कुंडली के द्वादश भावों में बृहस्पति का फल प्रेम प्रताप विजसभी जानते हैं कि बृहस्पति ग्रह, समस्त ग्रह पिंडों में सबसे अधिक भारी और भीमकाय होने के कारण, गुरु अथवा बृहस्पति के नाम से जाना जाता है। यह पृथ्वी की कक्षा में मंगल के बाद स्थित है और, सूर्य को छोड़ कर, सभी अन्य ग्रहों से बड़ा है। इस... और पढ़ेंज्योतिषघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2004व्यूस: 42999
उच्च नीच के ग्रह क्यों और कैसे होते हैं? फ्यूचर पाॅइन्टज्योतिष में रुचि रखने वाले उच्च/ नीच के ग्रहों से रोजाना मुखातिब होते हैं और ग्रहों की इस स्थिति के आधार पर फलकथन भी करते हैं। शाब्दिक परिभाषा के आधार पर ‘उच्च’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से ऊँचा और ‘नीच’ का तात्पर्य सामान्य ... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015व्यूस: 50466
आर्थिक उन्नति कारक दक्षिणावर्ती शंख सीताराम त्रिपाठीदक्षिणावर्ती शंख का अपने चमत्कारी गुणों क कारण अपना विशेष महत्व है. यह शंख विदेश दुर्लभ तथा सर्वाधिक मूल्यवान होता है. असली दक्षिणावर्ती शंख कों प्राण प्रतिष्ठित कर के उद्दोग – व्यवसाय स्थल, कार्यालय, दुकान अथवा घर में स्थापित कर ... और पढ़ेंज्योतिषउपायमंत्रआगस्त 2009व्यूस: 43194
तुरंत फलादेश विधि आभा बंसलज्योतिष में तुरंत उत्तर ही नहीं बल्कि जातक के मस्तिष्क में क्या सवाल है, वह भी जाना जा सकता है. सर्व प्रथम प्रश्न कुंडली उस समय व स्थान भी बनाएं जहां से जातक प्रश्न कर रहा है. यह ज्ञात रहे की ग्रह-गोचर जातक के दिमाग में... और पढ़ेंज्योतिषमार्च 2012व्यूस: 64662
क्या और कैसे होते हैं-उच्च, नीच, वक्री एवं अस्त ग्रह दयानंद शास्त्रीउच्च तथा नीच राशि के ग्रह भारतवर्ष में अधिकतर ज्योतिषियों तथा ज्योतिष में रूचि रखने वाले लोगों के मन में उच्च तथा नीच राशियों में स्थित ग्रहों को लेकर एक प्रबल धारणा बनी हुई है कि अपनी उच्च राशि में स्थित ग्रह सदा शुभ फल दे... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015व्यूस: 45482
व्यवसाय का निर्धारण तिलक राजहमारे जन्मांग चक्र में विभिन्न भावों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष चार भागों में बांटा जाता है। 1, 5, 9 धर्म भाव, 2, 6, 10 अर्थ भाव, 3, 7, 11 काम भाव और 4, 8, 12 मोक्ष भाव है।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2009व्यूस: 60625
टाॅन्सिलाइटिस अविनाश सिंहटाॅन्सिलाइटिस एक बाल रोग है, जो बच्चों को बचपन में ही अपने शिकंजे में जकड़ लेता है। इसका मुख्य कारण गलत खान-पान होता है। अगर बड़े होने पर भी खान-पान गलत रहे, तो बड़े होकर भी यह रोग हो सकता है। जो बालक बचपन में अपने खान-पान का... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2017व्यूस: 4303
गुर्दों के रोग वेद प्रकाश गर्गगुर्दे शरीर के अन्य अंगों की तरह ही संवेदनशील होते हैं। इनके बिगड़ जाने से संपूर्ण शारीरिक संरचना प्रभावित होती है। इसलिए इनका खास ध्यान रखे जाने की जरूरत होती है। कई छोटी-छोटी बातों को अपनाकर गुर्दों के रोग से बचाव किया जा सकता... और पढ़ेंस्वास्थ्यउपायविविधदिसम्बर 2006व्यूस: 5365
नवग्रहों से रोग ज्ञान फ्यूचर पाॅइन्टरोग दो तरह के होते हैं-दोषज एवं कर्मज। जिन रोगों का उपचार दवाओं से हो जाता हो, उन्हें दोषज तथा जिनका उपचार दवाओं से नहीं हो उन्हें कर्मज कहते हैं। कर्मज रोग मनुष्य को पूर्व जन्म के बुरे कार्यों और पापी ग्रहों से पीड़ित होने क... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यविविधसितम्बर 2006व्यूस: 5176
रत्नों द्वारा रोग मुक्ति एवं ग्रह शांति फ्यूचर पाॅइन्टयह सर्वविदित है कि रत्नों में दैवीय शक्ति का वास होता है। इन रत्नों का यदि उचित उपयोग किया जाए तो अनेक रोगों, कष्टों, बाधाओं आदि से रक्षा हो सकती है। यहां विभिन्न रत्नों और उनके प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत है।... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यरत्नभविष्यवाणी तकनीकजून 2006व्यूस: 5026
नक्षत्र और रोग पारस राम वशिष्टज्योतिष शास्त्र में मृत्युदायी रोग का विचार दूसरे और सप्तम भाव से किया जाता है क्योंकि ये मारकेश भाव होते हैं। इन भावों के सहायक रोग देने वाले भाव तृतीय, षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश होते हैं। जिस समय मारकेश की महादशा होती है,... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकजून 2006व्यूस: 6173
मधुमेह: आहार और सावधानियां फ्यूचर पाॅइन्टमधुमेह जिसे हम शुगर और डायबिटीज के नाम से जानते हैं, यह रोग तेजी के साथ फैल रहा है और आज एक महामारी का रुप ले चुका है। इस रोग का मुख्य कारण गलत खान-पान की आदतें और जीवनशैली का संतुलित न होना है। अपनी जीवनशैली और खान-पान को... और पढ़ेंस्वास्थ्यविविधजून 2017व्यूस: 6458