गुरु करेंगे मोदी का राजतिलक

गुरु करेंगे मोदी का राजतिलक  

सुनील जोशी जुन्नकर
व्यूस : 15273 | अप्रैल 2014

जन आंदोलनों से जख्मी हुई कांग्रेस सरकार चार राज्य विधानसभा चुनावों में हार के बाद बैकफुट पर चली गई है। दो बड़े राज्यों में जीत की हैट्रिक के बाद भाजपा के हौसले बुलंदी पर हैं। विधानसभा चुनावों में जीत के बाद भाजपा को मोदी के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता अब और भी आसान नजर आने लगा है। बुधान्तर ने बनाया मुख्यमंत्री - नरेंद्र मोदी का जन्म अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि की विंशोत्तरी महादशा में हुआ था।


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शनि, बुध, केतु की महादशाएं काफी संघर्षपूर्ण रहीं। शुक्र की महादशा दिनांक 5-10-1984 से 5-10-2004 तक चली। सहयोग भाव का स्वामी नैसर्गिक शुभ ग्रह शुक्र राज्य भाव दशम केंद्र में विराजमान है तथा उस पर पंचमेश गुरु की शुभ दृष्टि है। इस कारण शुक्र की महादशा और गुरु की अंतर्दशा में भाजपा ने गुजरात में पहली बार अक्तूबर 1995 में नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री के लिए प्रोजेक्ट किया। नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली में जनता के भाव का स्वामी चतुर्थेश शनि है। शनि और शुक्र दो केन्द्रेशों की युति दशम भाव में हो रही है, इस केन्द्राधिपत्य योग के कारण भी वे आम जनता में लोकप्रिय और राजनीति में सफल रहे।

नरेंद्र मोदी का लाभेश बुध अपनी उच्च राशि में लाभ भाव में बैठा है और दशम भाव पर भी उसका संधिगत प्रभाव है। ग्वालियर पंचांग के अनुसार 17-9-1950 को बुध प्रदीप्तावस्था में 20 अंशों पर सिंह राशि में वक्री था। यही कारण है कि नरेंद्र मोदी बुध की अंतर्दशा में 2001 तथा 2002 में चुनाव जीते और मुख्यमंत्री बने। बुध त्रिक भाव का स्वामी होने के कारण उन्हें अनेक संकटों, कठिनाइयों और आरोपों का सामना करना पड़ा था। राजनीति के सूर्य की नमो नमः वृश्चिक लग्न वाले जातकों के लिए सूर्य, चंद्रमा योग कारक होते हैं। नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली का की-प्लेनेट सूर्य है।

दशमेश अर्थात राज्येश सूर्य स्वयं के नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी में स्थित है तथा लाभस्थान में बैठा है, किंतु दशम भाव की संधि तथा सिंह राशि के समीप होने से सूर्य बलवान है। इस कारण उनका राज्यपक्ष बहुत मजबूत है। सूर्य की शुभ स्थिति के कारण ही उनका चेहरा, चाल और चरित्र सिंहम् की भांति दिखाई देता है। इस सूर्य ने ही भारतीय राजनीति के क्षितिज पर मोदी का प्रकाश फैलाया है, जिसे सभी नमन् करते हैं। सूर्य की महादशा के पूरे काल में वे मुख्यमंत्री रहे। आत्मकारक शनि ने बनाया गुजरात का महाराजा- कारकांशे यदा सौरि मृत्युलोके प्रसिद्धयक्। महतो कर्मणा वृत्तिः क्षितिपालेन पूजितः (वृ.पा.हो. 12/2/26)।। नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली में शनि सर्वाधिक अंशांे (29ः40) पर होने के कारण आत्मकारक है। कारकांश लग्न में शनि होने से नरेंद्र मोदी संसार में प्रसिद्ध बड़े कार्यों को करने वाले हैं।

वे संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के चहेते और पहली पसंद हैं। पुत्रात्मकारकौ विप्र लग्ने वा पंचमेऽपि च। संबंधे वीक्षिते तत्र दृष्टैवं पंचमाधिपे (वृ. पा. हो. - 21/04/06) ।। महर्षि पराशर के अनुसार आत्मकारक और पंचमेश से राजयोग को देखना चाहिए। आत्मकारक और पंचमेश लग्न या पंचम भाव में हो अथवा दोनों का परस्पर दृष्टि संबंध हो तो ‘महाराज योग’ होता है। नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली में आत्मकारक शनि और पंचमेश गुरु का परस्पर दृष्टि संबंध है, इसलिए उनकी कुंडली में भी महर्षि पराशर द्वारा कथित महाराज योग है। यह योग उन्हें युवराज नहीं सीधा राजा बनाएगा। उपरोक्त महाराज योग के कारण ही आत्मकारक शनि ने अपनी अंतर्दशा में दिसंबर 2007 में सर्वाधिक सीटों (117 विधायकों) पर जीत दिलाकर तीसरी बार गुजरात का महाराजा (सीएम) बनाया। राजनीति का राहु: राहु राजनीति और कूटनीति का कारक है। यह संघर्ष, पराक्रम और प्रपंच का भी कारक है।

राहु नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली के पंचम भाव तथा मीन राशि और शनि के नक्षत्र उत्तराभाद्रपद में बैठा है। पंचम भाव में बैठा राहु केंद्रेश (दशम भाव का स्वामी) सूर्य से परस्पर दृष्टि संबंध के कारण शुभफलदाता बन गया है। पंचमस्थ राहु भाग्य भाव और भाग्येश को देख रहा है। राहु चंद्र के इसी योग के कारण चंद्रमा की महादशा और राहु की अंतर्दशा में दिसंबर 2012 में गुजरात विधानसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक लगाई तथा चैथी बार मुख्यमंत्री के सिंहासन पर आरूढ़ हुए। शंख योग बनाएगा मोदी को प्रधानमंत्री अन्योन्यकेंद्र गृहगौ सुतशत्रुनाथौ लग्नाधिपे बलयुते यदि शंखयोग। वृहद् पराशर होराशास्त्र के उन्नीसवें अध्याय के तेरहवें श्लोक के अनुसार- यदि पंचमेश और षष्ठेश एक-दूसरे से चतुर्थ-दशम या सम-सप्तक केंद्र स्थान में हों तथा लग्नेश बलवान हो तो शंखयोग होता है।

भाजपा द्वारा प्रस्तावित प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की जन्मकंुडली में पंचमेश गुरु चतुर्थ भाव में तथा षष्ठेश मंगल लग्न में स्थित है। अतः पंचमेश-षष्ठेश एक-दूसरे से चतुर्थ-दशम केंद्र में बैठै हैं तथा लग्नेश मंगल भी बलवान है। इसलिए नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली में महर्षि पराशर द्वारा कथित शंखयोग है। यह शंखयोग मोदी को अवश्य ही प्रधानमंत्री बनाएगा क्योंकि पं. जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, चैधरी चरण सिंह, अटल बिहारी बाजपेयी आदि भारत के प्रधानमंत्रियों की जन्मकुंडलियों में भी शंख योग था। गुरु करेंगे मोदी का राजतिलक

1. नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली में गुरु धनेश व पंचमेश होने के कारण शुभफलदाता है। गुरु सुख भाव में बैठे हैं, इसलिए जनता मोदी को चाहती है।सिद्धांतानुसार लग्न से चैथा गुरु राजयोगकारक होता है। क्योंकि उसकी सीधी दृष्टि राज्यभाव पर पड़ती है।

2. नरेंद्र मोदी की जन्मकुंडली में सूर्य एकादश भाव और गुरु चतुर्थ भाव में है। इस प्रकार गुरु सूर्य से 6 राशि की दूरी पर स्थित है। वक्रगत्या होने से गुरु को चेष्टाबल तथा इष्टबल प्राप्त है।


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. पांचवें त्रिकोण का स्वामी होकर गुरु चतुर्थ भाव में बैठा है तथा चतुर्थ केंद्र का स्वामी होकर शनि दशम भाव में बैठकर एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं। इस प्रकार केन्द्रेश, त्रिकोणेश, शनि-गुरु का परस्पर दृष्टि संबंध राजयोग का निर्माण कर रहा है।

4. भाजपा के पी. एम. प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की दिनांक 5-10-2010 से चंद्रमा की विंशोत्तरी महादशा चल रही है। इसमें गुरु की अंतर्दशा दिनांक 5-9-2013 से प्रारंभ हुई, यह अंतर्दशा दिनांक 5-1-2015 तक रहेगी। भाग्येश चंद्रमा की दशा में राजयोगकारक गुरु का अंतर पी.एम पद पर मोदी का राजतिलक अवश्य करेगा।



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