त्रिक भावों में ग्रहों का फल एवं उपाय

त्रिक भावों में ग्रहों का फल एवं उपाय  

व्यूस : 7434 | नवेम्बर 2013
सात्विक, राजसी तथा तामसी प्रवृत्ति जीवन पर्यन्त व्यक्ति के साथ ही चलती हैं चाहे वह कर्म से ब्राह्मण हो अथवा शूद्र अर्थात् उंचे पद पर हो अथवा छोटे पद पर, कोई साधु संन्यासी या पंडित भी यदि तमोगुणी रूचि का हो, दंभ एवं क्रोध उसके स्वभाव में सहज होगा, दूसरों को परेशान करना उसका स्वभाव होगा। लाल किताब में यह विवरण है कि कुछ लोगों के लिए मंदिर अथवा धर्मस्थान की स्थापना करना अशुभ होता है तथा कुछ लोगों के लिए वस्तु विशेष का दान देना भी अशुभ सिद्ध होता है। इसी समस्या की पहचान के लिए आवश्यक है त्रिक भावों में स्थित ग्रहों की तासीर को समझना तथा तदनुरूप उपाय करना। आठवां भाव अष्टम भाव उम्र की लंबाई को मापता है इसलिए इसे मौत का घर, पाताल के अंधेरे का घर कहा जाता है। खोज, आकस्मिक धन, लंबी बीमारी, गहरी चिंता का पता भी इसी भाव से लगाया जाता है। आठवें घर में स्थित विभिन्न ग्रहांे का फल लाल किताब के अनुसार इस प्रकार है। सूर्य कहा जाता है कि चंद्र-सूर्य को अष्टम दोष नहीं लगता परंतु हर किताब में इनके बुरे फल भी गिनवाए जाते हैं। भृगु सूत्रम् के अनुसार अष्टम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति की नजर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति की निगाह कमजोर पड़ जाती है। आठवें घर में सूर्य यदि उच्च का हो मेष राशि में या स्वराशि में सिंह में तो वह शुभ सूर्य माना जाता है। परन्तु यदि सूर्य तुला में हो या उस पर शनि या राहु किसी की दृष्टि हो तो सूर्य अशुभ या कमजोर हो जाएगा। अशुभ सूर्य आर्थिक हालत पर बुरा प्रभाव डालता है। ऐसा सूर्य सांसारिक प्राप्ति पर भी अच्छा फल नहीं देता। सारे ब्रह्मांड को रौशन करने वाला सूर्य आठवें घर में सूखे वृक्ष जैसा हो जाता है। उपाय सूर्य की कारक वस्तु गेहंू 41 दिन या कम से कम 8 दिन किसी धर्मस्थान में प्रतिदिन देना। चंद्रमा आठवें घर में आया चंद्रमा; लग्न कुंडली अथवा गोचर में अमावस की रात होता है। चंद्रमा मन का कारक है। अष्टम् चंद्र के समय व्यक्ति की मानसिक स्थिति मुरझाए हुए फूल के समान होगी। ऐसा चंद्रमा उच्चराशि या स्वराशि का हो या उस पर बृहस्पति की शुभ दृष्टि हो तो व्यक्ति की उम्र लम्बी हो जाती है। यदि चंद्र कमजोर हो तो इंसान की उम्र के लिए अशुभ होता है। अष्टम भाव के स्वामी ग्रह को भी इस दशा में देखा जाता है यदि वह भी शुभ न हो तो इंसान का किसी कुएं, तालाब में डूब कर मरने का खतरा बना रहता है। यदि लग्न में केतु या राहु हो तो मिर्गी जैसी बीमारी होने की सम्भावना रहती है। उपाय बुजुर्गों के श्राद्ध के समय दूध की बनी चीजें दान में दी जाएं। - श्मशान के कुएं अथवा नल का पानी कांच की बोतल में भर कर घर में रखें। - यदि दूसरे घर में राहु केतु जैसे चंद्रमा के दुश्मन ग्रह हों तो बोतल में दूध भरकर उस पर ढक्कन लगा कर किसी वीरान जगह की मिट्टी में दबा देना चाहिए। मंगल आठवें घर में मंगल होने पर जातक के पिता की उम्र को खतरा होता है। यह जातक को मंगलीक भी बनाता है। आठवें घर का मंगल एक तपती भट्ठी है। ऐसा व्यक्ति यदि अपने घर में भट्ठी खोदकर विवाह आदि अवसर पर खाना बनाए तो उसकी संतान के घर संतान नहीं होती अर्थात् वंश नहीं बढ़ता। आठवें घर में मंगल होने पर यदि व्यक्ति ननिहाल में रहे तो उसकी किस्मत नहीं जागती। उपाय - मिट्टी के कुल्हड़ में शहद भर कर ढक्कन लगा कर किसी वीरान जगह में दबाना चाहिए। यदि तीसरे घर में बृहस्पति, चंद्रमा से युक्त हो अथवा इनकी दृष्टि हो तो- - हाथी दांत की कोई वस्तु धारण करें। - आठ दिन तक हर रोज आठ मीठी रोटियां पकाकर कुत्तों को खिलाएं (यदि वंशवृद्धि में समस्या हो)। - विधवा औरत का आशीर्वाद लें।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.