शिव कौन है?

शिव कौन है?

फ्यूचर समाचार

शिव कौन है? इस पर चिंतन करने से पूर्व, सृष्टि निर्माण को जानना आवश्यक है। हमारे वेद शास्त्र आदि पुरातन ग्रंथों में स्पष्टत: वर्णित है की सूर्य के घूमते रहने के कारण उससे कई पिंड निकालकर ब्रह्मांड में बिखर गए। उनमें एक पृथ्वी भी है... और पढ़ें

देवी और देव

जुलाई 2007

व्यूस: 12680

शिवपूजन से कामना सिद्धि

वैदिक काल से ही आदि देव भगवान शिव के शंकर,शंभु रूद्र, महादेव,भोले नाथ आदि विभिन्न रूपों की उपासना की जाती है। भगवान शिव की उपासना तंत्रों में भी वर्णित है। पंचदेवोपासना में प्रमुख शिव, विष्णु, सूर्य,शक्ति एवं गणेश जी की पूजा का वि... और पढ़ें

देवी और देवउपाय

जुलाई 2007

व्यूस: 11093

शिव शक्ति के स्त्रोत

शिव शक्ति के स्त्रोत

फ्यूचर समाचार

तीनों देवों में शिव को सर्वाधिक शक्तिशाली माना गया है। उनकी पूजा ब्रह्मा ने भी की, विष्णु ने भी। अर्थात वे सर्वपूज्य, सर्वशक्तिमान हुए। सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्मा का कार्य पूर्ण हो जाता है। विष्णु उसके पालक रक्षक का दायित्व निभ... और पढ़ें

देवी और देव

जुलाई 2007

व्यूस: 8728

विभिन्न रूपों में भगवान शिव

भगवान शिव देवाधिदेव है। वे आशुतोष है- भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न हो जाने वाले। यहां उनके कुछ रूपों का वर्णन प्रस्तुत है जिनकी निष्ठापूर्वक पूजा उपासना से कामनाएं पूरी होती है और पाप से मुक्ति मिलती है। शिव के इस रूप का एक भाग नर अर्थ... और पढ़ें

देवी और देव

जुलाई 2007

व्यूस: 5729

शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग

शिव पुराण में वर्णित है की आशुतोष भूत भावन भगवान शिव, शंकर प्राणियों के कल्याणार्थ तीर्थ में लिंग रूप में वास करते है। जिस पुण्य स्थल में भक्तजनों ने उनकी अर्चना की उस स्थान में वे वहीँ अवतरित हुए और ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंस्थानउपाय

जुलाई 2007

व्यूस: 9397

शिव और शनि

शिव और शनि

फ्यूचर समाचार

सृष्टि के प्रारम्भ में शनि अत्यंत दिन-हीन और अपेक्षित थे। नवग्रह परिवार में उन्हें भृत्य का स्थान प्राप्त था। वैदिक काल में सभी लोग सूर्य की उपासना करते थे। नैसर्गिक पाप प्रकृति के कारण उनकी कोई ख्याति नहीं थी। राजपुत्र होने पर भी... और पढ़ें

देवी और देव

जुलाई 2007

व्यूस: 7523

कृष्णमूर्ति पद्वति

कृष्णमूर्ति पद्वति

फ्यूचर समाचार

समय-समय पर ज्योतिष के क्षेत्र में ज्योतिष महर्षियों द्वारा विभिन्न विषयों पर अनुसंधान होते आए है। फलस्वरूप ज्योतिष की कई पद्वतियों की उत्पति हुई। वीं सदी में नामक कृष्णमूर्ति महान ज्योतिर्विद हुए जिन्होंने ज्योतिष में अपने प्रयोगो... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

जुलाई 2007

व्यूस: 13687

मंगल पुराणानुसार तथ्य

मानव इतिहास गवाह है की ब्रहमांड का कोई भी ग्रह मानव को इतना आकर्षित नहीं कर पाया जितना की मंगल ग्रह ने किया है। इस लाल रंग के आकर्षक ग्रह के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिक हमेशा से उत्सुक रहे है, यह उन्हें अचंभित कर रोमांच से... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

आगस्त 2007

व्यूस: 12244

सुख – समृद्धि के लिए करें : पद्मावती साधना

महालक्ष्मी का ही दूसरा नाम पदमावती है। वैष्णव संप्रदाय में श्री सूक्त और लक्ष्मी सूक्त अत्यंत प्रसिद्द सूक्त है। इनमें श्री विष्णु पत्नी लक्ष्मी के विविध रूपों का रहस्यपूर्ण वर्णन है। पदमावती के अनेक नामों का उल्लेख लक्ष्मी सहस्त्... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

आगस्त 2007

व्यूस: 29531

श्री मंगला गौरी मंत्र

श्री मंगला गौरी मंत्र

फ्यूचर समाचार

विवाह एवं दाम्पत्य सुख के अबधक योगों में मंगली योग प्रमुख है। इसके प्रभाववश न केवल विवाह में देरी ही होती है,अपितु कभी-कभी सगाई या विवाह होकर भी रिश्ता टूट जाता है। इस मंगली योग का हौआ इतना है की कुछ लोग यह पता लगाने पर की उनका... और पढ़ें

देवी और देव

आगस्त 2007

व्यूस: 23065

मंगल ग्रह के शुभ मंगलकारी उपाय

स्कंद पुराण में कहा गया है, मंगलो भूमि पुत्राश्च रिहार्ता-धन्कर्ता, अर्थात मंगल भूमि के पुत्र है, और जो उनकी उपासना आदि करता है वह कभी भी ऋण ग्रस्त नहीं होता और उसके जीवन में धन संपति का कभी अभाव नहीं रहता है। जीवन में सर्वत्र मंग... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

आगस्त 2007

व्यूस: 23252

कब और कैसे मनाएं जन्माष्टमी

जन्माष्टमी पर्व कब मनाएं? कुछ पंचागों के अनुसार जन्माष्टमी ३ सितम्बर को और कुछ के अनुसार ४ सितम्बर को होगी। वहीँ कुछ इसे भी पंचांग है जिनके अनुसार स्मार्त एवं वैष्णव भेद से अलग-अलग अर्थात दोनों दिन मनाई जानी चाहिए।... और पढ़ें

देवी और देव

सितम्बर 2007

व्यूस: 7997

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