शरीर शुभाशुभ लक्षणम

शरीर शुभाशुभ लक्षणम  

व्यूस : 10414 | जुलाई 2009
शरीर शुभाशुभ लक्षणम् पं शरद त्रिपाठी पुराणों में लक्षणों के आधार पर मानव शरीर के तीन प्रकार के लक्षण बतलाए गए हैं। मनुष्य के उŸाम, मध्यम तथा अधम ये तीन प्रकार के लक्षण होते हैं जिनके द्वारा एक विद्वान ज्योतिषी उनके भूत, वर्तमान एवं भविष्य का अंदाजा लगा लेता है। विद्वान व्यक्ति को शुभ मुहूर्त के मध्याह्न में शरीर के लक्षणों को देखकर उनका फल कथन करना चाहिए। पहले जातक की आयु देखकर ही लक्षण देखना चाहिए क्योंकि कम आयु के जातक के सभी लक्षण सही एवं स्पष्ट परीलक्षित नहीं होते हैं। जिसके कारण फलादेश बहुधा गलत सिद्ध हो जाता है। प्रमाण समूह, छाया गति, शरीर के समस्त अंग, दांत, केश, नाखून, रोम, बाल, त्वचा आदि का गहन विवेचन करके ही फलकथन करना चाहिए। अपनी अंगुलियों से जो पुरुष एक सौ आठ अर्थात् चार हाथ बारह अंगुल का होता है वह उŸाम लक्षणों वाला होता है। सौ अंगुल प्रमाण का होने पर मध्यम तथा नब्बे अंगुल का होने पर, अधम माना जाता है। जिसका पैर कोमल, मांसल, रक्त वर्ण, स्निग्ध, ऊंचा पसीने से रहित हो और उसकी नाड़ियां दिखायी नहीं पड़ती हों तो वह मनुष्य राजा होता है। जिसके पैर के तलवे में अंकुश का चिह्न हो, वह सदा सुखी रहने वाला होता है। सूप के समान रूखा, सफेद नाखूनों से युक्त, विरल अंगुलियों से युक्त चरण वाला, टेढ़ी एवं रूखी नाड़ियांे से व्याप्त शरीर वाले पुरुष सदा दरिद्र और दुःखी रहते हैं। आग में तपाई हुई मिट्टी के समान रंग वाला ब्रह्म हत्या करने वाले, पीले चरण वाले सुरापान में लिप्त एवं श्वते वर्ण के चरण वाले अभक्ष्य पदार्थों का भक्षण करने वाले होते हैं। मोटे अंगूठे (पैरों के) वाले पुरुष भाग्यहीन, विकृत अंगूठे वाले दुःखी होते हैं। चिपटे, विकृ त तथा टूटे हुए अंगूठे वाले जातक प्रायः विदित होते हैं। टेढ़े-मेढ़े, फटे हुए तथा छोटे अंगूठे वाले जातक सदा कष्ट भोगते हैं अर्थात् उनका जीवन बहुधा संघर्षमय एवं कष्टमय ही रहता है। जिस पुरुष के पैर की तर्जनी, अंगूठे से बड़ी हो उसको स्त्री सुख प्राप्त होता है। कनिष्ठा अंगुली बड़ी होने पर स्वर्ण की प्राप्ति होती है। चपटी, सूखी तथा विरल होने पर पुरुष धनहीन होकर सदा ही दुःखी रहता है। रोम युक्त जंघाओं वाला पुरुष भाग्यहीन छोटी जंघाओं वाला ऐश्वर्यशाली किंतु विवादों में लिए रहने वाला होता है। मृग के समान जंघा वाला व्यक्ति राजा होता है। सिंह तथा वाघ के समान जंघा वाला धनवान व लम्बी मोटी और मांसल जंघा वाला ऐश्वर्यवान होता है। मांस रहित घुटने वाले व्यक्ति की मृत्यु परदेश में होती है। हंस, शुक्र, वृष, सिंह, गज आदि जीवों के समान गति होने पर व्यक्ति भाग्यवान अथवा राजा होता है। जिस जातक का रक्त कमल के सदृस होता है वह धनवान होता है। कुछ लाल तथा कुछ काला रक्त वाला मनुष्य अधम तथा पापकर्म करने वाला होता है। जिस पुरुष का खून मूंगे के समान लाल तथा स्निग्ध होता है वह सातों द्वीपों का राजा होता है। बाघ, सिंह, मेंढक आदि के समान पेट होने पर राजा होता है। मांस से पुष्ट, सीधा और गोल पीठ वाला व्यक्ति राजा होता है। बाघ के समान पीठ वाला व्यक्ति सेना नायक होता है। कछुए के समान पीठ वाला व्यक्ति धनवान होकर सुख सौभाग्य से सम्पन्न होता है। रूखी-सूखी विकृत हाथ की अंगुलियों वाला पुरुष धनहीन एवं दुखी होता है। जिस जातक के हाथ में मत्स्य रेखा होती है वह सभी कार्यों को सिद्ध करने वाला धन-धान्य पुत्र-पौत्र का सुख भोगने वाला होता है। जिसके हाथ में तराजू या वेदी का चिह्न होता है वह पुरुष क्रय-विक्रय (व्यापार) से लाभ प्राप्त करता है। जिसके हाथ में वृक्ष और पर्वत का चिह्न होता है वह स्थिर धन लक्ष्मी का स्वामी होता है। जिसके हाथ में बाण, धनुष, तोनर, भाला, बर्दी, खड़ग आदि आयुधों का चिह्न होता है वह युद्ध में विजयी होता है। जिसके हाथ में ध्वजा और शंख का चिह्न अंकित होता है वह जलमार्ग अथवा वायुमार्ग से व्यापार करता है। हाथ में कमल, वज्र, रथ, कलश आदि का चिह्न होने पर व्यक्ति शत्रुओं को वश में करने वाला या शत्रुओं से रहित राजा होता है। दाहिने हाथ के अंगूठे में यव (जौ) का चिह्न होने पर पुरुष सभी विद्याओं का ज्ञाता तथा कुशल प्रवक्ता होता है। जिस जातक के हाथ में कनिष्ठा के नीचे से तर्जनी के मध्य तक अखण्डित रेखा जाती है तो वह व्यक्ति सौ साल तक जीवित रहता है। जिसका पेट सांप के समान लम्बा और एंेठन लिये हुए होता है। वह प्रायः अधिक भोजन करने वाला एवं धनहीन होता है। विस्तीर्ण, फैली हुई, गोल एवं गहरी नाभि वाला व्यक्ति धन-धान्य से सम्पन्न तथा सुखी होता है। नीची एवं छोटी नाभि वाला व्यक्ति अनेक प्रकार से क्लेशित एवं दुःखी रहता है। दक्षिणावर्त नाभि बुद्धि प्रदाता तथा वामावर्त नाभि शांति प्रदाता होती है। सौ दलों वाले कमल की कर्णिका के समान नाभि वाला जातक राजा होता है। पेट में एक बलि होने पर शस्त्र से मारा जाता है, दो बलि होने पर स्त्री-भोगी, तीन बलि होने पर राजा अथवा आचार्य होता है। चार बलि होने पर अनेक पुत्र वाला तथा सीधी बलि होने पर धन का उपभोग करने वाला होता है। कठोर एवं मांसल एवं समान कंधे वाले जातक राजा होते हैं। उन्नत एवं बराबर, मांसल और विस्तृत वक्षः स्थल के स्वामी पुरुष राजा के सदृस तथा पराक्रमी होते हैं। अगर किसी जातक के दोनों वक्ष स्थल समान हैं तो वह प्रायः धनवान एवं पुष्ट होने पर पराक्रमी एवं शूरवीर, छोटे होने पर धनहीन तथा विषम (छोटा-बड़ा) होने पर शस्त्र से मरने वाला होता है। उन्नत हनु (ठुड्डी) वाला भोगी तथा विषम ठुड्डी वाला धनहीन होता है। भैंसे के सदृस ग्रीवा वाला वलशाली एवं शूरवीर, चिपटी ग्रीवावाल धनहीन तथा मृग के समान ग्रीवावाला प्रायः डरपोक एवं कायर होता है। छोटी ग्रीवावाला धनवान एवं सुखी तथा समान ग्रीवावाला राजा होता है। अधिकांशतः तोता, हाथी, बगुला, ऊंट आदि के समान लम्बा तथा शुक्र ग्रीवा वाला धनहीन व्यक्ति होता है। छोटी भुजा वाला पुरुष दास तथा विषम (छोटी-बड़ी) भुजा वाला पुरुष चोर प्रवृŸिा वाला होता है। पुष्ट, उन्नत, दुर्गंध रहित, सम एवं अल्प रोम युक्त कांख वाले धनी होते हैं। लम्बी भुजाओं वाला सभी गुणों से युक्त होता है एवं जानुओं तक लम्बी बांह वाला राजा होता है। जिसके हाथ का तल गहरा होता है वह पिता के धन से वंचित तथा डरपोक होता है। ऊंचे करतल वाला पुरुष दानी, विषम करतल वाला मिश्रित फलवाला व रक्त वर्ण का करतल रहने पर व्यक्ति राजा होता है। श्याम व नील वर्ण का करतल रहने पर पुरुष मांस मंदिरा गहरी और स्निग्ध होती है वे धनवान होते हैं। गहरी और छिद्रहीन अंगुली वाला जातक धन को जोड़ने वाला तथा कंजूस होता है। विरल अंगुलियों वाले जातक के पास धन टिक नहीं पाता है। व्यक्ति के लक्षणों को जानने में मुखाकृति का विशेष अध्ययन करना होता है। चंद्र मण्डल के समान मुख वाला व्यक्ति धर्मात्मा होता है। सूंड़ की आकृति के मुख वाला व्यक्ति भाग्यहीन होता है। विकृत, टेढ़ा-मेढ़ा, टूटा एवं शेर के समान मुख वाला व्यक्ति चोर या अपराधी होता है। हाथी के समान भरा-पूरा, सुंदर एवं कांति युक्त मुख वाला व्यक्ति राजा होता है। बंदर अथवा बकरे के समान मुख वाला व्यक्ति धनी होता है। बड़े मुख वाला व्यक्ति प्रायः भाग्यहीन होता है और समस्याओं से ग्रस्त रहता है। लम्बे मुख वाला व्यक्ति धनहीन तथा पापकर्म में रत होता है। चैकोर मुखाकृति वाला व्यक्ति धूर्त, स्त्री के समान मुख वाला पुरुष तथा निम्न मुख वाला पुरुष पुत्र हीन अथवा पुत्र से दुःखी होता है। चिपटे कानों वाला व्यक्ति रोगी, छोटे कान वाला कंजूस, मांस रहित कान वाला संग्राम (युद्ध) में मरने वाला या पराजित होता है। नाड़ियों से तृप्त काल वाला क्रूर हृदय, बाल एवं रोम से युक्त होने पर दीर्घ जीवी तथा लम्बा एवं पुष्ट कान वाला देवता, गुरु एवं ब्राह्मणादि का भक्त, कृपालु भाग्यवान तथा राजा के सदृस होता है। तोते की चोंच के समान नाक वाला व्यक्ति विविध सुखों का भोग करने वाला होता है। शुष्क नाक वाला दीर्घायु, पतली नाक वाला राजा, लम्बी नाक वाला भोगी, छोटी नाक वाला धर्मशील तथा तीखी नाकवाला व्यक्ति सफल व्यापारी होता है। बŸाीस दांत वाले राजा, इक्तीस दांत वाले भोगी, तीस दांत वाले सामान्य एवं उन्तीस दांत वाले व्यक्ति सदा दुःखी रहने वाले होते हैं। भालू एवं बंदर के समान दांत वाले भूखे, श्वेत, उज्जवल एवं चमकदार दांत वाले प्राणी राजा तथा चिकने एवं समान दांत वाले मनुष्य गुणी एवं सुखी होते हैं। टूटे-फूटे, रूखे, असमान, अलग-अलग एवं बेहतरीन दांत वाले मनुष्यों का जीवन कष्ट, अवलाद एवं दुःखों से ग्रस्त रहता है। काला एवं नीली जीभ वाला व्यक्ति दास (नौकर), मोटी एवं रूखी जीभ वाला क्रोधी, प्रकृति वाला होता है। श्वेत वर्ण की जिह्वा वाला अध्यात्मिक एवं पंक्ति आचरण वाला, रक्तवर्ण एवं छोटी जिह्वा वाला विद्वान तथा कमल पत्र के सदृस जिह्वा वाला व्यक्ति राजा होता है। मेघ के समान गंभीर स्वर वाले, हंस के समान सौम्य एवं मधुर स्वर वाले पुरुष उŸाम कहे गये हैं जो कार्य कुशल, गुणी सुखी एवं वाक्पटु होते हैं। क्रौंच के समान स्वर वाले राजा, अध्यात्मिक धन सम्पŸिा के स्वामी तथा अनेक प्रकार से सुख सम्पन्न रहते हैं। चक्रवाक पक्षी के समान स्वर वाले व्यक्ति प्रजा पालक एवं धर्मवत्सल राजा होते हैं। टूटे-फूटे एवं विकृत स्वर वाले अधम तथा भाग्यहीन तथा रूखे, क्रूर, ऊंचे तथा घर्घर स्वर वाले प्राणी प्रायः दुःखी होते हैं। मोटे केश तथा रोम वाले पुरुष दुःखी, दो मुंहे केश तथा रोम तथा रूखे रोम वाले प्राणी सदा भाग्यहीन एवं समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं। बहुत अधिक गहरे एवं कठोर केश वाले भी दुःखी होते हैं। विरल, कोमल, स्निग्ध, भ्रमर अथवा अंजर के समान अति श्याम केश वाले पुरुष धनवान, सुखी तथा राजा होता है। स्त्रियों के विशेष लक्षण: जिस पति से प्यार पाने वाली होती है। लम्बे बाल, सुंदर नाक तथा धनुषाकार भौंहों की स्वामिनी अतिशय सुखों का भोग करने वाली होती है। शंख के समान धवल एवं स्वच्छ दांतों वाली, मधुर भावी, स्निग्ध अंगों वाली नारी ऐश्वर्य सम्पन्न होती है। जिस स्त्री के वाम स्तन पर, हाथ में, कान के ऊपर अथवा गले पर तिल या मस्सा होता है वह स्त्री प्रथम गर्भ से पुत्र को जन्म देने वाली, सौभाग्यशाली नारी होती है। बड़े-बड़े पैरों वाली रोग से युक्त शरीर वाली मोटे, रूखे तथा छोटे हाथों वाली स्त्री दासी होती है। उत्कट पैर, विकृत मुख व ऊपर के होठों पर रोम वाली नारी पति हन्ता होती है। रक्त वर्ण के पैरों वाली, सुंदर एवं सुगठित ऊंगलियों से युक्त तथ रक्तिम आभावाली एवं मादक नेत्रों वाली स्त्री अत्यंत सुखों का भोग करने वाली तथा पति की प्राण बल्लभा होती है। नित्य स्नान करने वाली, सुगधिंत दृत्य लगाने वाली, मृदभाषिणी, अल्पभोजी, कम सोने वाली तथा सदा पवित्र रहने वाली स्त्री देवी के समान तथा उŸाम होती है। वह नारी घर में धन समृद्धि की वृद्धि करने वाली, पतिप्रिया एवं संस्कारित बालक की माता होकर सदैव सुखी होती है। गुप्त रूप से पाप करने वाली, अपने पाप को छिपाने वाली, पति की निंदा करने वाली स्त्री मार्जारी संज्ञक होती है। पति अथवा बंधु-बधवों द्वारा कहे गये वचनों को न मानने वाली, सदा मनमानी करने वाली, आचार-विचान अपवित्र रखने वाली स्त्री आसुरी होती है। अतिशय चंचल स्वभाव वाली, चपल नेत्रों तथा मलिन आचार वाली स्त्री वानरी के समान होती है। चंद्र मुखी, रक्तवर्णा नेत्रों वाली, शुभ चिह्नों से युक्त स्त्री विद्याधारी श्रेणी की होती है। वीणा, मेरी, मृदंग, वंशी आदि वाद्यों को सुनने वाली, सुगंध का प्रयोग करने वाली स्त्री गांधर्वी श्रेणी की होती है। नारी की ग्रीवा में रेखा हो, नेत्रों का प्रांत भाग थोड़ी लालिमा युक्त हो तो वह नारी लक्ष्मी के सदृस होती है और जिस गृह में जाती है वहां धन-धान्य की वृद्धि तथा मंगल होता है। ललाट में त्रिशूल के चिह्न वाली स्त्री सौभाग्यशाली तथा अनेक दासियों से सोभित होती है। हंस के समान गतिवाली, मृगनयनी, श्वेत, स्वच्छ एवं धवल दांतों वाली स्त्री उŸाम, कार्य कुशल में गुणों दक्ष होती है। हंस के समान मृदु भाषी, मधु (शहद) के समान पिंगल वर्ण वाली स्त्री, अनेक पुत्रों से युक्त, धन-धान्य से समृद्ध तथा



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