आरोग्य व्रत सहस्त्रों सिर वाले विराट पुरुष नारायण के नाभि सरोवर के कमल से ब्रह्माजी की उत्पति हुई। ब्रह्माजी के पुत्र हुए अत्री। वे अपने गुणों के कारण ब्रह्मा जी के सामान ही थे। उन्हीं अत्रि के नेत्रों से अमृतमय चन्द्रमा का जन्म हुआ। ... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 7984
क्या व्यस्त करते है जन्म कुंडली के भाव लाल किताब मूल रूप में चाहे अरबी या फारसी भाषा में रही हो लेकिन यह अरुण सहिंता का रूप ही। इसका उर्दू अनुवाद भी हुआ है। इस किताब की मान्यताएं एवं व्यक्ति द्वारा पूर्वजन्म में किए गये दुष्कर्म जनित कुयोगों से बचने के लिए। ... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 11940
यंत्राकृति में शिव-शक्ति संबंध मनुष्य अपनी जिज्ञासु प्रवृति के कारण प्रकृति एवं ब्रह्माण्ड के रहस्यों के बारे में जानने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहा हैं। यह भी सर्वमान्य एवं सर्वविदित हैं। की ब्रह्माण्ड में स्थित समस्त चर अचर जगत में आपसी सम्बन्ध है।... और पढ़ेंजुलाई 2012व्यूस: 8594
शनि शान्ति के अचूक उपाय शनि ग्रह ४ अगस्त २०१२ को मार्गी होकर पुन : कन्या से तुला राशि में प्रवेश करेंगे. अत: इस राशि संक्रमण से प्रभावित होने वाले जातक शनि शान्ति के लिए जो प्रभावी उपाय कर सकते है वे इस लेख में दिए जा रहे हैं. ... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 10984
रंग और उमंग का पर्व होली जानिए पूर्णिमा को होली का पूजन व होलिका दहन तथा फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा को धुलेंडी दोनों का पौराणिक महत्व... और पढ़ेंमार्च 2009व्यूस: 4771
हथेली पर राहू-केतु जिस प्रकार किसी जातक कि जन्म कुंडली में ग्रहों का स्थान समय एवं स्थान विशेष के अनुसार नियत होता है, उसी प्रकार जातक विशेष कि हथेली में भी ग्रहों का स्थान नियत है। राहू का स्थान हथेली में मस्तक रेखा के नीचे और चन्द्र स्थान के ऊपर ह... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 9531
दीपावली पर तंत्र एवं तांत्रिक वस्तुओं का महत्व दीपावली का पर्व विशेष रूप से शाक्तों का पर्व है। शाक्त अथवा तांत्रिक वे होते है जो विभिन्न दस महाविद्याओं या महाशक्तियों में से किसी एक ही उपासना करते है। दीपावली की रात को शाक्त शक्ति का विशेष रूप से आवाहन करते है। ... और पढ़ेंअकतूबर 2008व्यूस: 22933
बृहस्पतिवार व्रत बृहस्पतिवार व्रत किसी भी बृहस्पतिवार से प्रारंभ किया जा सकता है। यदि किसी शुक्लपक्ष से गुरवार को अनुराधा नक्षत्र का योग हो और उस दिन यह व्रत शुरू किया जाए तो अत्यंत फलदायी होता है। बृहस्पतिवार क आराध्य गुरु है। गुरु का तात्पर्य ऐस... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 16921
मानव जीवन में शकुन एवन स्वप्न का प्रभाव कब, कहाँ और कैसे ज्योतिष को त्रिस्कन्ध कहा गया है-सिद्धांत, संहिता और होरा। कालांतर में सिद्धांत के दो भाग और हुए पहला तंत्र और दूसरा करण. संहिता में मूलत: ग्रहों के उदायास्तादी के फल, ग्रहचार एवं ग्रहण-फलादि ही थे। बाद में शकुन और स्वपनअध्याय इसम... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 10111
द्वितीय भाव में अग्नि तत्व राशिस्थ सूर्य का फल प्रस्तुत लेख में विभिन्न अग्नि तत्व राशियों में द्वितीय भावस्थ सूर्य के फलों का विश्लेषण प्रस्तुत है।... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 7245
कुंडली में रोग विश्लेषण एवं उपाय सौर मंडल के सभी ग्रह समस्त ब्रह्माण्डको प्रभावित करते है। प्रत्येक ग्रह की अपनी विशेषताएं है। शनि को दुःख और अभाव का कारक ग्रह माना जाता है। किन्तु जन्म के समय यदि वह बलवान हो तो जातक के दुखों का शमन करता है। ... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 11439
पर्वों से जुड़ी शास्त्रोक्त लोक गाथाएं भारत में पर्वों की बरसात है। हर महीने किसी न किसी प्रांत में कोई न कोई पर्व होता रहता है। परंतु कुछ पर्व ऐसे होते हैं जो संपूर्ण भारत में भिन्न-भिन्न नामों से बड़े उत्साह के साथ मनाये जाते हैं। जैसे होली, दशहरा, दुर्गा पूजा, गणेश ... और पढ़ेंदिसम्बर 2013व्यूस: 6779