कुंडली मिलान और मांगलिक दोष

कुंडली मिलान और मांगलिक दोष

कनक कुमार वार्षणेय

हमारे समाज में कुंडली मिलान की प्रथा इतनी व्यापक हो गई है कि अच्छा संबंध मिलने पर भी मेलापक के गुणों अथवा मांगलिक दोष के कारण बात अटक जाती है। कुंडली मिलाएं या नहीं, मांगलिक दोष से किस प्रकार निपटें, यही इस लेख की चर्चा का विषय है... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याघरविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2012

व्यूस: 21167

महान भविष्यवक्ता कीरो

अंक विज्ञान के क्षेत्र में कीरो का नाम बहुत ही सम्मानपूर्वक लिया जाता है। कीरो एक महान अंक विशेषज्ञ होने के साथ-साथ महान हस्तरेखा विशेषज्ञ एवं महान भविष्यवक्ता भी थे। किन ग्रहों की शुभ स्थिति एवं बल ने इस महान व्यक्तित्व को इस क्ष... और पढ़ें

ज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2010

व्यूस: 22201

क्यों?

क्यों?

यशकरन शर्मा

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह प्र... और पढ़ें

ज्योतिषरमल शास्त्र

अप्रैल 2014

व्यूस: 20163

नक्षत्रों से आजीविका चयन और बीमारी का अनुमान

आजीविका चयन का ज्योतिष में प्राचीन और सर्वमान्य नियम यह है की कर्मेश / दशमेश जिस ग्रह के नवांश घर में हो उस ग्रह के गुण धर्म के अनुसार व्यक्ति की आजीविका होगी। इसके अतिरिक्त ज्योतिष ग्रंथों और वृहत संहिता खंड एक के अनुसार १५ में उ... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यनक्षत्रभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

फ़रवरी 2013

व्यूस: 18172

आयु निर्णय

आयु निर्णय

डॉ. अरुण बंसल

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सामान्यतः होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास केवल ज्योतिष के माध्यम से ही सम्भव है। ज्योतिष हमारा मार्गदर्शक शास्त्र है, नियामक नहीं। वस्तु स्थिति यह है कि शास्त्र व अनुभव ये दो आंखें हैं, इन्हीं आंखों के द... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2013

व्यूस: 14768

नेप्च्यून, प्लूटो तथा हर्षल से संबंधित कुछ प्रभावी योग

पत्रिका के आधार पर फल कथन हेतु मुख्यतः सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु को ही व्यवहार में लिया जाता है। किंतु वर्तमान में हर्षल, नेप्च्यून तथा प्लूटो नामक 3 अन्य ग्रहों का भी समावेश इनमें किया गया है।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीक

फ़रवरी 2006

व्यूस: 30216

शुभ मुहूर्त हेतु चंद्र/ताराबल अवश्य देखें

मुहूर्त के सभी विचारणीय विषयों में चंद्र बल आवश्यक विषयों में से एक है। यदि अनुकूल स्थितियां उपलब्ध न हों तो सही प्रकार से चुना हुआ लग्न मुहूर्त अशुभ योगों द्वारा उत्पन्न दोषों को दूर करने में सक्षम होता है। अतः किसी भी कार्य के प... और पढ़ें

ज्योतिषमुहूर्त

जुलाई 2011

व्यूस: 49419

द्वादश भाव संबंधी शुभ फल

ज्योतिष शास्त्र के प्रवर्तक ऋषियों ने जन्म कुंडली के षष्ठ, अष्टम और द्वादश भावों को दुःख स्थान तथा अन्य भावों को सुस्थान की संज्ञा दी है। दुःस्थानम् षष्टभरिपुव्ययभावमाहुः सुस्थानमन्यभवनं शुभदं प्रदिष्टम। -फलदीपिका सामान्यतः छ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगघरभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2007

व्यूस: 23648

लग्नानुसार रत्न निर्धारण

रत्नों का ज्योतिष में महत्व अत्यंत प्राचीन है। ग्रहों को अनुकूल बनाने हेतु रत्न धारण किये जाते हैं। ग्रहों के अनुसार रत्न इस प्रकार हैं: ग्रह रत्न सूर्य माणिक्य चंद्र मोती मंगल मंूगा बुध पन्ना गुरु पुखराज शुक्र हीरा शनि... और पढ़ें

ज्योतिषउपायरत्नराशि

मई 2014

व्यूस: 22014

जन्म पत्रिका में ज्योतिषी योग

ज्योतिष एक दिव्य विद्या होने के साथ ज्ञान का अथाह सागर है इसमें ईष्वरोपासना की ओर आगे बढ़कर ईष्वरीय कृपा प्राप्त करने वाला व्यक्ति ही पारंगत हो सकता है। इससे संबंधित ज्योतिषीय योगों के बारे में जानने के लिए यह लेख पढ़िए।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2011

व्यूस: 19711

ज्योतिष द्वारा कैसे जानें मानसिक रोग

मन के हारे हार है 'मन के जीते जीत' उक्त कहावत हमारे जीवन में बहुत सार्थक प्रतीत होती है। मानसिक बल के आगे शारीरिक बल न्यून हो जाता है। व्यक्ति का मन अगर भ्रष्ट या अविवेकी हो जाए तो व्यक्ति का चरित्र लांछित हो जाता है। मन रोगी व कम... और पढ़ें

ज्योतिषस्वास्थ्यकुंडली व्याख्याघरचिकित्सा ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2011

व्यूस: 21156

ऋण एवं उनके उपाय

ऋण एवं उनके उपाय

राजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’

ऋण का अर्थ है ‘‘कर्ज’’ और कर्ज हर मनुष्य को चुकाना पड़ता है। इसका उल्लेख वेद-पुराणों में प्राप्त होता है। हिंदु धर्म-शास्त्रों के अनुसार मनुष्यों पर तीन ऋण माने गए हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण एवं पितृ ऋण। इन तीनों में पितृ ऋण सबसे ... और पढ़ें

ज्योतिषउपायलाल किताब

सितम्बर 2015

व्यूस: 32218

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