मंत्र के अनुसार मालाओं का चुनाव श्रीमद भगवद्गीता के दसवें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है की, हे अर्जुन मैं संपूर्ण यज्ञों में जप नामक यज्ञ हूँ। – “यज्ञानांजपज्ञोंअस्मि “ | श्रद्धा विश्वासपूर्वक अपने इष्ट देवता के मंत्र का अथवा कामना के अनुसार अन्य... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 10275
संपति प्राप्ति के सरल उपाय पंचतंत्र के अनुसार, वृद्ध पुरुषों में भी जिनके पास धन हैं, वे युवा है। जो धनहीन है। वे युवावस्था में ही वृद्ध हो चुके है. वस्तुत: सामाजिक और भौतिक जीवन में धन स्थान अति महत्वपूर्ण है। इसके महत्व को हमारे ऋषियों ने स्वीकार करके इसे... और पढ़ेंअकतूबर 2008व्यूस: 15378
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपनाएं हर्बल उत्पाद ह्रदय मानव शारीर का महत्वपूर्ण अंग है। स्वस्थ ह्रदय के बिना कुछ पलों का जीवन भी कठिन है। ह्रदय हमारे शरीर में आक्सीजन युक्त रक्त के संचार जैसा महत्वपूर्ण कार्य करता है। रक्त का संचार कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली का एक जटिल हिस्सा है।... और पढ़ेंअकतूबर 2008व्यूस: 6458
वराह व्रत व वराह जयंती भगवान श्री विष्णु का तीसरा अवतार वराह रूप था. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन श्री विष्णु ने वराह रूप में अवतार लिया था. यह दिन वराह जयंती के रूप में मनाया जाता है. वराह भगवान का व्रत करने से उपवासक को सुख-सम्पति प... और पढ़ेंआगस्त 2011व्यूस: 9459
अहोई अष्टमी व्रत अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी को करने का विधान हैं। किन्तु लोकरीति के अनुसार दीपावली पूजन के दिन जो वार हो उसके ठीक आठ दिन पहले उसी वार को भी करने का उल्लेख प्राप्त होता हैं।... और पढ़ेंनवेम्बर 2012व्यूस: 9358
प्रभावशाली ज्योतिषीय सामग्री यह यंत्र लॉकेट चांदी में बना हुआ होता। इस यंत्र को धारण करने से आय के स्रोतों में वृद्धि होती है। व्यापार में वृद्धि होती है। ... और पढ़ेंफ़रवरी 2012व्यूस: 5469
पुरूषोत्तम श्री कृष्ण की अमृत वाणी पंच तत्व निर्मित इस शरीर का अंतिम लक्ष्य जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होना है। यह किसी भी व्यक्ति के लिए तभी संभव है, जब वह धर्म मार्ग का अवलंबन करे। भगवान श्री कृष्ण ने गीता के माध्यम से समस्त संसार को मुक्त भाव से जीने का साधन दिया... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 7610
गोचर के शनि का प्रभाव जब गोचर शनि चंद्र लग्न से चौथे, सातवें व दसवें स्थान में जाता है तो उसे कंटक शनि कहते हैं। साधारण रूप से कंटक शनि मानसिक दुःख की वृद्धि करता है, जीवन को अव्यवस्थित बनाता है और इस प्रकार नाना प्रकार के दुःखों का सामना करवाता है। ... और पढ़ेंनवेम्बर 2011व्यूस: 15481
काल सर्प दोष निवारण के उपाय काल सर्प दोष निवारण के अनेक उपाय है। इस योग कि शान्ति विधि विधान के साथ योग्य, विद्वान एवं अनुभवी ज्योतिषी, कुल गुरु या पुरोहित के परामर्श के अनुसार किसी कर्मकांडी ब्रह्माण से यथा योग्य समयानुसार करा लेने से। ... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 58782
वास्तु दोष एंव रोग आवास के उत्तर पश्चिम भाग (वायव्य कोण) का संबंध वायु तत्व से होता हिया। वायु का प्राण से शुभ इस स्थान पर भारी सामान नहीं रखना चाहिए। अन्यथा वायु विकार तथा मानसिक रोगों की संभावना रहती है। इसके धरातल का उत्तर-पूर्व की अपेक्षा थोड़ा ... और पढ़ेंदिसम्बर 2008व्यूस: 6706
शनि का यथार्थ शनैश्चर की शरीर –कांति इन्द्रनील मणि के समान है। इनके सिर पर स्वर्ण मुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित है। ये गिद्ध पर सवार रहते है। इनके हाथों में क्रमश: धनुष, बाण, त्रिशूल और वर मुद्रा है। ... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 7715
लाल किताब में मंगली दोष लाल किताब के अनुसार मंगल को शेर बताया गया है। तथा मंगल किसी भी भाव में अकेला हो, तो जातक बकरियों में पलने वाले शेर की तरह होता है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य – बुध की युति हो, तो मंगल का फल प्राय: शुभ होता है। परन्तु। ... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 9607