लाल किताब में मंगली दोष

लाल किताब में मंगली दोष  

व्यूस : 8335 | जून 2008
लाल किताब में मांगलिक दोष पं. कृष्ण मोहन तिवारी लाल किताब के अनुसार मंगल को शेर बताया गया है तथा मंगल किसी भी भाव में अकेला हो, तो जातक बकरियों में पलने वाले शेर की तरह होता है। यदि जन्मकुंडली में सूर्य-बुध की युति हो, तो मंगल का फल प्रायः शुभ होता है। परंतु सूर्य-शनि की युति होने पर मंगल अशुभ होता देखा गया है। मंगल पर राहु की दृष्टि तथा मंगल के साथ बुध की युति भी मंगल के प्रभाव में अशुभता उत्पन्न करती है। भावानुसार मंगलीक दोष की विवेचना लग्नस्थ मंगल तेजस्वी, क्रोधी प्रवृत्ति, दुर्घटना, हठवादिता तथा वैचारिक अस्तव्यस्तता को दर्शाता है तथा इस स्थिति में 4, 7 तथा 8 भावों पर दृष्टि के कारण शारीरिक स्थिति, घर, संपत्ति तथा आयु आदि को प्रभावित करता है। लाल किताब में लग्नस्थ मंगल को किस्मत को जगाने वाला, मैदाने जंग का शूरवीर तथा इंसाफ पसंद बताया गया है। लग्नस्थ मंगल के साथ शनि की युति व्यक्ति में चरित्रहीनता तथा विवाहोत्तर संबंध में तनाव की स्थिति पैदा कर सकता है तथा लग्नस्थ मंगल पर प्रभाव तथा दृष्टि हो, तो व्यक्ति का उसूल आ बैल बुझे मार जैसा हो जाता है। यदि लग्नस्थ मंगल बुरे भावों का स्वामी हो कर, या अन्य रूपों में, कष्टकारक हो, तो निम्न उपाय करें: 1. कदापि झूठ न बोलें 2. मुफ्त वस्तु प्राप्त करने का प्रयास न करें। इससे भाग्य प्रभावित होगा। 3. मिट्टी की सुराही में शहद डाल कर सुनसान स्थान में जमीन में दबा दें। चतुर्थ भावस्थ मंगल: मंगल पारिवारिक सुख-शांति के स्थायित्व के लिए अशुभ है, परंतु अचल संपत्ति के लिए यह अच्छी स्थिति है। लाल किताब में चैथे घर के मंगल को जलती आग बताया गया है। यदि इस भाव में मंगल अशुभ है, तो मंगल जातक के भाग्य को प्रभावित करता है तथा व्यक्ति में बदला लेने की आदत प्रबल रूप में होती है, जो उसके लिए कभी बहुत नुकसानदायक हो सकती है। चतुर्थस्थ मंगल के कारण घर में आग लगने की घटनाएं भी होती देखी गयी हैं। चतुर्थ में मंगल तथा अष्टम में केतु को चारित्रिक दोष को उत्पन्न करते देखा गया है। चतुर्थ स्थान में मंगल-शनि योग से खेतो की जमीन खरीदने पर विशेष लाभ होता है। उपाय: 1. चिड़ियों को मीठा डालें। 2. हाथी दांत पास रखें। 3. यदि मंगल का अशुभ प्रभाव विशेष दिखाई देने पर आग लगने की घटनाएं हों, या व्यक्ति बेऔलाद हो, या स्त्री को विशेष स्वास्थ्य दोष हो, तो चीनी की खाली बोरियां छत पर रखें। 4 मंगलवार को मिट्टी के पात्र में शहद भर कर श्मशान में दबा दें। सप्तम भावस्थ मंगल: वैवाहिक सुख के संदर्भ में मंगल की सप्तम भाव में स्थिति विशेष विचारणीय है। ऐसी स्थिति में जीवन साथी की स्वास्थ्य हानि, दांपत्य सुखावरोध तथा व्यावसायिक अनिश्चय की स्थितियां पैदा होती है। सप्तमस्थ मंगल को मीठा हलवा की संज्ञा दी गयी है। सातवें घर में बैठा मंगल यदि कष्टकारक है, तो ऐसा व्यक्ति खामखाह मुसीबत मोल ले कर अपना पारिवारिक जीवन क्लेशकारक बना लेता है। सप्तमस्थ मंगल पर गुरु, शुक्र की संयुक्त दृष्टि उसके जीवन की अभिलाषाओं की पूर्ति में सहायक हो सकती है। उपाय: 1. बुध की कारक वस्तुएं मुफ्त में न लें। 2. कच्ची मिट्टी की दीवार बार-बार बना कर गिराते रहने से शुभ फल प्राप्त होता है। 3. जब बहन घर में आये, वापसी पर उसे मीठे के साथ ही भेजें। अष्टम भावस्थ मंगल: ऐसी स्थिति मांगलिक दोष की चरम सीमा है। ऐसी स्थिति में वैवाहिक सुख नष्ट होता है। जीवन साथी की मृत्यु, मानसिक संताप, आर्थिक क्षति आदि की स्थिति पैदा होती है। ऐसी स्थिति में ही वैघव्य की प्रबल संभावना पैदा हो जाती है। कन्याओं के जन्मांग में अष्टम भावस्थ मंगल सर्वाधिक अशुभ माना गया है। लाल किताब में अष्टमस्थ मंगल को मौत का फंदा कहा गया है। ऐसा व्यक्ति स्त्री पक्ष से शापित माना गया है। अष्टमस्थ मंगल से शनि की युति तथा दृष्टि संबंध विशेष क्लेशकारक दृष्टिगत होती है तथा कभी-कभी तो अकाल मृत्यु की स्थिति भी पैदा हो जाती है। अष्टमस्थ मंगल के क्लेशकारक होने पर निम्न उपाय लाभदायक होते है: 1. तंदूर में लगायी मीठी रोटी 43 दिन तक कुत्ते को दें। 2. घर का मुख्य द्वार दक्षिण की तरफ न रखें। 3. रोटी सेंकने वाला तवा जब गर्म हो जाए, तो उसपर ठंडे पानी से छींटा दे कर रोटी पकाएं। द्वादशस्थ मंगल: सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण दांपत्य सुख को बाधित करता है। जीवन साथी के स्वास्थ्य की हानि, विष बाधा आदि की स्थिति पैदा होती है। लाल किताब में द्वादशस्थ मंगल को व्यर्थ के मामलों में धन खर्च कराने वाला बताया गया है तथा यह स्त्री सुख में व्यवधान देता है। मंगल के अशुभ फल की स्थिति में निम्न उपाय करना लाभप्रद होगा: 1. मीठा भोजन करें और कराएं। 2. सूर्य को मीठे पानी का अघ्र्य देना लाभप्रद होगा। 3. धर्म स्थान में बताशे दान करना लाभप्रद होता है। 4. खाकी रंग की टोपी से सिर को ढक कर रखें।



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