कुष्ठ रोग अविनाश सिंहकुष्ठ रोग त्वचा से प्रारंभ होता है। जब त्वचा की सभी मुख्य परतें दूषित और बाहरी जीवाणुओं की रोकथाम करने में असमर्थ हो जाती है तो कुष्ठ रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रस्तुत है कुष्ठ रोग के ज्योतिषीय योग... और पढ़ेंज्योतिषउपायस्वास्थ्यराशिजनवरी 2010व्यूस: 20789
राहु के राशि परिवर्तन का विभिन्न राशियों में प्रभाव एवं उपाय मनोज कुमार शुक्लाराहु १४ जनवरी २०१३ को सायंकाल ७:१८ बजे तुला राशि में प्रवेश कर चुके हैं। दृष्टव्य है की शनि पहले से ही तुला राशि में गोचर कर रहे हैं। इस प्रकार राहु व् शनि की युति विषयोग का निर्माण कर रही हैं।... और पढ़ेंज्योतिषगोचरग्रहराशिभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2013व्यूस: 20572
लग्नानुसार रत्न निर्धारण वात्सल्य शर्मारत्नों का ज्योतिष में महत्व अत्यंत प्राचीन है। ग्रहों को अनुकूल बनाने हेतु रत्न धारण किये जाते हैं। ग्रहों के अनुसार रत्न इस प्रकार हैं: ग्रह रत्न सूर्य माणिक्य चंद्र मोती मंगल मंूगा बुध पन्ना गुरु पुखराज शुक्र हीरा शनि... और पढ़ेंज्योतिषउपायरत्नराशिमई 2014व्यूस: 23477
आप और घर की साज सज्जा तन्वी बंसलकिसी भी गृह की साज-सज्जा, साफ-सफाई और सुंदरता का श्रेय प्रायः घर की गृहिणी को ही जाता है। यह माना जाता है कि इससे स्त्री के गुणों और शौक का पता चलता है। किसी को ब्राइट (चमकीला) कलर का इन्टीरियर पसंद आता है तो कोई साॅफ्ट कलर्स का प... और पढ़ेंज्योतिषराशिभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषणदिसम्बर 2015व्यूस: 10382
पेप्टिक अल्सर अविनाश सिंहअम्ल, जो अग्निकारक है, उसका नेतृत्व मंगल एवं सूर्य करता है। इसलिए पंचम भाव, सिंह राशि, सूर्य और मंगल के दुष्प्रभावों के कारण पेप्टिक अल्सर होता है। विभिन्न लग्नों के लिए पेप्टिक अल्सर का ज्योतिषीय दृष्टिकोण।... और पढ़ेंज्योतिषउपायस्वास्थ्यराशिविविधआगस्त 2010व्यूस: 18114
श्वेत प्रदर अविनाश सिंहश्वेत प्रदर स्त्रियों की एक आम समस्या है। प्रस्तुत है इस रोग के कारण, लक्षण व उपचार और विभिन्न लग्नों में इस रोग का ज्योतिषीय दृष्टिकोण।... और पढ़ेंज्योतिषउपायस्वास्थ्यराशिविविधजून 2010व्यूस: 14835
नकसीर नाक का रक्तस्राव अविनाश सिंहनाक से खून बहने की अवस्था को नकसीर कहते हैं। कई बार ग्रीष्म ऋतु में यह बच्चों बड़ों को समान रूप से प्रभावित करती है। नकसीर के ज्योतिषीय कारण व उपचार पिढ़ए इस लेख में ...... और पढ़ेंज्योतिषउपायस्वास्थ्यराशिभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषणजनवरी 2011व्यूस: 18762
पित्ताशय की पथरी अविनाश सिंहपित्ताशय की पथरी होने के कई कारण है। लेकिन मुख्य कारण आहार है। असंयमित भोजन से पाचन क्रिया मंद हो जाती है जिसके फलस्वरूप दूषित द्रव्य संचित होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं। आइए इस रोग के ज्योतिषीय कारणों का भी पता लगाएं ......... और पढ़ेंज्योतिषउपायस्वास्थ्यराशिविविधफ़रवरी 2010व्यूस: 24962
आप और आपका नववर्ष 2016 तन्वी बंसलसबसे पहले आप सभी को नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। हर नया वर्ष जीवन में नयी उमंग और उम्मीदें लेकर आता है कुछ नई महत्वाकांक्षाएं तो कुछ अधूरे सपने को पूरा करने का नया मौका। प्रायः सभी लोग नववर्ष के अवसर पर खुशियां मनाते हैं।... और पढ़ेंज्योतिषराशिभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषणजनवरी 2016व्यूस: 9923
लग्नानुसार कालसर्प योग राजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’मेषादि द्वादश राशियों के लग्न में निर्मित होने वाले कालसर्प योगों का विभिन्न रूपों में अलग अलग प्रभाव होता हैं। मेष तथा वृश्चिक लग्न-मंगल की राशि मेष-वृश्चिक लग्न में जन्मकुंडली में कालसर्प निर्मित हो तो मंगल और राहु दोनों से पीड़... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगराशिभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्यामार्च 2013व्यूस: 11956
विद्या बाधामुक्ति का एक आसान उपाय - रत्न धारण लक्ष्मीनारायण शर्माआचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति की आयु, उसका कर्म, धन, विद्या एवं मृत्यु ये पांच बातें विधाता व्यक्ति को मां के गर्भ में भेजते ही निश्चित कर देते हैं।... और पढ़ेंउपायरत्नराशिशिक्षामंत्रफ़रवरी 2010व्यूस: 3947
विभिन्न लग्नों के लिए रत्न / रूद्राक्ष चयन डॉ. अरुण बंसलप्रत्येक लग्न के लिए एक ग्रह ऐसा होता है जो योगकारक होने के कारण शुभ फलदाई होता है। यदि ऐसा ग्रह कुण्डली में बलवान अर्थात् उच्चराषिस्थ, स्वराषि का या वर्गोत्तमी होकर केन्द्र या त्रिकोण भाव में शुभ ग्रह के प्रभाव में स्थित हो व इस ... और पढ़ेंज्योतिषउपायरत्नरूद्राक्षराशिमई 2014व्यूस: 24086