क्या कहतीं हैं मनमोहन सिंह की रेखाएं

क्या कहतीं हैं मनमोहन सिंह की रेखाएं  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 3897 | आगस्त 2006

डाॅ. मनमोहन सिंह अपनी विनम्रता, विद्वत्ता एवं निष्कलुष छवि के लिए जाने जाते हैं। महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि पढ़े-लिखे, अच्छे और संभ्रांत लोग अगर राजनीति से दूर रहेंगे तो उन्हें दुष्ट, अकुलीन तथा अयोग्य लोगों के द्वारा शासित होने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह हमारा सौभाग्य है, तथा भारतीय जनतंत्र के लिए गौरव की बात है कि डाॅ. मनमोहन सिंह सरीखे अर्थशास्त्री, विद्वान और शिक्षाविद् तथा डाॅ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिक राजनीति में हैं और इसी माध्यम से क्रमशः प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित हैं। वास्तव में, प्रधान मंत्री के पद पर श्री सिंह के आसीन होने से पद की गरिमा बढ़ी है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में श्री सिंह की अर्थनीतियों का महती योगदान रहा है। आइए, ज्योतिषीय संदर्भ में, एवं हस्तरेखा के माध्यम से यह समझने का प्रयत्न करें कि सितारे क्या कहते हैं। हस्तरेखा: डाॅ. मनमोहन सिंह की हथेली आदर्श श्रेणी की है जो वर्गाकार हथेली का ही परिषकृत रूप होती है। ऐसी हथेली वाले जातक बुद्धिमान, कर्मठ, अध्यवसायी एवं परिश्रमी होते हैं। शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही प्रकार का श्रम यथेष्ट मात्रा में करने की इनमें क्षमता होती है। लंबी एवं कोणिक उंगलियां होने से व्यक्ति में उच्च कोटि के चिंतन एवं मनन की भी क्षमता होती है। अनामिका का झुकाव मध्यमा की तरफ होने तथा तर्जनी एवं अनामिका के बराबर होने से व्यक्ति अपने ज्ञान, कर्म तथा आचरण के कारण प्रसिद्धि पाता है।


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सभी उंगलियों की पोरें भी विकसित एवं अपेक्षाकृत कम उभरी और समानुपतिक हैं जो व्यक्तित्व के विराट एवं संतुलित होने की परिचायक हैं। अतिशय महत्वपूर्ण पदों पर जाने के लिए जिन विशेष चीजों को हस्तरेखा शास्त्र में देखा अथवा परखा जाता है, उनमें सबसे महत्वपूर्ण स्थान लंबी कनिष्ठा का होता है जो अनामिका की ऊपरी पोर तक पहुंच पाए। यह बुध संबंधी शुभ गुणों के प्राचुर्य का द्योतक होता है। अनामिका एवं कनिष्ठा के बीच खाली स्थान होने से भी बुध संबंधी गुणों का विकास जातक में कुछ इस प्रकार होता है, जिससे वह व्यापार करने, धनार्जन करने या ख्याति बटोरने से ज्यादा मौलिक चिंतन-मनन एवं शोध में समय व्यतीत करता है अथवा वैज्ञानिक होता है। हथेली का गुलाबी रंग तथा इसका मुलायम होना भाग्य की प्रखरता एवं उत्कृष्टता का ही समर्थन करते हैं।

अंगूठा इस हथेली की विशेषता को पूरी तरह से प्रकट कर देता है। लंबी एवं पुष्ट प्रथम पोर दृढ़ इच्छाशक्ति और कठिन परिस्थितियों में भी अविचलित रहने का स्वभाव प्रदर्शित करती है। इसकी कोणीय उठान और इसका पीछे की ओर मुड़ा होना व्यक्ति को संतुलित विचारधारा का स्वामी बनाता है जो नई और आधुनिक बातों को भी अच्छी तरह आत्मसात करता है तथा अपनी पुरानी मिट्टी एवं संस्कृति का ख्याल भी जेहन से नहीं जाने देता है। तर्जनी की तीसरी पोर के मध्य तक पहुंच जाने वाला अंगूठा उत्तम श्रेणी का माना जाता है। श्री सिंह के अंगूठे की तीनों पोरें संतुलित हैं। इसलिए ऐसा समझा जा सकता है कि इनमें इच्छा-शक्ति, तर्क-शक्ति और प्रेम तथा करुणा का मणि-कांचन संयोग है।

प्राचीन सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार अंगूठे पर उपस्थित यव-रेखा या पुष्परेखा व्यक्ति के भाग्यशाली और महान होने का संकेत देती है। ऐसे जातकों को योग-क्षेम की चिंता से कभी भी त्रस्त नहीं होना पड़ता है। यह रेखा कम ही पाई जाती है। गुरु पर्वत बहुत उन्नत न होकर साधारण ही है, परंतु इस पर बना त्रिकोण इसे उत्कृष्टता प्रदान करता है। आमतौर पर राजनेताओं में गुरु पर्वत का उभार कुछ ज्यादा ही देखा जाता है जो अत्यधिक हो जाने के कारण उच्च महत्वाकांक्षा, नेतृत्व करने की उत्कट इच्छा एवं स्वार्थ तथा अहंकार देता है। परंतु इनकी हथेली में गुरु पर्वत और उस पर बना त्रिकोण इन्हें उच्च कोटि का अध्येता, शोधकर्ता एवं ज्ञानी बनाता है।


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गुरु, बुध, मंगल और सूर्य पर्वतों की अच्छी और संतुलित स्थिति के कारण डाॅ. मनमोहन सिंह का नाम एक महान अर्थशास्त्री तथा प्रोफेसर के रूप में लोग जानते हैं। मंगल पर्वत का उभार अपनी उत्तम अवस्था में है तथा ऋणात्मक और धनात्मक दोनों ही मंगल अपने स्थान पर यथावत हैं। ये व्यक्ति को स्वभावतया निडर बनाते हैं। सरकार की नीतियों को बदलने का दबाव, अधिकांशतः सहयोगी पार्टियों से, रहते हुए भी श्री सिंह कुशलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं। इसका कारण इनकी हथेली में मंगल क्षेत्र का विस्तृत होना है। विदर्भ के किसानों का दुख समझने वाला एवं उसका निदान सोचने वाला ऐसी ही स्थिति में कोई हो पाता है। हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच सूर्य पर्वत के नीचे का उभार इनकी विलक्षण प्रतिभा का परिचायक है।

लेकिन शुक्र पर्वत का अपेक्षाकृत दबा होना इनकी जीवनी शक्ति में क्रमशः ह्रास का द्योतक है और इनकी अभिरुचि शुक्र संबंधी चीजों में बहुत ज्यादा नहीं है। अतः ये सादगी और सरलता पसंद हैं और आराम तथा विलासिता के प्रति इनका झुकाव नगण्य है। जीवन रेखा का गोल या वृत्ताकार होना हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार एक उत्तम स्थिति है। जीवन के उत्तरार्ध में इसका ज्यादा गोल होना इन्हें जीवन के उत्तर भाग में ज्यादा राजयोग प्राप्त करा सका। लेकिन जीवन रेखा का उत्तरोत्तर हल्का होते जाना एवं रंग बदल लेना दोनों स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का संकेत देते हैं। अतः आने वाले समय में इन्हें स्वास्थ्य संबंधी विशेष परेशानी से दो चार होना पड़ सकता है।

केतु पर्वत पर द्वीपयुक्त रेखा तथा शुक्र से उसका संयोग दोनों यकृत संबंधी विकारों तथा मधुमेहादि से ग्रस्त होने का संकेत देते हैं। डाॅ. मनमोहन सिंह की मुखाकृति भी सौम्यता तथा विद्वत्ता को प्रकट करती है। इनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट हमेशा देखी जा सकती है। इनकी मुखाकृति सरलता, विद्वत्ता तथा प्रौढ़ता का मिला-जुला रूप है। उन्नत भाल व्यक्ति को प्रसिद्ध एवं प्रशस्त बनाता है। बड़ी नाक से व्यक्ति प्रभावशाली होता है। दाढ़ी और मूंछ अगर कोमल तथा संतुलित हों तो ऐसी स्थिति से भी उपर्युक्त सारी बातें सत्य सिद्ध होती हैं।

घनी भौंहांे के बारे में प्राचीन सामुद्रिक शास्त्र में कहा गया है कि जिन लोगों की भौंहंे इतनी उभरी हों कि आंखंे धंसी हुई मालूम पड़ती हों, वे बहुत जल्दी उत्तेजित नहीं हो पाते हैं। उन्हें समझना जरा मुश्किल होता है। ये लोग बड़े गहरे होते हैं। निष्कर्षतः हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार डाॅ. मनमोहन सिंह का हाथ वास्तव में एक आदर्श श्रेणी का हाथ है।


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