अनेको बार पूछा जाता है एक प्रश्न,
क्या मुझको है ज्योतिष में पूर्ण विश्वास?
उठते-बैठते, सोते जागते, सुबह-शाम
क्या करती रहती हूं मैं ज्योतिष की ही बात?
सुन कर यह प्रश्न, मुस्करा कर दे देती हूं मैं यह जवाब,
जी जनाब, ज्योतिष तो है एक विज्ञान लाजवाब।
यह तो है वेदांग शास्त्र की चक्र्षुज्योति,
वेदांग मंथन से निकला एक मोती।
नहीं है यह धरोहर केवल कर्मकांडियों के लिए,
लालायित है आज विद्वत वर्ग इसकी जानकारी के लिए।
अब प्रश्न यह उठता है मन में बारंबार,
क्या कर सकता है यह हमारी परेशानियों का परिहार?
यह कुंठा, यह परेशानी, मानसिक वेदना और हैरानी,
आता है ऐसा दौर जब, लगता है सब बेमानी।
पाने को इन सबसे निजात,
क्या कर सकते हैं हम ज्योतिष पर विश्वास?
अपने अनुभव के ज्ञान पर कह सकती हूं इतना आज,
हां, ज्योतिष न केवल है एक पूर्ण विज्ञान,
अपितु बंधाता है यह सबकी आस।
ज्योतिष है एक सागर, अनेक हैं इसकी विधाएं,
यंत्र, मंत्र, तंत्र, रत्न आदि अनेक हैं इसके उपाय
कठिन समय आने पर, जो लगते हैं अत्यंत सहाय।
चाहे मंत्र जपो, या पहनो रत्न
पर विश्वासपूर्वक पूर्ण करो यत्न।
मन मे हो अगर पूर्ण विश्वास
मिट जाएगा अंधेरा और जागेगा प्रकाश।
कर पाओगे सुख की अनूभूति,
जान जाओगे जब काल चक्र की गति।
कभी दुख, कभी सुख, ऐसे ही होगी जीवन की नौका पार,
समझ सको तो समझो; यही है ज्योतिष का सार।
हाल ही में, एक दैनिक में पढ़े, एक वरिष्ठ पत्रकार के विचारः
‘‘लगता है उनको ज्योतिष एक कोरी बकवास।
यज्ञ की आहुति लगती है उनको घी को फूंकना,
चाहते हैं वह सभी जन्म पत्रिकाओं को जलाना।’’
भारत के वेद, उपनिषद, खगोल शास्त्र, ज्योतिष,
क्या ये हैं केवल कोरी बकवास?
नहीं, बिल्कुल नहीं। यह तो है इस नयी सदी में
प्राचीन हिंदू संस्कृति का आगास।
लुप्त कर दी गयी थी यह, अंग्रेजों के शासन काल में
और आज न केवल भारत, अपितु संपूर्ण विश्व भी
प्रभावित है इसके ज्ञान से।
नहीं यह जरूरी कि करो अनुकरण हर ज्योतिषी को
हो सके तो ग्रहण करो ज्योतिषी के ज्ञान को।
हो सकता है किसी भी ज्योतिषी का ज्ञान अपूर्ण
पर ज्योतिष शास्त्र है अपने में एक विज्ञान संपूर्ण।