असामयिक मृत्यु विभिन्न ग्रह जातक के आयु पक्ष को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ? ज्योतिष के सिद्धांतों द्वारा आसानी से पता लगाया जा सकता है। आइए दीर्घ आयु, अल्प आयु व असामयिक मृत्यु के कारणों पर नजर डालें... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 9667
संत एवं राजनेता कारक ग्रह राहू कुंडली में यदि राहू कमजोर और धनु राशि या वृश्चिक राशि का हो तो जातक छल, प्रपंच, फरेब आदि से दूर रहता है। उसका विचार एवं कार्य स्पष्ट होता है। उसे संत श्रेणी में गिना जाता है। इसके विपरीत यदि राहू बलवान हो तो जातक को छली और फरेबी ब... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 14764
तारा महाविद्या साधना मणिपदमा तारा का ही तिब्बती नाम है। इसी साधान के बल पर वह असामान्य तथा असंभव लगाने वाली क्रियाओं को भी करने में सफल हो पाते है। तारा महाविद्या साधना सबसे कठोर साधनाओं में से एक है।... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 21142
हस्त रेखा से जानिए जातक की विद्या रूचि मस्तिष्क रेखा का झुकाव व्यक्ति की रूचि की ओर इंगित करता है। यदि मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत की ओर जा रही है। तो जातक जरुरत से ज्यादा कल्पानाशील होता है। ओर व्यापारिक व्यवहार, उच्च गणित एवं व्यापारिक आकलन । ... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 19951
कैसा हो विद्यार्थियों का अध्ययन कक्ष शिक्षा वास्तु यदि सूर्य की सुबह की किरणें अध्ययन कक्ष में आती हों तो खिडकी दरवाजे सुबह के वक्त खोलकर रखने चाहिए ताकि सुबह के सूर्य को सकारात्मक ऊर्जा का लाभ मिल सके। यदि सूर्य की शाम की किरणें आती हों तो बिल्कुल न खोलें ताकि दोपहर । ... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 13817
सम्मोहन उपचार हमारा शरीर एक भौतिक पदार्थ है लेकिन आत्मा का कोई भौतिक स्वरूप नहीं है अत: यह हमारे शरीर का अंग नहीं हैं बल्कि यह शरीर को चलायमान रखने वाली अभौतिक ऊर्जा हैं। यह भी कहा जाता है ऊर्जा तो दो पदार्थों की प्रक्रिया का एक नतीजा मात्र हैं... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 8792
किससे करें स्थापित प्रेम सम्बन्ध, प्रेम शब्द स्वयं में ही बहुत माधुरी समेटे हुए है और इस विश्व में रिश्तों की धुरी भी हैं। सभी गीत, संगीत, कहानियाँ, चित्रपट, कलाकृतियाँ, प्रेम को संजोए हुए होती हैं। बच्चे के जन्म लेते ही उसे मिलता है मां का, न मिटने वाला निस्वार्थ... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 9562
मिड लाइफ क्राइसिस मिडलाइफ क्राइसिस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम इलियट जैक्स ने 1965 में किया। वास्तव में चालीस की उम्र को जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ माना गया है। यहां पहुंचकर व्यक्ति को झटका सा लगता है। ऐसा होने का एक कारण इस समय में अचानक माता-पिता की... और पढ़ेंजनवरी 2014व्यूस: 8409
राजा कों रंक और रंक कों राजा बनाता है. “नीलम” शनि कों सभी ग्रहों में न्यायाधीश का स्थान दिया गया है. जन्म कुंडली में शनि शुभ और बली स्थिति में होने पर व्यक्ति कों ऐश्वर्य, योग, यश, मान-सम्मान और मोक्ष देता है. शनि की कृपा व्यक्ति कों रंक से राजा बनाती है. इसके विपरीत स्थिति ह... और पढ़ेंआगस्त 2011व्यूस: 21930
ग्रहबाधा निवारण हेतु सप्तवार व्रत वारव्रत का महत्व श्रुति, स्मृति एवं पुराणों में विशिष्टता के साथ वर्णित है। सप्ताह के प्रत्येक वार का काल सूर्यदे से अगले सूर्योदय तक रहता है। श्रेष्ठता के अनुसार भी व्रत रखने के लिए वार का क्षय नहीं होता है। किन्तु तिथि नक्षत्र क... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 10356
अभिजीत: एक उत्तम मुहूर्त यजुर्वेद के अनुसार २७ नक्षत्रों को गन्धर्व कहा गया है. स्कन्द पुराण में २७ नक्षत्रों को चंद्र की पत्नियां बताया गया है. अथर्ववेद के १९वें कांड के ७वें सूक्त में अश्विनी, भरणी आदि क्रम से २६ नक्षत्रों के नाम दिए गए है... ... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 30077
राहू-केतु का फलित सिद्धांत राहू और केतु दोनों छाया ग्रह है। इनका अपना कोई अस्तित्व नहीं है। ये दोनों जिस भाव में स्थित हों या जिस भावेश के साथ हों उनका फल प्रबल रूप से करते है। पराशरी के अनुसार राहू या केतु जिस भाव में जिस ग्रह के साथ होगा उसी के अनुरूप फल।... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 27385