हस्त रेखा से जानिए जातक की विद्या रूचि

हस्त रेखा से जानिए जातक की विद्या रूचि  

व्यूस : 18545 | फ़रवरी 2008
हस्त रेखा से जानिए जातक की विद्या रूचि सात प्रमुख हस्त रेखाओं में मस्तिष्क रेखा ऐसी रेखा है, जो व्यक्ति का रुझान प्रकट करती है। इस रेखा का उद्गम कभी आयुष्य रेखा से होता है, तो कभी यह स्वतंत्र रूप से गुरु पर्वत के मूल से निकल कर आगे बढ़ती है। स्वतंत्र मस्तिष्क रेखा का अर्थ है निरावलंबी विचार प्रणाली, अर्थात स्वतंत्र निर्णय क्षमता, लगन एवं ‘एकला चलो’ की प्रवृत्ति। ऐसे जातक नौकरी नहीं कर सकते। अगर नौकरी करते भी हैं, तो उच्च पद पर विराजमान होना ही पसंद करते हैं। मस्तिष्क रेखा का झुकाव व्यक्ति की रुचि की ओर इंगित करता है। यदि मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत की ओर जा रही है, तो जातक जरूरत से ज्यादा कल्पनाशील होता है और व्यापारिक व्यवहार, उच्च गणित एवं व्यावहारिक आकलन शक्ति में असफल रहता है। उसकी कल्पनाशीलता से ही कला क्षेत्र में उसकी शक्ति सिद्ध होती है। इसके विरुद्ध, यदि यह रेखा सीधी हथेली के अंत में आ कर, ऊपर बुध पर्वत की ओर मुड़ कर समाप्त हो जाए, तो व्यक्ति विज्ञाननिष्ठ होता है। निरर्थक कल्पना शक्ति का अभाव, कोरी आकलन शक्ति, उच्च बौद्धिक स्तर, एक अच्छे वैज्ञानिक, या तकनीशियन को जन्म देते हैं। यदि यही रेखा आधे रास्ते तक सीधी आ कर, 85 डिग्री का कोण बनाती हुई, नीचे मुड़ जाए और हथेली के पार जा कर समाप्त हो जाए, तो ऐसे व्यक्ति कल्पना शक्ति एवं व्यावहारिकता का समन्वय साधते हैं। व्यापार में इन लोगों को अत्यंत लाभ होता है। किसी की हथेली को अपनी हथेली में लेने पर सर्वप्रथम हमें हथेली की लंबाई और अंगुलियों की लंबाई में फर्क दिखता है। कहीं हथेली बड़ी है और अंगुलियां तुलनात्मक रूप से छोटी। कहीं अंगुलियां हथेली से लंबी हैं, तो कहीं दोनों समान अनुपात में है। इन अनुपातों का अपना अलग-अलग अर्थ है। यदि अंगुलियों की अपेक्षा हथेली बड़ी है, तो व्यक्ति सामने आने वाले तथ्यों पर ही अधिक विश्वास करता है। उन्हीं के आधार पर किन्हीं ठोस परिणामों पर पहुंचता है और निर्णय लेने में भी सक्षम होता है। विज्ञान भी ऐसे ही गुणों का मोहताज होता है। वैज्ञानिक कभी भी व्यर्थ कल्पना को अपनी खोज, या शोध का आधार नहीं बनाता। कुछ अंगुलियां ऐसी दिखेंगी, जिनकी लंबाई हथेली की अपेक्षा ज्यादा है। ऐसे व्यक्ति भावनाप्रधान, हमेशा स्वप्न देखने वाले और वास्तविकताओं से दूर रहने वाले होते हैं। उन्हे शेक्सपीयर की रचनाओं का अर्थ जल्दी समझ में आएगा। परंतु रसायनशास्त्र का छोटा समीकरण भी उन्हें उबाऊ और दुरूह लगेगा। ऐसे व्यक्ति कला शाखा के उत्तम विद्यार्थी साबित होते हैं। जिनकी अंगुलियों का अनुपात हथेली के समान है, वे जीवन में कल्पना शक्ति और वास्तविकता का अच्छा मेल साधते हैं। उन्हें प्राप्त तथ्यों से सटीक अनुमान लगाना आता है और उनके आधार पर तुरंत निर्णय लेना और कार्यवाही करना भी आता है। ऐसे व्यक्तियों की वाणिज्य क्षेत्र में काफी उन्नति होती है; फिर चाहे वे किसी भी स्तर पर कार्य कर रहे हों। गुरु पर्वत के नीचे और मंगल से ऊपर अगर क्राॅस है, तो जातक को तत्व ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है। कनिष्ठिका अंगुली के मूल में तिल हो, या फिर मस्तक रेखा का अंत चंद्र पर दो शाखाओं से होता हो, तो जातक को विविध प्रकार की विद्या प्राप्त होती है। बुध का पर्वत सूर्य की ओर ढलता हो और साथ में सूर्य रेखा और बुध रेखा दोष मुक्त हों, तो जातक डाक्टर, वकील, या अच्छा चित्रकार हो सकता है। विद्या प्राप्ति के बारे में जानने के लिए, मस्तक रेखा के अलावा, बुध, सूर्य, गुरु के पर्वत की स्थिति ध्यान में रखनी चाहिए। बुध रेखा किसी तिरछी रेखा से कटती हो, या अशुभ चिह्नों वाली हो, तो विद्या प्राप्ति में रुकावटें आती हैं। सीधी, पतली और गहरी मस्तक रेखा अच्छी विद्या की सूचक है। मध्यम अंगुली के दूसरे पोर में आड़ी रेखा वाला जातक अनपढ़ रहता है; या फिर थोड़ी बहुत पढ़ाई के बाद भी अज्ञानी ही रहता है। जीवन रेखा के साथ मस्तक रेखा अगर जंजीरनुमा हो, तो जातक विद्या में असफल रहता है।



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