भारतीय संस्कृति में भोजन बनाने का
स्थान शुद्ध होना तथा भोजन बनाने
वालों का मन पाप रहित शुद्ध व शांत
होना चाहिए। इसीलिए कहा गया है
कि ‘‘जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन’’
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो
भोजन कीटाणु व जीवाणु रह... और पढ़ें
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