज्योतिषरत्नभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2006व्यूस: 12339
नाड़़ी दोष विचार ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’नाडि शब्द नाडि मंडल से संबंधित है, जिसका अर्थ है कि आकाशीय विषुवत् सेवा। नाडी कूटं तं संग्राह्यं, कूटानां तु शिरोमणिम्। ब्रह्मणा कन्यका कण्ठ सूत्रत्वेन विनिर्मितम्॥ (अर्थात् जिस प्रकार विवाहित कन्या के लिए मंगल सूत्र आवश्यक है, उस... और पढ़ेंज्योतिषग्रहघरविवाहभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याजनवरी 2011व्यूस: 27466
विवाह मुहूर्त रोहिणी, मृगशिरा, मघा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, स्वाती, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढा, उतरा भाद्रपद, एवं रेवती नक्षत्र विवाह के लिए उतमोतम है. अश्विनी, चित्रा, श्रवण एवं घनिष्ठा नक्षत्र विवाह के लिए उत्तम है...... ... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 31086
चंद्र पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह अविनाश सिंहचंद्र देव का वर्ण गौर है। इनके वस्त्र, अश्व और रथ तीनों स्वेत वर्ण के है। ये सुंदर रथ पर कमल के आसान पर विराजमान है। इनके सिर पर सुदंर स्वर्ण मुकुट तथा गले में मोतियों की माला है। इनके एक हाथ में गदा है। और दूसरा हाथ वरदान की मुद्... और पढ़ेंज्योतिषखगोल-विज्ञानमार्च 2008व्यूस: 24200
भविष्य जानने की प्राचीन विद्या रमल रमेश पांडेयरमल भूत, भविष्य, वर्त्तमान, रूप, आयु तथा मृत्यु हर प्रकार के शुभाशुभ फल ज्ञात करने की प्राचीन विद्या है. भारतीय विद्वानों के मतानुसार ज्योतिष के अन्य अंगों की भाँती 'रमल' विद्या भी मूलत" भारत की ही दें है.... और पढ़ेंज्योतिषरमल शास्त्रभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2011व्यूस: 43306
मुहूर्त विचार धार्मिक संस्कारों व् सामजिक परम्पराओं से जुड़े भारतीय अपने समस्त कार्य मुहूर्त निकलवा कर करते हैं। फलित ज्योतिष के अनुसार गणना करा के निकाला गया कालखंड मुहूर्त कहलाता हैं। दिन व् रात मिलाकर २४ घंटे के समय में, दिन में १५ व् रात्रि ... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 60090
नौकरी एवं व्यापार में किसका चयन करें एस. एल. मालवीयसाधारणतया हम आजीविका के लिए जन्मकुंडली में दशम भाव देखते हैं। छठा भाव नौकरी एवं सेवा का है। उसका कारक ग्रह शनि है। दशम भाव का छठे भाव से संबंध होनानौकरी दर्शाता है। नौकरी में जातक किसी दूसरे के अधीन कार्यरत होता है। लग्न में, अथवा... और पढ़ेंज्योतिषअप्रैल 2010व्यूस: 7709
क्या ग्रह प्रभाव डालते हैं ? सुरेंद्र कुमार शर्मा‘सूर्य’ जिसे हम ग्रह कहते हैं - एक तारा है जो पूरे ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक तेजवान, प्रकाशवान तथा प्रभावशाली है। अन्य सभी ग्रह (पृथ्वी, चन्द्र, मंगल, बुद्ध, गुरु, शुक्र शनि आदि) इसी के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। इस ब्रह्माण्ड मे... और पढ़ेंज्योतिषभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याजुलाई 2013व्यूस: 8263
विवाह में पत्री मिलान की भूमिका निधि अग्रवालमनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज का निर्माण परिवार से होता है। परिवार का निर्माण दो व्यक्तियों के मिलन से होता है। इस मिलन को हम विवाह कहते हैं। परिवार समाज की मूलभूत इकाई है। एक स्वस्थ व खुशहाल परिवार ही एक स्वस्थ समाज का निर्माण... और पढ़ेंज्योतिषकुंडली मिलानविवाहअकतूबर 2007व्यूस: 8142
लियो गोल्ड (गृह संस्करण) विनय गर्गज्योतिष के क्षेत्र में अग्रणी संस्था फ्यूचर पाॅइंट ने ज्योतिष का कंप्यूटरीकरण करने में लगभग 20 वर्ष का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संस्था द्वारा विकसित प्रोग्रामों में लियो-1, लियो 99 तथा लियो गोल्ड से कोई भी ज्योतिषी शायद ही अन... और पढ़ेंज्योतिषअप्रैल 2004व्यूस: 9158
सिद्धपीठ ‘रजरप्पा’ राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’प्रकारान्तर से भारतवर्ष में शक्ति पूजा की विशद् परंपरा रही है। यहां देवी विभिन्न रूपों में युगों-युगों से देवताओं, संतों, ऋषि-मुनियों एवं जनसामान्य द्वारा पूजित इस चराचर जगत् में घटित समस्त कार्यों की हेतु प्रतीत होती हैं। संप... और पढ़ेंस्थानदेवी और देवमन्दिर एवं तीर्थ स्थलअध्यात्म, धर्म आदिअकतूबर 2014व्यूस: 10216