महिमामयी महारानी संभलेश्वरी भवानी राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’उड़ीसा प्रदेश स्थित मां संभलेश्वरी मंदिर की गणना प्राचीनतम देवी तीर्थ के रूप की जाती है। प्रस्तुत है मंदिर का पौराणिक महत्व एवं यात्रा मार्ग की जानकारी... और पढ़ेंदेवी और देवमन्दिर एवं तीर्थ स्थलजनवरी 2011व्यूस: 5457
विवाहार्थ कुण्डली मिलान विशेष विचार कर कीजिये शुभेष शर्मनविवाह के लिए कुंडली मिलाना कठिन कार्य अवष्य है गुण मिलान के अलावा किन विषेष बातों पर विचार किया जाना चाहिए इसका विवरण इस लेख में दिया गया है। मांगलिक दोष के प्रभाव पर भी प्रकाष डाला गया है।... और पढ़ेंज्योतिषविवाहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2011व्यूस: 16364
उपाय विचार जन्म कुंडली में बनने वाले ग्रहों व नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव को ज्योतिषीय उपायों के द्वारा कम किया जा सकता है. परन्तु व्यक्ति के द्वारा किये गए उपाय भी अनुकुल समय होने पर ही कारगर सिद्ध होते है. कौन सा उपाय कब करें, और कैसे करें, ऐ... और पढ़ेंआगस्त 2011व्यूस: 13641
महामृत्युंजय मंत्र साधना हेतु विचारणीय तथ्य यमराज के म्र्त्युपाश से छुड़ाने वाले केवल भगवान महामृत्युंजय शिव है, जो अपने साधक को दीर्घायु देते है. इनकी साधना एक ऐसी प्रक्रिया है जो कठिन कार्यों को सरल बनाने की क्षमता के साथ-साथ विशेष शक्ति भी प्रदान करती है. साधना करते समय श... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 12835
महामृत्युंजय की महिमा महामृत्युंजय मंत्र यथावधि जप करने से साधक दीर्घायु होता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. तथा व्यक्ति को कठिन से कठिन कार्य में भीं सफलता मिलती हैं. नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से साधक ब्रह्मामय हो जाता है. यह म... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 16496
महामृत्युंजय मंत्र साधना हेतु विचारणीय तथ्य यमराज के म्र्त्युपाश से छुड़ाने वाले केवल भगवान महामृत्युंजय शिव है, जो अपने साधक को दीर्घायु देते है. इनकी साधना एक ऐसी प्रक्रिया है जो कठिन कार्यों को सरल बनाने की क्षमता के साथ-साथ विशेष शक्ति भी प्रदान करती है.... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 11921
अभिजीत: एक उत्तम मुहूर्त यजुर्वेद के अनुसार २७ नक्षत्रों को गन्धर्व कहा गया है. स्कन्द पुराण में २७ नक्षत्रों को चंद्र की पत्नियां बताया गया है. अथर्ववेद के १९वें कांड के ७वें सूक्त में अश्विनी, भरणी आदि क्रम से २६ नक्षत्रों के नाम दिए गए है... ... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 31388
सूर्य की प्रथम कक्षा का ग्रह : बुध खगोलीय दृष्टिकोण – सूर्य के इर्द –गिर्द चक्कर लगाने वाले ग्रहों में बुध का स्थान प्रथम है। क्योकिं बुध की कक्षा अन्य सभी ग्रहों की तुलना में सूर्य के सबसे अधिक निकट है। सूर्य से बुध की औसतन दूरी ३६०००००० अधिकतम ४३०००००० और न्यूनतम... और पढ़ेंअप्रैल 2008व्यूस: 13325
दीपावली पर तंत्र एवं तांत्रिक वस्तुओं का महत्व दीपावली का पर्व विशेष रूप से शाक्तों का पर्व है। शाक्त अथवा तांत्रिक वे होते है जो विभिन्न दस महाविद्याओं या महाशक्तियों में से किसी एक ही उपासना करते है। दीपावली की रात को शाक्त शक्ति का विशेष रूप से आवाहन करते है। ... और पढ़ेंअकतूबर 2008व्यूस: 24343
महिमामय प्राचीनतम देवी-तीर्थ कामाख्या भारतवर्ष में तंत्र, मन्त्र, यंत्र के सबसे बड़े व् प्रधान धार्मिक केंद्र के रूप में मान्य कामाख्या का यह स्थान अति प्राचीन हैं। इस तीर्थ को कामाक्षा, कामरूप, कामाख्या अथवा कमरू कामाख्या भी कहा जाता हैं।... और पढ़ेंजुलाई 2012व्यूस: 10462
दिनमान एवं रात्रिमान में क्यों होता है परिवर्तन सूर्य उप बिंदु पृथ्वी पर वह स्थान होता है जहां पर सूर्य उच्चतम बिंदु पर होता हैं। उस स्थान पर सूर्य की किरणें एकदम सीधी पड़ती हैं। क्योंकि सूर्य उस स्थान से ९० अंश का कोण बनाता हैं। यह बिंदु स्थिर नहीं होता हैं।... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 13603
पीतांबरा शक्तिपीठ दतिया फ्यूचर पाॅइन्टमां शक्तिस्वरूपा जगदंबा अपने शक्तिपीठों के माध्यम से देश के कोने-कोने में मौजूद हैं। ऐसी मान्यता है कि तंत्र साधना बिना मां के आशीर्वाद के सफल नहीं होती। इसलिए तंत्र साधक शक्तिपीठों में जाकर साधना करते हैं। पीतांबरा शक्तिपीठ मे... और पढ़ेंदेवी और देवमन्दिर एवं तीर्थ स्थलअकतूबर 2006व्यूस: 7449