पथरी: कारण और निवारण

पथरी: कारण और निवारण  

कलीम आनन्द
व्यूस : 32094 | अप्रैल 2014

पेशाब के साथ निकलने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के क्षारीय तत्व जब किन्हीं कारणवश नहीं निकल पाते और मूत्राशय, गुर्दे अथवा मूत्र नलिका में एकत्र होकर कंकड़ का रूप ले लेते हैं तो इसे पथरी कहा जाता है। पथरी रोग मूत्र संस्थान से संबंधित है। पत्थर के चूरे को मूत्र रेणु कहते हैं। ये चूरे या रेणु सफेद और लाल रंग के होते हैं। जब ये धीरे-धीरे आपस में मिल जाते हैं तो छोटी पथरी का रूप धारण कर लेते हैं। पथरी गोल, अंडाकार, चपटी, चिकनी, कठोर, मुलायम तथा आलू की तरह होती है। यह उन लोगों को होती है जिनके मूत्र में चूने का अंश अधिक होता है। पथरी होने का मुख्य कारण है- पेट की खराबी। कब्ज, अम्लपिŸा, अल्सर आदि के कारण पथरी बनने लगती है। आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि फास्ट फूड तथा अधिक मिर्च-मसाले वाले पदार्थों के सेवन से पथरी की उत्पत्ति हो जाती है।

पथरी बन जाने के बाद रोगी को मूत्र त्याग करते समय काफी दर्द होता है। मूत्र रुक-रुककर आता है। मूत्र के साथ पीव या कभी-कभी खून भी आ जाता है। शिश्न के अगले भाग में असहनीय जलन और दर्द होता है। जब पथरी गुर्दे से चलकर मूत्राशय में आ जाती है तो दर्द बढ़ जाता है। दर्द के कारण रोगी बेचैन हो जाता है। कई बार रोगी को उल्टी भी हो जाती है। यदि गुर्दे में पथरी हो तो रोगी को गेहूं और जौ की रोटी, हरी सब्जियां, मूंग की धुली दाल, मौसमी फल तथा जौ एवं नारियल का पानी देना चाहिए। वैसे शीघ्र पचने वाले सभी पदार्थ खाने में कोई हर्ज नहीं है। पुराने चावल, मूली, गाजर, अदरक, दूध, मट्ठा, दही एवं नीबू का रस पथरी के रोगी के लिए बहुत लाभदायक है। भोजन के साथ इन पदार्थों को अनिवार्य रूप से लेना चाहिए। मिठाई, मक्खन, घी, तेल, चीनी, शराब, मांस, चाय, काॅफी तथा उत्तेजक पदार्थों से बचना चाहिए। ऋतु के अनुसार गन्ने का रस तथा कुलथी का पानी अवश्य सेवन करें। इससे गुर्दे की सफाई होती रहती है।


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यदि परहेज से रोग निवारण न हो तो निम्नलिखित घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं-

- मौलसिरी के 10 ग्राम फूलों का शरबत बनाकर प्रतिदिन सुबह के समय पिएं। पथरी कुछ ही दिनों में निकल जाएगी।

- गौखरू का चूर्ण 10 ग्राम तथा शहद 25 ग्राम-दोनों को मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करें।

- प्याज का रस चार चम्मच सुबह और चार चम्मच शाम को कुछ दिनों तक पीने से भी पथरी में काफी लाभ होता है।

- मेंहदी की जड़ को सुखाकर पीस लें। फिर 3 ग्राम चूर्ण को शक्कर में मिलाकर प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करें।

- कुलथी के आटे की रोटियां बनाकर चैलाई की सब्जी के साथ खाएं। यह पथरी रोग में रामबाण है।

- जामुन की चार ग्राम गुठली का चूर्ण दही के साथ सुबह-शाम सेवन करें। पथरी गलकर बाहर निकल जाएगी।

-3 ग्राम अजमोद को चार चम्मच मूली के रस में मिलाकर पिएं। पथरी का निवारण हो जाएगा।

- चंदन के तेल की 10-12 बूंदों को चीनी में मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को लें काफी लाभ होगा।

- कलमी शोरा 2 ग्राम, फिटकरी का फूला 2 ग्राम तथा शक्कर 30 ग्राम-तीनों चीजों को पानी में घोलकर रोगी को पिलाएं।

- 10 ग्राम इलायची के दाने, 10 ग्राम शिलाजीत तथा 6 ग्राम पीपल-सबको पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री पीसकर मिलाएं। अब एक-एक चम्मच की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें।

- दो गिलास पानी में 25-30 ग्राम मूली के बीज उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो बीजों को छानकर दिन में दो बार पिएं।

- काले लोहे की अंगूठी दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में पहनें। इससे पथरी का दर्द कम होता है क्योंकि मध्यमा उंगली का दबाव बिंदु गुर्दे से संबंधित है।

- पालक का रस एक कप तथा नारियल का पानी एक कप

- दोनों को मिलाकर 15 दिनों तक नियमित रूप से पिएं।

- गाजर के बीज तथा शलजम के बीज-दोनों 3-3 ग्राम लेकर एक मूली को खोखला करके उसके भीतर भर दें। अब मूली का मुंह गाजर की छीलन से भरकर उपले की आग में दबा दें। जब गाजर भुन जाए तो बीज निकालकर सुबह-शाम 2-2 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ लें। इससे मूत्र खुलकर आने लगेगा तथा पथरी भी गल जाएगी।

- पथरी के रोगी को एक कप खरबूजे के रस में 5 ग्राम मूली के बीज पीसकर सेवन करना चाहिए।


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