लक्ष्मी के अति प्रिय उल्लू की विशिष्टता

लक्ष्मी के अति प्रिय उल्लू की विशिष्टता  

व्यूस : 47608 | नवेम्बर 2013
प्रकृत्ति प्रदत्त कुछ प्राणी या जीव केवल उदित प्रकाश में ही देख पाते हैं व कुछ शेर, गीदड़, कुत्ते, बिल्ली आदि जैसे जीव अंधकार व प्रकाश दोनों ही अवस्थाओं में, किंतु इनसे विपरित अणुवीक्षण दृष्टि रखने वाले अनोखे पक्षी उल्लू के नेत्रों की सूक्ष्म ऊर्जा अर्थात नेत्रों के अति सूक्ष्म प्रकृति वाले तारे प्रकाश की अति तीव्रतां को नहीं सहन कर पाते, जिसके परिणामतः उसके लिए अंधकार की अपेक्षा प्रकाश में देख पाना संभव नहीं होता। किंतु अपने इन्हीं अणुसूक्ष्मी विशिष्टताओं के फलस्वरूप ही अंधकार काल में विचरण करने वाले निशाचरों अर्थात अदृश्य छायावी शक्तियों को ये सरलता से देख लेते हैं, जिन्हें साधारणतः मनुष्यों के लिए देख पाना संभव नहीं हो पाता। अतः इस अनोख पक्षी से जुड़ी कुछ अवधारणाएं व गुण-विशेषी महत्ताएं आपके समक्ष प्रस्तुत की जा रही हैं: नकारात्मक मान्यताएं: इस अनोखे पक्षी के संदर्भ में समाज में अनेक मिश्रित अवधारणाएं हैं। साधारणतः विरान, भयानक खंडहरों, जंगलों व घने बाग-बगीचों में रहने वाले इस पक्षी को निर्जनता व विपदा का प्रतीक माना गया है। शकुन शास्त्र में वर्णित तत्वों से ऐसा ज्ञात होता है कि उल्लू नित्य जिस स्थान या भवन पर बैठने लगे उस भाग पर रहने वाले लोग आपदाओं व अपशकुनों की परिधि में निहित हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि अर्धरात्रिकाल में यदि यह पक्षी जिस व्यक्ति के नाम को बार-बार पुकारे तो उस व्यक्ति की शीघ्र ही मृत्यु की आशंकाएं उत्पन्न हो जाती हंै। अशुभ व संकट के सूचक इस पक्षी को कुछ क्षेत्रों में मूर्खता या बेवकूफी जैसे मुहावरों के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है। सकारात्मक मान्यताएं: तमाम अवधारणाओं के अतिरिक्त व्यावहारिक अनुभवों व अनुसंधानों से ऐसा विदित होता है कि उल्लू का बोलना अशुभ नहीं बल्कि उस स्थान विशेष पर भूत-प्रेत, खबीस, जिन्न, जिन्नात आदि जैसे नकारात्मक तत्वों के विद्यमान होने के संकेत या सूचक हैं जिसे वो अपने प्रत्यक्ष नेत्रों से देखकर हमें सावधान करता है। इस लिए इसे अपशकुन न समझकर इस उपलब्ध सूचना के तांत्रिकीय समाधान की आवश्यकता है। ज्योंहि इस स्थान से ऐसी छायावी शक्तियां पलायित कर जाती हैं त्योंहि उस स्थान विशेष से इस पक्षी के शुभ व सकारात्मक पक्षों की कई अन्य मान्यताएं भी हैं। कई विख्यात व्यवसायियों के द्वारा अपने व्यापारिक चिह्नों में इस पक्षी के चित्र को प्रयुक्त करने तथा अपने कार्य-क्षेत्र को अति शिखर तक पहुंचा देना जैसी सफलताओं के अनेक उदाहरण देखे जा सकते हैं। इस क्रम में विश्व प्रसिद्ध हथियार के व्यापारी मोनासिस, भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रपति कैनेडी की अरबपति पत्नी जैकलीन तथा भारत के प्रसिद्ध प्रकाशन पुस्तक महल के व्यापारिक चिह्नों के रूप में इस पक्षी के चित्र के प्रयोग के प्रमाण अतिप्रमुख हैं। आध्यात्मिकीय व ज्योतिषीय अवधारणाएं विरान, विकृत भयावह व भिन्न-भिन्न अपशकुनों जैसी समाजिक अवधारणाओं से जुड़े इस पक्षी को आध्यात्मिकीय मान्यताओं में अंधकार में ज्योति अर्थात दिव्य दृष्टि का प्रतीक माना गया है। धार्मिक क्षेत्रों में अति सम्मान पूर्वक स्थान रखने वाले इस पंक्षी को देवी लक्ष्मी के वाहन तथा धन-समृद्धि में वृद्धि अर्थात धन प्रदायक मानक की संज्ञा भी दी गई है। साथ-साथ शुभ लाभ व देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता हेतु इस पक्षी के प्रति सम्मान व उससे जुड़ी साधनाओं को इस क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसके अतिरिक्त ज्योतिषीय अवधारणाओं में भी आर्थिक क्षेत्रों के विकास, धन-लाभ व शुक्र ग्रह से संबंधित दोषों अथवा उससे जुड़े विषयों के निराकरण हेतु भी इस पक्षी से जुड़ी साधनाओं तथा उनके चिह्नों या चित्रों के प्रयोगों को अत्यंत लाभप्रद समझा जाता है।



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