मुहूर्त विचार

मुहूर्त विचार  

आभा बंसल
व्यूस : 2664 | जून 2004

प्रश्न: मुहूर्त किसे कहते हैं?

उत्तर: 2 घड़ियों, अर्थात् 48 मिनटों के काल को मुहूर्त कहते हैं। व्यवहार में मुहूर्त का अर्थ है वह शुभ घड़ी, जो कार्य को सफल बनाने में सहायक सिद्ध हो। किसी भी कार्य विशेष के लिए पंचांग शुद्धि द्वारा निश्चित की गई समयावधि को ‘मुहूर्त’ कहा जाता है।

प्रश्न: मुहूर्त पर कार्य करने से क्या लाभ है?

उत्तर: मुहूर्त पर कार्य करने से सफलता प्राप्त होती है एवं कार्य सुगमतापूर्वक पूर्ण होता है, विघ्नों का नाश होता है एवं अड़चनों में न्यूनता आती है।

प्रश्न: क्या मुहूर्त पर कार्य करने से भाग्य बदल जाता है? अर्थात् यदि भाग्य में कोई उपलब्धि न हो, तो अच्छे मुहूर्त पर कार्य कर के क्या हम वस्तु विशेष को प्राप्त कर सकते हैं?

उत्तर: अच्छा मुहूर्त हमारे भाग्य को तो नहीं बदल सकता, लेकिन कार्य की सफलता के पथ को सुगम बना सकता है। जिस प्रकार यदि हमें कार्य पर जाना हो और बाहर आंधी, तूफान, या ओले पड़ रहे हों, तो गंतव्य पर पहुंचना बहुत कठिन हो जाएगा और यदि मौसम अच्छा हो, तो वही यात्रा हमारे लिए सुगम और आनंददायक हो जाएगी, उसी प्रकार से शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य सुगम हो जाता है। साथ ही यदि कोई अन्य हानि होनी है, तो वह क्षीण, या कम हो जाती है एवं अधिकाधिक लाभ प्राप्त होता है।

प्रश्न: मुहूर्त किस प्रकार अच्छे फल को दर्शाता है?

उत्तर: जिस प्रकार से जन्मकुंडली में ग्रह यदि केंद्र, या त्रिकोण में स्थित हों, तो कुंडली अच्छी कहलाती है एवं अच्छे भविष्य को दर्शाती है, उसी प्रकार कार्यारंभ की कुंडली ही मुहूर्त की कुंडली होती है और एक अच्छे मुहूर्त में ग्रहों को शुभ स्थानों पर स्थित करने का प्रयास किया जाता है। ग्रहों की यह शुभ स्थिति ही अच्छे भविष्य को दर्शाती है।

प्रश्न: क्या एक मुहूर्त एक जातक के लिए शुभ और दूसरे के लिए अशुभ हो सकता है?

उत्तर: अवश्य। मुहूर्त में जातक की राशि में चंद्रमा की स्थिति को देखा जाता है। यदि वह 4, 8, 12 है, तो यह स्थिति नेष्ट मानी जाती है। इस प्रकार एक जातक के लिए मुहूर्त शुभ एवं दूसरे के लिए नेष्ट हो सकता है। यह ठीक उसी प्रकार से है, जैसे जातक विशेष की कुंडली का एक जातक की कुंडली से मिलान हो सकता है और दूसरे से नहीं। इसे इस प्रकार से भी समझा जा सकता है कि एक जातक को एक प्रकार की काॅस्मिक किरणें लाभ देती हैं एवं दूसरे को दूसरे प्रकार की। एक मुहूर्त में एक ग्रह स्थिति है, जो एक प्रकार की किरण् ाों को वितरित करती है एवं दूसरे मुहूर्त में दूसरे प्रकार की। अतः एक जातक के लिए एक मुहूर्त शुभ है, तो दूसरे के लिए दूसरा।

प्रश्न: मुहूर्त किस कार्य के लिए देखना चाहिए? क्या दैनिक कार्यों, जैसे स्नान, भोजन, या कार्यालय गमन आदि के लिए भी मुहूर्त देखना चाहिए ?

उत्तर: विशेष कार्यों के लिए ही मुहूर्त विचार अनुसरणीय है। दैनिक कार्यों के लिए मुहूर्त विचार की आवश्यकता नहीं है।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


प्रश्न: यदि समय का अभाव हो, तो मुहूर्त कैसे निकालना चाहिए?

उत्तर: मुहूर्त विचार में अनेकानेक ग्रहों, योगों, नक्षत्रों, तिथियों, वारों आदि का विचार किया जाता है, जिस कारण शुभ मुहूर्त प्राप्त होने में कई सप्ताहों, या माहों की भी प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। यदि हमारे पास उतना समय नहीं है, तो केवल जन्म राशि से चंद्रमा की शुभ स्थिति एवं शुभ नक्षत्र देख कर मुहूर्त निकाला जा सकता है। शुभ वार एवं तिथि का भी यदि विचार कर सकें, तो उत्तम है।

प्रश्न: यदि किसी कारणवश पहले से कार्य की तिथि तय की हुई है, तो क्या करना चाहिए?

उत्तर: यदि तारीख तय है, तो भी हम लग्न शुद्धि कर मुहूर्त को अच्छा बना सकते हैं। तिथि अच्छी न होने पर भी लग्न शुद्धि से मुहूर्त को लगभग शुभ बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त शुभ होरा, या चैघड़िया, या अभिजित मुहूर्त का चयन कर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। शुभ तिथि के दिन भी यदि लग्न शुद्धि आदि नहीं की, तो फल अशुभ हो सकते हैं।

प्रश्न: मुहूर्त के लिए वार की गणना कैसे करनी चाहिए?

उत्तर: ज्योतिष में वार सूर्योदय से शुरू हो कर अगले सूर्योदय पर समाप्त होता है। अतः मध्य रात्रि के बाद भी पूर्वकालिक वार ही चलता रहता है।

प्रश्न: मुहूर्त के लिए तिथियों, नक्षत्रों, योगों आदि की गणना कैसे करनी चाहिए?

उत्तर: मुहूर्त में सभी गणनाएं स्पष्ट काल पर ही करनी चाहिएं, न कि सूर्योंदय, या किसी अन्य काल पर।

प्रश्न: यात्रा, अथवा शुभ कार्य पर जाने के लिए राहु काल का क्या महत्व है?

उत्तर: किसी शुभ कार्य के लिए राहु काल में जाने से कार्य में व्यवधान आते हैं। अतः राहु काल को त्याज्य माना गया है। लेकिन यदि कोई कार्य कर रहे हैं, तो उसे राहु काल में समाप्त करने, या रोकने की आवश्यकता नहीं होती है।

प्रश्न: मुहूर्त निकाल कर कार्य करने के बाद भी यदि उसमें 1-2 घंटे की देरी हो जाए, तो क्या करें?

उत्तर: अधिकांशतया देखा जाता है कि हम मुहूर्त तो निकलवाते हैं, लेकिन उसको ठीक से निभा नहीं पाते हैं। विवाह में तो यह अक्सर देखने में आता है कि मुहूर्त 10 बजे का है, तो फेरे 2 बजे रात को होते हैं। यह बहुत बड़ी भूल है। कई बार लग्न बदल देने से ग्रह अष्टम, या द्वादश स्थान में पहुंच जाते हैं, जो अनर्थ कर देते हैं। अतः, पूरे दिन की काल गणना पहले से कर के, समझ लेना चाहिए कि कौन सा समय कितना शुभ है एवं कितना अशुभ तथा अशुभ समय को छोड़ कर दूसरे शुभ लग्न में ही कार्य करना उत्तम है।

प्रश्न क्या मुहूर्त के द्वारा भविष्य को बदला जा सकता है?

उत्तर जस प्रकार किसी बालक के जन्म समय के ग्रह उसके भविष्य को बताते हैं, उसी प्रकार मुहूर्त आने वाले समय में जो कार्य होना है, उसका भविष्य बताता है। शुभ मुहूर्त में कार्य कर भविष्य तो नहीं बदला जा सकता, परंतु कुछ दोष अवश्य कम किए जा सकते हैं। शुभ मुहूर्त में कार्य तभी सफल होता है जबकि आपके पूर्व जन्म के कर्म व भाग्य अनुकूल हों।


To Get Your Personalized Solutions, Talk To An Astrologer Now!




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.