रत्नों को धारण करने से पहले जान लें ये 12 जरूरी बातें

रत्नों को धारण करने से पहले जान लें ये 12 जरूरी बातें  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 4519 | जून 2021

नौ ग्रहों में किसी ग्रह के कमजोर होने पर ज्योतिषी अक्सर रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। पर रत्न अपना सकारात्मक प्रभाव तभी दिखा पाएगा, जब उसे सही नियमानुसार धारण किया जाए। रत्न विज्ञान में प्रत्येक रत्न के धारण करने के लिए एक निश्चित माप तय किया गया है। अतः निश्चित माप का रत्न धारण करना ही लाभप्रद होता है उससे कम या अधिक का नहीं। रत्नों का नकारात्मक प्रभाव भी होता है। इसलिए रत्न धारण करते समय किसी रत्न विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। कई बार लोग बिना ज्योतिषी सलाह के ही रत्न धारण कर लेते हैं। जो कई बार उल्टा असर कर देता है। रत्न अगर समय विशेष और विधि विधान के धारण नहीं किये जाएं तो उल्टा असर भी कर सकते है। इसलिए इन सब बातों की सावधानी बरतना आवश्यक हैं। कब धारण करने चाहिए रत्न और कब धारण करना हो सकता है। नुकसानदेह आइये जानते हैं।

ग्रह और रत्न-

सूर्य को बलशाली बनाने के लिये सोने की अंगूठी में माणिक्य धारण कर सकते हैं ।

चन्द्रमा का रत्न मोती और धातु चांदी है।

मंगल का रत्न मूंगा और धातु तांबा।

बुध का रत्न है पन्ना और धातु है सोना।

गुरू का रत्न पुखराज है और धातु है सोना।

शुक्र का रत्न है हीरा और धातु चांदी है।

शनि का रत्न नीलम और धातु लोहा है।

राहु का प्रिय रत्न है गोमेद और धातु है अष्टधातु।

लहसुनियां केतु का रत्न है जिसे सोना अथवा तांबा की अंगूठी में धारण किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: मांगलिक योग: दांपत्य जीवन में दोष एवं निवारण 

रत्न संबंधी सावधानी -

रत्नों का उससे सम्बंधित ग्रहों के साथ उर्जा का गहरा सम्बन्ध होता है। रत्न धारण करने पर उस ग्रह की उर्जा का प्रभाव व्यक्ति पर पड़ने लगता है। हम ये कह सकते हैं कि रत्न ग्रहों का छोटा प्रतिरूप ही होते हैं। इसलिए रत्न धारण करने पर उसकी उर्जा का प्रभाव आप पर अवश्य ही पड़ता है। कई बार ये फल शुभ और अशुभ भी हो सकते हैं। इसलिए रत्न धारण करने में विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी अच्छे ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

रत्न की प्राण प्रतिष्ठा और विधि विधान के साथ ग्रह की होरा व शुभ मुहूर्त में ही उसे धारण करें।

किसी ग्रह की दशा अन्तर्दशा से अशुभ प्रभाव बन रहा हो तो उस ग्रह से सम्बन्धित रत्न पहनना अशुभ होता है। अगर ऐसी परिस्थिति बन रही हो तो ग्रह मित्र का रत्न या लग्नेश का रत्न धारण करें तो शुभफलदाई होगा।

रत्न धारण करते समय ये ध्यान रखें की उसमें कोई टूट-फूट जैसे दाग-धब्बे, दरार नहीं होनी चाहिए।

विशेष-

अक्सर ऐसा होता है जब लोग अपनी राशि, लग्न और जो महादशा चल रही है उसके अनुसार रत्न धारण कर लेते हैं। ऐसा लोग अक्सर बिना विशेषज्ञ की सलाह के कर लेते हैं। मान लीजिये अगर आपकी किसी गलत ग्रह की महादशा चल रही है और आपने उसी ग्रह का रत्न भी धारण कर लिया तो आप पर ये विपरीत प्रभाव ही डालेगा। इससे आपकी परेशानियाँ कम होने के बजाये बढ़ सकती हैं।

कब न करें रत्न धारण :-

अमावस्या, ग्रहण या संक्रांति काल को कभी भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए।

किसी भी माह के कृष्ण पक्ष में रत्न धारण नहीं करने चाहिए। रत्न हमेश शुक्ल पक्ष में ही धारण करें।

चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि को भी रत्न धारण नहीं करने चाहिए।

गोचर में चन्द्रमा राशि का चौथा, आठवां और बाहरवा स्थान नहीं होना चाहिए।

नीच या अशुभ ग्रहों का रत्न कभी धारण नहीं करें।

आप जिस ग्रह का रत्न धारण करने जा रहे हैं उसकी महादशा में यदि पाप ग्रह या शत्रु ग्रह की अंतर्दशा चल रही हो तो इस स्थिति में भी सम्बंधित रत्न धारण नहीं किया जाना चाहिए।

अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में

कुंडली में है कोई दोष तो इन बातों का रखें ध्यान :-

रत्न धारण करते समय के साथ साथ उसके वजन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए । ध्यान रहे कि अनुपयुक्त वजन का रत्न धारण नहीं करें। इसके साथ ही अगर आपकी कुंडली में कोई दोष जैसे पितृ दोष या काल सर्प दोष जैसे दोष हों तो भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।

अगर आपके साथ शत्रु या पाप ग्रह उपस्थित न हो तो ही आप 15 डिग्री से कम के ग्रह के रत्न को धारण करें।

एक से अधिक रत्न धारण करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि प्रतिकूल प्रभाव वाले, परस्पर शत्रु राशियों वाले रत्न भूलकर भी न धारण करें।

सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण जैसा कोई दोष हो तो माणिक और मोती धारण ना करें लकिन सूर्य और चन्द्रमा की धातुएं सोना और चांदी धारण कर सकते हैं।

जो भी रत्न पहनने वाले हों उसका वजन 8 कैरेट से अधिक नहीं होना चाहिए। ये कोई प्रभाव नही दिखता है।

अगर आप इस तरह की किसी परेशानी से जूझ रहें है तो अपनी कुंडली का विशेषज्ञ ज्योतिषी किसी भी रत्न की अनुकूलता को जांचने के लिए उस ग्रह के अनुसार रेशमी वस्त्र में लपेट कर पूजित करने के पश्चात बांह में धारण करें।

कालसर्प दोष होने की स्तिथि में राहु-केतु से जुड़े रत्न गोमेद और लहसुनिया धारण करने की मनाही है लेकिन रत्न विशेषज्ञों की सलाह पर उपरत्न पहने जा सकते हैं।

पितृदोष में माणिक, मोती, गोमेद, लहसुनिया, नीलम धारण करना वर्जित है।

रत्न कभी भी पौन रत्ती का न खरीदें. हमेशा सवा या वजन वाला ही रत्न खरीदें. जैसे आप ज्योतिषी की सलाह पर सवा चार रत्ती, सवा पांच रत्ती, सवा नौ रत्ती आदि का रत्न धारण कर सकते हैं।

रत्न को हमेशा उसके शुभ दिन या तिथि में धारण करें, जैसे माणिक्य रविवार के दिन, मोती को सोमवार के दिन, पुखराज को गुरुवार के दिन, मूंगा को मंगलवार के दिन, पन्ना को बुधवार के दिन, नीलम, गोमेद और लहसुनिया को शनिवार के दिन धारण करें।

रत्न को हमेशा उससे संबंधित धातु में ही बनवाकर धारण करना चाहिए, जैसे मोती को चांदी में, पुखराज को सोने में आदि।

रत्न को हमेशा उससे संबंधित उंगली में ही धारण करना चाहिए. मंगल के देवगुरु बृहस्पति के रत्न पुखराज को तर्जनी में, शनि से संबंधित रत्न को मध्यमा में पहनना चाहिए।

किसी भी रत्न को मास की चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि को नहीं धारण करना चाहिए.से परामर्श लें।

रत्न धारण करते समय अन्य बातों और ज्योतिष सलाह के लिए हमारे ज्योतिषाचार्य से आप परामर्श ले सकते हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.