मेष लग्न: विभिन्न भावों में शुक्र की दशा का फल अमित कुमार रामशुक्र की महादशा मेष लग्न में शुक्र धन भाव का स्वामी होता है और जन्म कुंडली में किस भाव में स्थित है उसका भी विशेष महत्व है। जब भी शुक्र की दशा आयेगी धन योग का फल मिलेगा लेकिन दशा के अनुसार ही शुभ-अशुभ फल प्राप्त होगा। लग्न में शुक... और पढ़ेंज्योतिषदशाघरग्रहजून 2013व्यूस: 36292
देव गुरु बृहस्पति एक वरदान पुखराज बोराऋषि मुनियों ने बृहस्पति की कल्पना ऐसे पुरूष के रूप में की है जो बृहदकाय, विद्वान, सात्विक एवं मिष्ठानप्रिय है। बृहस्पति देव की कृपा के बिना किसी भी जातक का जीवन सुखी एवं संतुष्ट होना असंभव है। जन्मकुंडली में बृहस्पति कर्क, धनु, मी... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2011व्यूस: 26623
सामुद्रिक शास्त्र की सार्थकता डॉ. अरुण बंसलकहा जाता है, की पूर्व काल में शंकर जी के आशीर्वाद से उनके ज्येष्ठ पुत्र स्वामी कार्तिकेय ने, जनमानस की भलाई के लिए, हस्त रेखा, शास्त्र की रचना की। जब यह शास्त्र पूरा होने को आया, तो गणेश जी ने, आवेश में आकर प्रतिलिपियों को शंकर जी... और पढ़ेंज्योतिषजनवरी 2008व्यूस: 12913
त्रिशांश कुंडली एवं अरिष्ट काल रोकेश सोनीपाराशर मुनि ने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर शुभाशुभ विचार करने हेतु वर्ग कुंडलियों की उपयोगिता बताई है। जन्मपत्रिका से किसी घटना का संकेत मिलता है तो उसकी पुष्टि संबंधित वर्ग कुंडली से होती है। ऐसी वर्ग कुंडली है त्रिशांश अर्थात क्ध्... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगवर्ग कुंडलियाँभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2011व्यूस: 38232
मुहूर्त विचार आभा बंसलमुहूर्त किसे कहते है.? २ घडियां अर्थात ४८ मिनटों के काल को मुहूर्त कहते है. व्यवहार में मुहूर्त का अर्थ है वह शुभ घडी, जो कार्य को सफल बनाने में सहायक सिद्ध हो. मुहूर्त पर कार्य करने से क्या लाभ है. ? मुहूर्त पर कार्य करने से सपहल... और पढ़ेंज्योतिषजून 2004व्यूस: 4487
राहु-केतु का फलकथन फ्यूचर पाॅइन्टराहु केतु के फलकथन का आधार क्या होना चाहिए और जीवन की लंबी अवधि के कितने वर्ष इन छाया ग्रहों से प्रभावित रहते हैं तथा किन ग्रह योगों के साथ ये शुभ या अषुभ फल देते हैं तथा विभिन्न स्थितियों में राहु और केतु की दषा क्या फल प्रदान कर... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2011व्यूस: 25778
मुहूर्त प्रश्नावली डॉ. अरुण बंसलतिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण इन्हीं के आधार पर शुभ समय निश्चित किया जाता है. लग्न शुद्धि के साथ-साथ इन पाँचों का शुभ होना परम आवश्यक है. इन सबके आधार पर ही शुभ व शुद्ध मुहूर्त निकाला जाता है....... और पढ़ेंज्योतिषमुहूर्तनवेम्बर 2009व्यूस: 25777
गणपति - साधना द्वारा ग्रह शांति भगवान सहाय श्रीवास्तवगणपति को तैतीस करोड़ देवी देवताओं में प्रथम स्थान प्राप्त है। गणेश पूजन किए बिना कोई शुभ व मांगलिक कार्य आरंभ नहीं होते। अतः यहां गणेश साधना के अनेक प्रयोग बताए जा रहे हैं जो जीवनोपयोगी है।... और पढ़ेंज्योतिषदेवी और देवउपायभविष्यवाणी तकनीकसितम्बर 2010व्यूस: 28596
पर्व व्रत प्रश्नोत्तरी डॉ. अरुण बंसलहमारे धर्मशास्त्रों में व्रत किसको कैसे करना चाहिए, इस बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। किसी पर्व पर व्रत का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि उस दिन व्रत करने से कई गुणा फल प्राप्त होते हैं। हर व्रत का विशेष लाभ होता है व कष्टों... और पढ़ेंज्योतिषदिसम्बर 2013व्यूस: 28973
कुंभ महापर्व आभा बंसलकुंभ पर्व का पौराणिक तथ्य : महाभारत एवं अन्य ग्रंथों के अनुसार देवासुर में परस्पर शुद्ध के समय समुद्र मंथन को ले कर प्रयाग, उज्जैन, नासिक, हरिद्वार आदि ४ स्थानों पर विश्राम के इस अमृत कुंभ को ले कर प्रयाग... और पढ़ेंज्योतिषसितम्बर 2004व्यूस: 3420
सिंहस्थ गुरु एवं कुम्भ स्नान डॉ. अरुण बंसलकुंभ और मेष राशि में सूर्य होने पर हरिद्वार में, मेष राशि में गुरु और मकर राशि में सूर्य होने पर प्रयाग तथा सिंह राशि में गुरु और मेष राशि में सूर्य होने पर उज्जैन में कुंभ पर्व होता है। सिंह राशि में गुरु और सिंह राशि में ही सूर्... और पढ़ेंज्योतिषदेवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिपर्व/व्रतमन्दिर एवं तीर्थ स्थलगोचरआगस्त 2015व्यूस: 7181
हिमालय की संतानोत्पादक जड़ी बूटियां सीताराम त्रिपाठीप्राचीन भारतीय ऋषि-महर्षियों को जड़ी-बूटियों का पूर्ण ज्ञान था। यह दुर्लभ विद्या समुद्र मंथन के समय धन्वन्तरी के साथ पैदा हुई। ये वनस्पतियां रोग मुक्ति तो करती हैं ही, इनका विधि-विधान से प्रयोग करें तो तांत्रिक लाभ भी चमत्कारी ... और पढ़ेंज्योतिषउपायबाल-बच्चेभविष्यवाणी तकनीकसितम्बर 2014व्यूस: 27765