कुछ सरल महत्वपूर्ण मुहूर्त शुभ मुहूर्त में कार्यारम्भ करने से सफलता सुगमता से प्राप्त होती है. कुयोग में यदि शुभ योग आ जाएं तो वे अशुभ योगों का फल क्षीण कर देते है. कुछ मुहूर्त स्वयंसिद्ध या अबूझ मुहूर्त कहलाते है. इन्हें प्रयोग करने पर चंद्र, देवशयन, दुष्ट... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 6906
ज्योतिष से करें शिक्षा क्षेत्र का चुनाव शुक्र स्वराशि का हो कर केन्द्र या त्रिकोण में हो, तो व्यक्ति अभिनेता बन सकता है। बुध और शुक्र की युति जन्म पत्री में तृतीय भाव में हो रही हो तो व्यक्ति सिनेमा के क्षेत्र में कदम रखता है। शुक्र एवं बुध लग्नेश से युत हों, तथा भाव बल... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 10038
लाल किताब के अनुसार कुंडली विश्लेषण कैसे करें लाल किताब के अनुसार कुंडली विश्लेषण किए जाने पर यह महत्वपूर्ण है की उसमें दोषों का निवारण कैसे करें यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। जैसे – भाव १ में यदि भाव १० का शत्रु ग्रह बैठ जाए तो यह टेवा अंधे ग्रहों का देवता होता है। यदि शनि भा... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 49366
करियर में श्रेष्ठता के ज्योतिषीय मानदंड करियर परिचर्चा लेख शृंखला की इस कड़ी में इस विषय पर चर्चा की जाएगी कि जिससे पाठक वृंद जन्मकुंडली की उन विशेषताओं से अवगत हो सकेंगें जिनके फलस्वरूप जातक अपने जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुंच सकता है, अपने कार्य क्षेत्र में कुशल हो ... और पढ़ेंजनवरी 2014व्यूस: 9699
विवादित वास्तु प्रश्न: सीढ़ियां कहां तथा किस दिशा में होनी चाहिए? इसके गलत स्थान व दिशा में होने से घर में लोगों को क्या समस्याएं हो सकती हैं? इसको ठीक करने में प्रभावी उपाय क्या हो सकते हैं?... और पढ़ेंजुलाई 2013व्यूस: 13290
शंखों का रहस्यमय संसार शंखों कों आयुर्वेद चिकित्सा में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद में शंख भस्म का प्रयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है. इस भस्म के प्रयोग से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है. वैज्ञानिक स्टार पर भी इसकी प्रमाणिकता सिद्ध हो... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 9489
नवग्रहों के नक्षत्रों में स्थित राहू के फल जिस तरह राहू-केतु किसी राशि या भाव में स्थित होकर उसी राशि या भाव के अनुसार फल देते है। उसी तरह विभिन्न नक्षत्रों पर अवस्थित होने पर भी इनके प्रभावों में अंतर आता है। यदि राहू अशुभ भावों के नक्षत्रों के अधिपतियों या अन्य अशुभ भावो... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 40525
रत्न: सकारात्मक ऊर्जा स्त्रोत रत्न एवं रत्नों से निर्मित आभूषण न केवल शरीर के विभिन्न अवयवों का अलंकरण ही करते हैं वरन उनमें आश्चर्यजनक अलौकिक दैवीय शक्ति विद्यमान रहती है जो अप्रत्यक्ष रूप से मानव शरीर में प्रवेश करके मानव जीवन को निरोगी एवं सुखमय बनाने की सा... और पढ़ेंमई 2012व्यूस: 10881
जन्म कुण्डली के विभिन्न भावों में शनि का परिणाम प्रथम भाव प्रथम भाव में शनि जातक को आलसी, रोगी, अविष्वसनीय, स्वार्थी, निर्धन, तर्कषील, कपटी, वातरोग से ग्रस्त, कायर, प्रभावहीन तथा निकट संबन्धियों से अप्रसन्न रहने वाला बनाता है। यह प्रभाव और अधिक हो सकता है यदि शनि बाधित अथवा नीच... और पढ़ेंजनवरी 2014व्यूस: 46751
अँगुलियों में छिपा है आपका भविष्य हाथ की चारों उँगलियों के १२ पर्व १२ राशियों को इंगित करते है। कोई भी हस्तरेखा विशेषज्ञ उँगलियों की इन राशियों के माध्यम से जातक की जन्मपत्री आसानी से बना सकता हैं। इस उंगली के नीचे गुरु पर्वत का निवास होने के कारण इसे जुपिटर फिंगर... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 24785
रत्न धारण करने की विधि ज्योतिष् शास्त्रों के अनुसार रत्नों में रोग निवारण शक्ति भी निहित होती है. यही कारण है की रत्नों का उपयोग रोग निवारण के लिए भी किया जाता है. रत्न केवल आभूषण मात्र नहीं है.बल्कि रत्न अनेक उद्द्देश्यों की पूर्ति के लिए धारण किए जाते... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 109733
कुछ उपयोगी टोटके जन्मकुंडली में यदि ग्यारहवें घर में शनि हो तो मुख्य द्वारा की चौखट बंनाने से पूर्व उसके नीचे चंदन दबा के सुख – समृद्धि से घर सुशोभित रहेगा। भवन निर्माण से पहले भूखंड पर पांच ब्राह्मानों को भोजन कराना बहुत सुबह होता है। इससे घर में... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 8727