ज्योतिष से जानें जीविका के रहस्य जन्म कुंडली का दशम भाव व्यक्ति की आजीविका की व्याख्या करता है. दशम भाव कों कर्म स्थान के नाम से भी जाना जाता है. आज के युवा वर्ग के मन में इस प्रकार की जिज्ञासा सर उठाती रहती है|... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 19926
विद्या और बुद्धि के योग सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार विद्या कारक बृहस्पति और बुद्धि कारक बुध दोनों एक साथ हों अथवा एक-दूसरे से दृष्ट हों तो भी जातक राजा अथवा एक – दूसरे से दृष्ट हों तो भी जातक राजा अथवा जनता से बहुत ।... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 17511
सितंबर माह के मुख्य व्रत त्योहार सितंबर कुशग्रहणी अमावस्या: भाद्र कृष्ण अमावस्या को कुशग्रहणी के नाम से जाना जाता है। अमावस्या को कुशा स्थान पर जाकर पूर्व अथवा उत्तर मुख होकर बैठें। ब्रह्माजी का ध्यान करके हुं फट् इस मंत्र का उच्चारण करके दायें हाथ से कुशा उखाड़ं... और पढ़ेंसितम्बर 2013व्यूस: 6842
क्या है शकुन पर तुलसी के विचार ज्योतिष शास्त्र का एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण अंग हैं-शकुन शास्त्र. हमारे शास्त्रों में गणित ज्योतिष के अठारह और शकुन के दस आचार्य माने गए हैं। शकुन शास्त्र का विवेचन तो हमारे समस्त आर्य ग्रंथों में भी हुआ हैं। हामारे शास्त्रों के अनु... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 9139
कितनी सम्पतियों के स्वामी हो सकते है आप यदि हाथ चमकदार व् गद्देदार हो, अंगुलियाँ पीछे की तरफ झुकाती हो, व् अंगूठा भी पीछे की तरफ मुड़ता हो, भाग्य रहा की संख्या एक से अधिक हो, भाग्य रेखा बगैर रुके मणिबंध से सीधे शनि क्षेत्र पर जाती हो, तो ऐसे व्यक्ति अथाह संपतियों के माल... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 7608
ऐतिहासिक शैव तीर्थ श्री कोचेश्वर नाथ यह मंदिर बिहार की राजधानी पटना से १२५ कि. मी. दूर तथा गया जिले के मुख्यालय से ३१ कि. मी. उतर-पश्चिम कोण पर स्थित हैं। इस मंदिर कि सबसे बड़ी खासियत इसकी निर्माण पद्वति है जो ईंटों से बने प्राचीन भारत के पुराने व सही सलामत मंदिरों म... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 6209
भारतीय तीर्थों का गुरु है पुष्कर राजा – रजवाडों की धरती राजस्थान की पावन भूमि अजमेर से ९९ कि। मी। कि दूरी पर नाग पर्वत के उस पार बसा छोटा-सा कस्बा पुष्कर न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य के कारण, वरन अक्षुण्ण धार्मिक महत्व के चलते देश–विदेश के सनातन धर्मावलम्बियों। ... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 7219
टैरो पद्वति एवं भारतीय ज्योतिष अबूझ को बूझना, अनसुलझे रहस्यों का भेद जानना मानव मन की चिरंतन पिपासा रही है. भविष्य के गर्भ में हमारा भाग्य कैसा है. यह जानने की उत्सुकता संपूर्ण मानव जाती में सदा से ही रही है. इसी उत्सुकता ने जन्म दिया, संपूर्ण ... और पढ़ेंमार्च 2012व्यूस: 6641
शनि ग्रह की शुभता के लिए उपाय जन्म कुंडली अथवा गोचर के अशुभ शनि या शनि की दशा – अंतर्दशा की पीड़ा से प्रभावित जनों को तात्कालिक लाभ एवं प्रगति के लिए सदाचार, सद्व्यवहार व धर्म आदि को अपनी दिनचर्या में आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए। । ... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 12793
माता सरस्वती विद्या प्राप्ति हेतु रिझाएं बसंत पंचमी पर्व पर शास्त्र आनंद है वैसे ही विद्याएं भी कई प्रकार की है। बसंत पंचमी के दिन “ ऊँ सरस्वत्यै नम:” के उच्चारण के साथ प्रणाम निवेदन करते हुए सरस्वती जी का आवाहन कर उनका श्रद्धा। ... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 13941
श्री यंत्र : स्वरूप और साधना श्रीयंत्र जैसा की नाम है श्री अर्थात लक्ष्मी जी का यंत्र है, जिसकी साधना से साधकों को भुक्ति, मुक्ति, ऐश्वर्य सभी प्रकार के वैभवों तथा लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति होती है। इसकी स्थापना उपासना से निर्धनों के घर में भी लक्ष्मी का आग... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 8193
वक्री शनि, अशुभ ही नहीं शनि का नाम आने का मतलब है। एक विस्तृत भय – असुरक्षा – कुफल का वातावरण। समझ से परे है की बिना किसी गहन ज्ञान के इतनी नकारात्मक सोच रखना। उत्तरदायी निश्चित ही संपूर्ण ज्योतिष जगत ही है। प्राय: शनि के वक्रत्व काल को अत्याधिक अशुभ। ... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 31150