जन्मकुंडली में रोगों के संकेत एवं उनके उपाय

मनुष्य की जन्मकुंडली उसके जीवन का आईना होती है। जीवन में क्या होने वाला है। यह समय के पहले बड़ी आसानी से जाना जा सकता है। कुंडली में बारह भाव होते है। हर भाव का अपना-अपना कार्यक्षेत्र होता है। कुंडली का प्रथम भाव लग्न जातक के स्वास... और पढ़ें

स्वास्थ्यउपाय

जून 2006

व्यूस: 8323

नक्षत्र और रोग

नक्षत्र और रोग

फ्यूचर समाचार

ज्योतिष शास्त्र में मृत्युदायी रोग का विचार दूसरे और सप्तम भाव से किया जाता है क्योकिं ये मारकेश भाव होते है। इन भावों के सहायक रोग देने वाले भाव तृतीय, षष्ट, अष्टम एवं द्वादश होते हैं। जिस समय मारकेश की महादशा होती हैं। यदि उस सम... और पढ़ें

स्वास्थ्य

जून 2006

व्यूस: 16085

कैंसर से प्रभावित लोगों की कुण्डलियां

कैंसर जैसे भयानक रोग के योग भी जन्मकुंडली में मिल जाते है। ग्रहों की स्थितयों से यह पता चल जाता है की इस रोग की संभावना कब बनती है। जो ग्रह सबसे ज्यादा पापी ग्रहों से पीड़ित हो उसकी दशांतर्दशा में रोग होने की संभावना रहती है।... और पढ़ें

स्वास्थ्यउपाय

जून 2006

व्यूस: 7185

क्रूर ग्रह दे सकते हैं नेत्र विकार

किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली ग्रहों के उन प्रभावों का चित्रांकन है जिनके साथ वह पैदा हुआ है। सूर्य प्रकाश का स्त्रोत है और चंद्र किरणें उसका प्रवर्तन। इसलिए सूर्य एवं चंद्र नेत्रों की ज्योति का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रह है।... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएं

जून 2006

व्यूस: 7853

लग्न अनुकूल स्वास्थ्यवर्धक भोजन

अंग्रेजी की एक प्रसिद्द कहावत है जिसके अनुसार एक मनुष्य का भोजन दूसरे के लिए जहर होता है। इस का निरूपण ज्योतिष शास्त्र भली प्रकार करता है। बारह राशियों की प्रकृति और क्षमता भिन्न है, अत: हर व्यक्ति को निरोग रहने के लिए अपने जन्म ल... और पढ़ें

स्वास्थ्य

जून 2006

व्यूस: 8714

आयुर्वेद, ज्योतिष और निरोगी काया

आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ मानव शरीर में वात, पित् और कफ तत्व सामान अनुपात में विद्यमान रहते है। इनका संतुलन बिगडने से रोगों की उत्पति होती है। सर्वप्रथम वायु तत्व का संतुलन बिगडता है और उसके बाद पित व् कफ आदि... और पढ़ें

उपाय

जून 2006

व्यूस: 7712

रोग निवारण के अनुभूत उपाय

परिवार में किसी सदस्य को रोग हो जाता है तो गृह से सुख विदा हो जाता है। यदि आप ज्योतिषी या ज्योतिष प्रेमी है तो यह भली-भांति जान लें की संधि सदैव पीड़ादायक होती है। दशा की संधि, भाव की संधि, राशि की संधि और नक्षत्र की संधि का ध्यान ... और पढ़ें

उपाय

जून 2006

व्यूस: 31851

कब और कैसे करें ज्योतिषीय उपाय

ग्रहों की शान्ति के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के उपाय किए जाते है। - रत्न धारण एवं दान। जिस ग्रह से सम्बन्धित रत्न धारण किया जाता है वह ग्रह उस जातक के जीवन में अधिक प्रभावशाली हो जाता है तथा जिस ग्रह से सम्बंधित दान किया जाता है... और पढ़ें

उपाय

जून 2006

व्यूस: 6622

लाल किताब और रोग निवारण

ज्योतिषीय डाक्टर की भूमिका नहीं निभाते परन्तु जन्म पत्रिका या हस्तरेखा के आधार पर यह बताने का प्रयत्न करते है की अमुक व्यक्ति को भविष्य में कौन सी बिमारी होने की संभावना है। जैसे यदि जन्म पत्रिका में तुला लग्न या राशि पीड़ित हो तो ... और पढ़ें

उपाय

जून 2006

व्यूस: 19340

शाबर मंत्रो द्वारा रोग निवारण

रोग विभिन्न प्रकार के होते है। अधिकांश टी औषधोपचार से ठीक हो जाते हैं। परन्तु कुछ को मंत्रोपचार द्वारा भी ठीक किया जा सकता है। जहां दवाएं रोग का निदान करने में निष्प्रभावी हो जाएं। वहां मंत्र उपचार का सहारा लेना चाहिए। इन मंत्रों ... और पढ़ें

उपाय

जून 2006

व्यूस: 31426

सूर्य की किरणों से उपचार

ज्योतिष में सूर्य महत्वपूर्ण ग्रह है। सूर्य राजा और आत्मकारक गृह है और अग्नि का प्रतिक माना जाता है। शरीर से आत्मा निकलने के बाद मृत्यु हो जाती है। सूर्य किरणों द्वारा रोगों का इलाज प्राचीन समय से होता आ रहा है। आयुर्वेदिक दृष्टि ... और पढ़ें

स्वास्थ्यउपाय

जून 2006

व्यूस: 15567

जन्मकुंडली में चिकित्सक बनने के योग

ज्योतिष विद्या के माध्यम से मनुष्य की आजीविका के निर्धारण के अनेक सूत्र, ग्रन्थ मौजूद है। जन्मकुंडली के आधार पर चिकित्सा क्षेत्र से जुडने के योगों का सोदाहरण विश्लेषण प्रस्तुत है। निम्न योग होने पर चिकित्सा क्षेत्र से जुडने की संभ... और पढ़ें

स्वास्थ्य

जून 2006

व्यूस: 7377

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