जीवन रेखा द्वारा आयु विचार आयु को देखने के लिए हमें जीवन रेखा को देखना चाहिए। जीवन रेखा लंबी, तंग व् गहरी होनी चाहिए। चौड़ी कदापि नहीं होनी चाहिए। गहरी और अच्छी जीवन रेखा हमारी प्राणशक्ति को और ताकत को बढाती है।... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 18892
वास्तु दोष निवारण के कुछ सरल उपाय घर में जूते –चप्पल, इधर – उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होती है. सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए. रात को सोने से पूर्व अपने इष्टदेव का ध्यान जरुर करना चाहिए...... और पढ़ेंदिसम्बर 2009व्यूस: 12605
त्रिक भावों में ग्रहों का फल एवं उपाय सात्विक, राजसी तथा तामसी प्रवृत्ति जीवन पर्यन्त व्यक्ति के साथ ही चलती हैं चाहे वह कर्म से ब्राह्मण हो अथवा शूद्र अर्थात् उंचे पद पर हो अथवा छोटे पद पर, कोई साधु संन्यासी या पंडित भी यदि तमोगुणी रूचि का हो, दंभ एवं क्रोध उसके स्वभ... और पढ़ेंनवेम्बर 2013व्यूस: 9320
सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ लग्न में विवाह करना जरुरी है. मुहूर्त के आठ अंग कहे गए है, ये आठ अंग तिथि, नक्षत्र, वार, करण, योग, तारा, चंद्र और लग्न है. इन सभी अंगों में लग्न मुहूर्त को सबसे अधिक महत्व दिया गया है. विवाह मुहूर्त में लग्न शुद्धि करना वैवाहिक जीवन को सुखमय, स्नेहयुक्त और दीर... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 8460
कुछ उपयोगी टोटके श्रावण मास में १०८ बिल्व पत्रों पर चंदन से ऊँ नम: शिवाय: लिखकर, मंत्र का जप करते हुए शिवजी को अर्पित करे, ३१ दिन तक यह प्रयोग करने पर घर में सुख-शान्ति एवं सम्रद्धि आती हैं, रोग, बाधा, मुकद्दमा आदि में लाभ व व्यापार में प्रगति होत... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 9567
मां बगलामुखी : कलयुग की संकटहारिणी बगुलामुखी मां की उपासना करने के लिए हरिद्रा अर्थात हल्दी की माला, पीले फूल व् पीले वस्त्रों का विधान है। उपासना का सर्वोत्तम समय रात्रि १० बजे से प्रात: ४ बजे तक का है। दिन रविवार या गुरुवार और योग रविपुष्य या गुरुपुष्य सर्वाधिक ह... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 16338
लाल किताब के उपायों के प्रकार ज्योतिष में जब ग्रहों के उपायों की बात होगी तो लाल किताब का नाम सबसे पहले आयेगा। कुंडली में ग्रहों की नेक या मंदी हालत के मुताबिक़ ही जातक पर अच्छा या बुरा असर पडता है ग्रहों के बुरे। ... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 9212
दश महाविद्या : शाश्वत सृष्टि क्रम गाथा हिन्दू काल गणना के अनुसार एक हजार चतुर्युगी बितने पर ब्रह्मा का एक दिन और उतनी ही लम्बी ब्रह्मा की एक रात्रि होती हैं। ब्रह्मा का एक दिन बीत जाने पर प्रलय रुपी रात्रि और ब्रह्मा की पूर्णायु १०० वर्ष बीत जाने पर महा प्रलय होती हैं।... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 11151
उदर रोग ज्योतिषीय दृष्टिकोण पाप ग्रहों का प्रभाव जैसे-जैसे पंचम भाव, पंचमेश व् पंचम कारक पर बढता जाएगा उदर रोग उतना ही जटिल होता जाएगा। अर्थात उदर रोगों के होने या उनसे मुक्ति में ग्रहों की भूमिका गोचर व् दशाकाल के आधार पर निर्भर होती है। ... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 8816
वास्तु एवं बागवानी भवन के प्रवेश द्वारा के आसपास और बाहर दिवारी (प्रवेश द्वार की ओर) के पास केला, चमेली, चम्पा आदि अत्यंत शुभ फलप्रद होते हैं। इसके अलावा संपूर्ण भवन क्षेत्र की बागवानी में नारियल, अंगूर, अनार, चन्दन, जूही, मोगरा, रातरानी, केसर, केतक... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 9448
शिवरात्रि व्रत एवं पूजन सामग्री महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। वैसे तो प्रत्येक मास कि कृष्ण चतुर्दशी को शिव भक्त मास शिवरात्रि के रूप में व्रत करते है। लेकिन इस शिवरात्री को शास्त्रों के अनुसार बहुत बड़ा महात्म्य है। ... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 14560
श्वित्र (धवल रोग) श्वित्र या सफेद दाग एक त्वचा की बीमारी है। वह कोई जान लेवा बीमारी नहीं परंतु इससे पीड़ित रोगी हीन भावना का शिकार जरूर हो जाता है। आइए जानें इस रोग के कुछ ज्योतिषीय कारण एवं उसके उपाय... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 13606