अंक ज्योतिष की प्रचलित पद्वतियां

अंक ज्योतिष फलादेश की अनेक विधायों में से एक सुलभ व् सटीक विद्या है। जिसके आधार पर विश्व भर में गणना एवं फलादेश किए जाते है। इसकी मुख्यत: तीन पद्वतियां प्रचलित है- कीरो, सेफेरियल और पाइथागोरस। इनमें। ... और पढ़ें

सितम्बर 2008

व्यूस: 13083

हनुमान का पृथ्वी वास

ब्रह्मलोक में देवी सरस्वती उस प्रकाश की आभा से आश्चर्य चकित होकर शीघ्र ब्रहमाजी के निकट गई और बोली. “भगवन, हमारा लोक तो आपके दिव्य प्रकाश से ही स्वयं दीप्त रहता है. फिर यह अतिशय दिव्य प्रकाश आज सहसा कहाँ से प्रस्फुटित... और पढ़ें

नवेम्बर 2009

व्यूस: 11676

गृह प्रवेश मुहूर्त

नए मकान या कार्यालय के गृह प्रवेश या उद्घाटन हेतु शुभ समय विचार करने के लिए यहां पर संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है जिनके अनुरूप ग्रह प्रवेश करने पर ग्रहस्थ जीवन सुखमय हो जाता है।... और पढ़ें

नवेम्बर 2009

व्यूस: 24956

ग्रह स्थिति एवं व्यापार

गोचर फल विचार मासारंभ में देव गुरु बृहस्पति एवं दैत्य गुरु शुक्र दोनों ग्रहों का वक्री गति में होना वरिष्ठ उच्चाधिकारी का शासकीय साम्राज्य समाप्त होने का संकेत देता है। कहीं सत्ता का परिवर्तन भी करवाएगा। आम जनता को राजनैतिक भ्रष्ट... और पढ़ें

जनवरी 2014

व्यूस: 5328

लाल किताब के ऋण

पंचम भाव में पापी ग्रहों के होने से जातक को स्वऋण होता है। प्राचीन परम्पराओं के अपमान और जातक के नास्तिक स्वभाव के कारण यह ऋण होता है। इस ऋण के प्रभाव से जातक को शारीरिक कष्ट, मुकद्दमे में हार, राजदंड, प्रत्येक कार्य में संघर्ष आद... और पढ़ें

जून 2008

व्यूस: 9179

लाल किताब में वर्णित उपायों का चयन

ज्योतिष शास्त्र मनुष्यों के पिछले जन्मों के कर्म फल को जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति द्वारा दर्शाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में एक अध्याय ग्रहजन्य कष्टों के निवारण के उपायों का होता है, जिसमें लग्नेश तथा लग्न के लिए शुभ ग्र... और पढ़ें

जून 2008

व्यूस: 10544

फलादेश में अंकशास्त्र की भूमिका

अंकशास्त्र में भी ज्योतिष के समान दशा पद्वति एवं अन्य विधाओं की तरह फलादेश करने की क्षमता हैं, इनकी फलादेश विधि उदाहरण सहित बताई गई हैं। ... और पढ़ें

दिसम्बर 2012

व्यूस: 5197

विविध स्वप्नों के निहितार्थ

स्वप्न के बारे में अनेक मत पाये गये हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में इस विषय पर बहुत चर्चा की गईं हैं। स्वप्न की प्राय: तीन अवस्थायें होती हैं। जागृत अवस्था, स्वप्न अवस्था तथा सुषुपति अवस्था। रात को पहले पहर में आने वाले स्वप्न प्रा... और पढ़ें

जून 2012

व्यूस: 22485

श्रीयंत्र की उत्पति एवं महत्व

श्रीयंत्र नाम से ही स्पष्ट है की यह श्री अर्थात लक्ष्मी जी का यंत्र है। इस यंत्र में लक्ष्मी का साक्षात वास माना गया है। लक्ष्मी जी स्वयं कहती है की श्रीयंत्र तो मेरा आधार है, इसमें मेरी आत्मा वास करती है। श्रीयंत्र सभी यंत्रों मे... और पढ़ें

अकतूबर 2008

व्यूस: 8596

हॉलीवुड अभिनेत्री-जूलिया राबर्ट

अपने जीवन में तमाम कठिनाईयों के बावजूद जूलिया ने कैसे सफलता की ऊंचाइयों को प्राप्त किया। आइए उनकी कुंडली द्वारा जानने की कोशिश करें।... और पढ़ें

जनवरी 2009

व्यूस: 4716

पढ़ाई में मन की एकाग्रता हेतु सरल, चमत्कारी टिप्स

एक थाली में केसर में गंगाजल मिलाकर बनी स्याही से स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। उस पर नेवैध्य चढाएं। सामने शुद्ध घी का दीपक जला कर रखें । ऊपर वर्णित किसी स्त्रोत से माँ सरस्वती की स्तुति करें। इसके बाद थाली में जल मिलाकर। ... और पढ़ें

फ़रवरी 2008

व्यूस: 17824

राहू केतु के प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने वाला चमत्कारिक यंत्र

जन्म के समय सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, जैसे दोषों के होने से जो प्रभाव जातक पर पडता है। वहीँ प्रभाव काल सर्प योग होने पर पडता है। कुंडली में कालसर्प होने से जातक कि अपेक्षित प्रगति में अडचने आती है। ... और पढ़ें

आगस्त 2008

व्यूस: 12828

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