अन्य पराविद्याएं


गणेश प्रथम पूजनीय क्यों

किसी भी कार्य का प्रारंभ भगवान गणेश जी की पूजा से किया जाता है। उन्हें विध्नहर्ता के नाम से जाना जाता है। उनका नाम स्मरण करने से अभिप्राय है काय का निर्विध्न संपन्न होना। गणेश जी में ऐसी क्या विशेषताएं है। कि उनकी पूजा समस्त देवों... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 18523

गणपति एवं अन्य देवों की पूजन विधि

श्रीगणेश भगवान भाद्रमास की चतुर्थी तिथि और ग्रह नक्षत्रों के मंगलमय योग में आदि देव शिव के यहाँ विराट रूप में पार्वती जी के सम्मुख अवतरित हुए। तब माता पार्वती बोलीं- प्रभु अपने पुत्र रूप का दर्शन कराएं। तब भगवान श्री गणेश जी अपना ... और पढ़ें

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जनवरी 2007

व्यूस: 16052

सर्वव्यापी गणपति

सर्वव्यापी गणपति

फ्यूचर समाचार

ईश्वर की प्राप्ति के लिए उसकी भक्ति और उपासना जरुरी है। गणेश जी का प्रथम रूप ओंकार है। ओंकार ही विश्व बीज, वेद बीज, मंत्रबीज परब्रह्मा से प्रकट हुआ प्रथम अंकुर है। श्री गणेश जी देवता सृष्टि के आध्या तत्व है। उन्हीं को प्रथम वंदन... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 6580

वर्षकुंडली : फल विवेचन

भारतीय ज्योतिष में फल कथन करने की कई प्रकार की पद्वतियां हैं जिनमें एक पद्वति वर्ष कुंडली से एक वर्ष का फल कथन करने की है। इस पद्वति को ताजिक भी कहते है। सभी पद्वतियों का लक्ष्य फल कथन करना ही है। जहां जन्म कुंडली जातक के जीवन भर ... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 16970

बीजमंत्र एवं उनके अर्थ

मंत्रार्थ : मंत्र साधना के रहस्य-वेताओं के अनुसार – “ अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्तिमूलमनौषधम अर्थात कोई ऐसा अक्षर नहीं, जो मंत्र न हो और कोई ऐसी वनस्पति नहीं, जो औषधि न हो। केवल आवश्यकता है अक्षर में निहित अर्थ के मर्म को और वनस्पति... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जनवरी 2007

व्यूस: 24992

ग्रह स्थिति एवं व्यापार

ग्रह स्थिति एवं व्यापार

जगदम्बा प्रसाद गौड

गोचर ग्रह परिवर्तन : इस मास ग्रहों का राशि परिवर्तन इस प्रकार होगा। सूर्य १४ जनवरी को शाम के ६ बजकर ६ मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। मंगल ८ जनवरी की रात को ८ बजाकर १० मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेगा।... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएंमेदनीय ज्योतिष

जनवरी 2007

व्यूस: 8300

कारोबार में गिरावट क्यों आई

तीन महीने पहले हिमाचल प्रदेश के उना शहर में श्री जिंदल जी के घर का पं। गोपाल शर्मा जी के द्वारा वास्तु निरिक्षण किया गया। श्रीं जिंदल जी ने बताया की जब से इस मकान में रहना शुरू किया है तब से कर्ज के बोझ से दबे हुए है। कारोबार में ... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएं

जनवरी 2007

व्यूस: 5319

नजर दोष एवं उपाय

नजर दोष एवं उपाय

फ्यूचर समाचार

जिस प्रकार किसी व्यक्ति की राशि एवं नक्षत्र के स्वामी निर्बल होने पर वह नजार दोष के प्रभाव में आ जाता है, उसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति की राशि एवं नक्षत्र स्वामी क्रूर ग्रह बली हो तथा पापी ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति की वाणी दृष... और पढ़ें

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जनवरी 2007

व्यूस: 8801

इंदिरा एकादशी व्रत

इंदिरा एकादशी व्रत

फ्यूचर समाचार

व्रतों के प्रभाव से कायिक, वाचिक, मानसिक और संसर्गजनित, पाप, उपपाप और महापापादि भी दूर हो जाते है. व्रतों के प्रभाव से मनुष्यों की आत्मा शुद्ध होती है. संकल्प शक्ति में वृद्धि होती हिया, बुद्धि, विचार, चतुराई या ज्ञान तंतुओं का सम... और पढ़ें

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सितम्बर 2011

व्यूस: 7427

पितृ पक्ष में करें पितृ दोष निवारण

पितृ दोष निवारण का अनुकूल समय पितृ पक्ष : पितृ (पितर) पूजा भारतीय संस्कृति का मूलाधार है. “श्रद्धय यात क्रियते तत श्राद्धम” पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा द्वारा हविष्ययुक्त (पिंड) प्रदान करना ही श्राद्ध कहलाता है. श्राद कर... और पढ़ें

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सितम्बर 2011

व्यूस: 8902

श्राद्ध से होती है पितृदोष शान्ति

शास्त्रों में अनेक लोकों का वर्णन मिलाता है, जैसे – ब्रह्मालोक, सूर्यलोक, चंद्रलोक, पितृलोक, मृत्युलोक, पाताललोक आदि। सूर्यलोक और चंद्रलोक के बीच स्वर्गलोक की स्थिति है और चंद्रलोक से नीचे पितृलोक है। बहुत से विद्वान चंद्रलोक को ह... और पढ़ें

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सितम्बर 2011

व्यूस: 10404

पुनर्जन्म की अवधारणा – एक सत्य

युग – युगान्तरों से सृष्टि का क्रम जारी है। हमारी सृष्टि जब से है तब से पुनर्जन्म की अवधारणा का इतिहास है। भारतीय संस्कृति के संदर्भ में तो ऐसा कहा ही जा सकता है। हिंदू संस्कृति और सभ्यता से जीवंत सामाजिक परिवेश में “पुनर्जन्म” अन... और पढ़ें

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सितम्बर 2011

व्यूस: 9387

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