सीढ़ियां प्रगति की प्रतीक हैं।
घर में सीढ़ियों के लिए सर्वोŸाम
दिशा दक्षिण, पश्चिम या
दक्षिण-पश्चिम होती हैं।
- सीढ़ियों का पत्थर फिसलने वाला
न हो।
- सीढ़ियां भूलकर भी उŸार-पूर्व में
न बनाएं। इस दिशा में बनी सीढ़ियां
धननाश, व्यापार में हानि तथा कर्जों
का कारण बन सकती हैं। इससे
संतान पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
- सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या (3, 5,
7, 11, 13) में हों तथा उŸार से
दक्षिण या पूर्व से पश्चिम की ओर
जाने वाली हों।
- सुविधाजनक, संुदर व मजबूत
सीढ़ियां अच्छे वास्तु की परिचायक
होती हैं।
- सीढ़ियों के टूटे किनारे वास्तुदोष
उत्पन्न करते हैं, अतः इनकी मरम्मत
समय रहते करवा लेनी चाहिए।
- अधिक घुमावदार सीढ़ियां अच्छी
नहीं होतीं।
- सीढ़ियों के नीचे रसोईघर, पूजाघर
या बाथरूम न बनवाएं। हां स्टोर
रूम बनाया जा सकता है।
- घर के केंद्र (ब्रह्मस्थान) में सीढ़ियां
सीढ़ियां कैसी हों?
होने से घर के सदस्यों को मानसिक
तनाव का सामना करना पड़ सकता
है।
- सीढ़ियां घर के अंदर या बाहर
कहीं भी बनाई जा सकती हैं।
- सीढ़ियों की ऊंचाई व चैड़ाई इस
आकार में हो कि बच्चे, बूढ़े आसानी
से बिना थके चढ़ सकें। ऊंचाई सात
इंच तथा चैड़ाई दस इंच से एक
फुट तक हो सकती है।
- सार्वजनिक स्थानों जैसे अस्पताल,
स्कूल या किसी अन्य काॅम्प्लेक्स में
चैड़ाई एक से सवा फुट तक रखी
जा सकती है।