मन्त्रों द्वारा रोग मुक्ति के उपाय हमारी संस्कृति में मन्त्रों का बहुत अधिक महत्व रहा हैं। इतना अधिक की कभी तो इनकी शक्ति पर विश्वास कर पाना कठिन हो जाता हैं। पुराने जमाने में हमारे ऋषि-मुनि बहुत मन्त्रों का जप करके कठिन तप करते थे और उनमें से बहुत से ऐसे मंत्र है ... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 20520
आपके हस्ताक्षर कहते हैं एक सुशिक्षित व्यक्ति जब अपने हस्ताक्षरों के शब्दों को कुछ विशेष बड़ा, बनावट, घुमाव, बिंदुओं के द्वारा प्रदर्शित करता है, इस प्रकार के हस्ताक्षरों का अध्ययन कर हस्ताक्षर विशेषज्ञों ने जाना कि इससे भी व्यक्ति के व्यक्तित्व, आचरण आदि ... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 7931
सम्पूर्ण कालसर्प यंत्र से अनुकूलता की प्राप्ति कालसर्प योग के समस्त उपायों में नाग-नागिन को ही श्रेष्ट मान कर पूजा की जाती है. इसकी शान्ति चाहे जब की जाए, परन्तु शान्ति करने के समय कालसर्प यंत्र को ही आधार मन कर नागों की पूजा करना श्रेष्ठ होता है. ... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 9114
तन्त्र - मंत्र : अभिन्न सम्बन्ध शिव-शक्ति की तरह तंत्र-मंत्र भी एक दूसरे से जुड़े शरीर और प्राण के समान हैं। जिसमें एक जटिल साधन है तो दूसरा उसकी सर्वव्याप्त संचालिका शक्ति। वस्तुत: मन्त्र ही तंत्र का प्राण है जो उसे जीवंत रूप देता हैं। प्रत्येक क्रिया के अलग-अलग... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 12074
श्री हनुमान जी और ॐ-कार श्री हनुमान जी और ॐ-कार-एक ही तत्व माने गए हैं। जिस प्रकार निराकार ब्रह्म का वाचक साकार रूप के अनुसार ॐ-कार है, उसी प्रकार श्री हनुमान जी नाम परोक्ष रूप से ब्रह्मा-विष्णु शिवात्मक ‘ॐ-कार का प्रतीक है। तांत्रिक ‘वर्णबीज कोश’ के अनु... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 8646
प्राचीनतम नगरी श्री अयोध्या अयोध्या जी में सरयू के किनारे कई सुंदर पक्के घाट बने है. ऋणमोचन घाट, सहस्त्र घाट, लक्ष्मण घाट, स्वर्ग द्वार, गंगा महल, शिवाला घाट, अहल्याबाई घाट, रूपकला घाट, नमा घाट, जानकी घाट, राम घाट प्रमुख है. इन्हीं घाटों पर तीर्थ यात्री सरयू... और पढ़ेंदिसम्बर 2009व्यूस: 8800
उपयोगी टोटके रोज सोने से पहले लौंग को भूनकर खाने से श्वास, अस्थमा में विशेष लाभ होता हैं। नजला-जुकाम में भी लाभ मिलता हैं। लौंग रक्त के श्वेत कणों को बढाता हैं। श्वेत कण ही विभिन्न रोगों के जीवाणुओं को नष्ट करता हैं।... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 29305
विविध रोग भंजक रुद्राक्ष सामान्य रूप से रुद्राक्ष सर्दी और कफ से होने वाले सभी रोगों में उपयोगी हैं. यह उच्च रक्तचाप, स्नायु, दौर्बल्य, उदार-विकार, भूत-प्रेत बाधा तथा चरम रोग आदि में लाभदायक हैं. इससे अनेक चमत्कारिक प्रयोग यहाँ प्रस्तुत हैं. यदि दसमुखी रु... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 6845
उच्छिष्ट गणपति सिद्धि प्रयोग यह एक दिन की साधना है और यदि साधक पूर्ण विधि-विधान के साथ इस साधना को करता है, तो, विश्वमित्र संहिता के अनुसार, इससे उसे पांच लाभ हाथांेहाथ प्राप्त होते हंै। कई बार देखा गया है कि इधर साधना संपन्न होती है और उधर सफलता की भी प्राप्... और पढ़ेंसितम्बर 2013व्यूस: 28597
स्नेह, सद्भावना एवं कर्तव्य का सूत्र : रक्षा बंधन भविष्योत्तर पुराण के अनुसार रक्षा बंधन का परम पवित्र त्योहार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें पराह्नव्यापिनी तिथि ली जाती है। यदि यह दो दिन हो, या दोनों ही दिन न हो, तो पूर्वा लेनी चाहिए। यदि उस दिन भद्रा हो, तो उसका ... और पढ़ेंदिसम्बर 2013व्यूस: 7072
घर की विभिन्न दिशाओं में मंदिर के प्रभाव धर्मग्रंथों के अनुसार ईश्वर कण – कण में विद्यामान हैं। उनकी दृष्टि और कृपा दसों दिशाओं में रहती है। पिछले कुछ वर्षों से वास्तुशास्त्र के प्रति लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ा है। आजकल लगभग सभी अखबारों व् पत्रिकाओं में। ... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 55861
कालसर्प योग के प्रकार एवं फल जिस व्यक्ति की कुंडली में राहू –केतु के मध्य सातों ग्रह आ जाएँ, ऐसे जातक का जीवन अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाला होता है. कालसर्प योग के बारे में कई मत सामने आते है. कालसर्प दोष ज्योतिष् के बहुचर्चित योग है. इस योग से मिलने वाले फल सभी व्य... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 11427