शिक्षा एवं परीक्षा में सफलता फ्यूचर पाॅइन्टविद्या प्राप्ति व परीक्षा में सफलता प्राप्ति में बाधा देने वाले ज्योतिषीय योग क्या हैं तथा इन्हंे दूर करने हेतु अचूक उपाय विद्या या शिक्षा का विचार मुख्यतः ‘पंचम’ भाव से किया जाता है। परंतु ‘विद्या’ को ‘धन’ कहा गया है अतः द्व... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणशिक्षाभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2017Views: 6757
अकेले ग्रह का शुभ व अशुभ प्रभाव उमेश शर्मालाल-किताब पद्धति के अनुसार जब ग्रह किसी खाना में अकेला बैठा हो व किसी और ग्रह से दृष्ट भी न हो तो वह शुभ प्रभाव वाला होगा।... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2011Views: 4594
ईशा का नन्हा विभोर विलक्षण प्रतिभाशाली आभा बंसलतीन वर्ष की छोटी सी आयु में विलक्षण प्रतिभाशाली मास्टर विभोर को वल्र्ड रिकार्ड अकादमी के द्वारा पीएच. डीकी मानद डिग्री के लिए नामांकित किया गया है। इतनी छोटी सी आयु में विश्वविद्यालय की सर्वोच्च उपाधि के लिए नामांकित किये जाने व... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगबाल-बच्चेदशाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकगोचरसितम्बर 2015Views: 7459
विवाह से पुनर्विवाह तक आभा बंसलप्रेम का रिश्ता बहुत नाजुक होता है। थोड़ी सी भी खटास पैदा हो जाए तो दो प्रेमियों के बसे बसाए घरौंदे को टूटते देर नहीं लगती। कविता और नीलेश के साथ भी ऐसा ही हुआ। लेकिन इसमें ग्रहों कि भूमिका अहम रही जिन्होंने दोनों को अलग ... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2006Views: 6949
ग्रह स्थिति एवं व्यापार दिव्यदीप गौडमासारंभ में सूर्य वृश्चिक में, मंगल मकर में, शुक्र, शनि, बुध वृश्चिक में तथा राहु कन्या में, गुरु कर्क में, चंद्र तथा केतु मीन में, प्लूटो धनु में, यूरेनस मीन में नेप्च्यून कुंभ में स्थित होंगे।... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकगोचरदिसम्बर 2014Views: 6625
भद्रा एवं दोष परिहार डॉ. अरुण बंसलकिसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा का योग अशुभ माना जाता है। भद्रा में मांगलिक कार्य का शुभारंभ या समापन दोनों ही अशुभ माने गये हैं। पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव व देवी छाया की पुत्री व राजा शनि की बहन है।... moreज्योतिषदेवी और देवज्योतिषीय विश्लेषणग्रहणमुहूर्तभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2015Views: 23213
अधिक मास : कब और क्यों डॉ. अरुण बंसलवर्ष २००७ में दो ज्येष्ठ मास होंगे। इन्हें प्रथम ज्येष्ठ व् द्वितीय ज्येष्ठ के नाम से जाना जाता है। दो मास में चार पक्ष हो जाते है। प्रथम ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष से शुरू होता है। तदुपरांत प्रथम ज्येष्ठ का शुक्ल पक्ष, द्वितीय ज्येष्ठ का... moreज्योतिषअन्य पराविद्याएंज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगआकाशीय गणितमई 2007Views: 11136
पर्वों में एकीकरण की आवश्यकता डॉ. अरुण बंसलइस वर्ष पूरे भारत में होली दो दिन मनायी गयी -१८ मार्च और १९ मार्च को. ऐसा क्यों हुआ. जिन शास्त्रों की हम इतनी बड़ाई करते हैं. क्या वे यह निर्णय नहीं दे सकते की पर्व किस दिन मनाना चाहिए. या गणना में सरकार... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणमई 2004Views: 3571
छाया ग्रह होते हुए भी प्रभावी है राहू-केतु शिव प्रसाद गुप्तासौर मंडल में सभी ग्रह सूर्य के चारों और अपने-अपने अंडाकार पथ पर निरंतर परिक्रमा करते रहते है। सूर्य से बढती दूरी के क्रम में ग्रह हैं। - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु और शनि। चूंकि हम पृथ्वी पर ग्रहों के प्रभावों के आकलन के लिए प... moreज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याआगस्त 2006Views: 51193
कुंडली में संतान योग फ्यूचर पाॅइन्टजीवन में समस्त सुखों में महत्पूर्ण हैं. संतानसुख. भारतीय हिन्दू धर्मशास्त्र में पांच प्रकार के ऋणों की चर्चा की गई हैं जिनमें एक पितृ ऋण. पितृ ऋण बगैर संतान उत्पति के नहीं चुकाया जा सकता. वंश को आगे बढाने हेतु पुत्रोत्पति ही पितृ ... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगबाल-बच्चेभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2009Views: 59266
संग्रहणी पेट का गंभीर रोग अविनाश सिंहसंग्रहणी रोग में शरीर में वसा का भंडार कम हो जाता है। इसके कारण शरीर के सारे अंग सिकुड़कर छोटे हो जाते हैं। आइए जानें, विभिन्न लग्नों में संग्रहणी रोग का ज्योतिषीय विश्लेषण... moreज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकराशिजून 2011Views: 85905
कुंडली में कारक, अकारक और मारक ग्रह सीताराम सिंहग्रहों को नैसर्गिक ग्रह विचार रूप से शुभ और अशुभ श्रेणी में विभाजित किया गया है। बृहस्पति, शुक्र, पक्षबली चंद्रमा और शुभ प्रभावी बुध शुभ ग्रह माने गये हैं और शनि, मंगल, राहु व केतु अशुभ माने गये हैं। सूर्य ग्रहों का राजा है ... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणग्रहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2015Views: 113894