अंक ज्योतिष द्वारा नामकरण डॉ. अरुण बंसललड़की का विवाह होने के बाद उसके नाम के आगे का उपनाम (सरनेम) बदल जाता है और उसकी दुनिया व भाग्य भी बदल जाता है। संन्यास के बाद गुरु संन्यास आश्रम में प्रवेश करने वाले का नया नाम रख देते हैं और इस प्रकार उसकी दुनिया ही बदल जाती है। इ... और पढ़ेंज्योतिषअंक ज्योतिषबाल-बच्चेभविष्यवाणी तकनीकजून 2015व्यूस: 36245
क्या भारत में दो टाईम जोन की आवश्यकता है? आभा बंसलटाईम जोन (Time Zone) या मानक समय को हम क्षेत्रीय समय के नाम से भी जानते हैं।... और पढ़ेंज्योतिषआगस्त 2017व्यूस: 2635
कैसे करें अंक ज्योतिष का प्रयोग? विनय गर्गअंक विज्ञान ज्योतिष की ही एक शाखा है। क्योंकि प्रत्येक अंक किसी न किसी ग्रह से अभिभूत होता है। बड़े फिल्मी सितारे और सफलतम हस्तियां भी अंक विज्ञान के प्रभाव से अछूती नहीं है। ज्योतिष एवं अंक शास्त्र को संयुक्त कर किस तरह से लाभ प्र... और पढ़ेंअंक ज्योतिषउपायभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2010व्यूस: 98858
भद्रा एवं दोष परिहार डॉ. अरुण बंसलकिसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा का योग अशुभ माना जाता है। भद्रा में मांगलिक कार्य का शुभारंभ या समापन दोनों ही अशुभ माने गये हैं। पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव व देवी छाया की पुत्री व राजा शनि की बहन है।... और पढ़ेंज्योतिषदेवी और देवज्योतिषीय विश्लेषणग्रहणमुहूर्तभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2015व्यूस: 22473
राहुकाल डॉ. अरुण बंसलज्योतिष शास्त्र में हर दिन को एक अधिपति दिया आया है। जैसे - रविवार का सूर्य, सोमवार का चन्द्र, मंगल का मंगल, बुधवार का बुध, बृहस्पतिवर का गुरु, शुक्रवार का शुक्र व् शनिवार का शनि।... और पढ़ेंज्योतिषआकाशीय गणितमुहूर्तअप्रैल 2013व्यूस: 14433
माइनर अरकाना - क्वीन ऑफ़ कप्स कृष्णा कपूरटैरो रीडिंग के दौरान जिस व्यक्ति के लिये उक्त कार्ड प्रगट होता है उस व्यक्ति के लिये यह इंगित करता है कि संबंधित व्यक्ति अगर समस्याग्रस्त है तो प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने अनुकूल स्थिति में लाने में सफलता हासिल कर सकता है।... और पढ़ेंज्योतिषटैरोफ़रवरी 2020व्यूस: 3489
नक्षत्र डॉ. अरुण बंसलपृथ्वी सूर्य के चरों ओर चक्कर लगाती रहती हैं। एक चक्कर लगाने में पृथ्वी को 365.2422 दिन लगते हैं। यही एक वर्ष का मान हैं। चन्द्रमा की दो प्रकार की गति हैं। एक पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने में इसे 27.32 दिन लगते हैं।... और पढ़ेंज्योतिषनक्षत्रराशिफ़रवरी 2013व्यूस: 10527
अधिक मास : कब और क्यों डॉ. अरुण बंसलवर्ष २००७ में दो ज्येष्ठ मास होंगे। इन्हें प्रथम ज्येष्ठ व् द्वितीय ज्येष्ठ के नाम से जाना जाता है। दो मास में चार पक्ष हो जाते है। प्रथम ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष से शुरू होता है। तदुपरांत प्रथम ज्येष्ठ का शुक्ल पक्ष, द्वितीय ज्येष्ठ का... और पढ़ेंज्योतिषअन्य पराविद्याएंज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगआकाशीय गणितमई 2007व्यूस: 10439
बहुविवाह शुभेष शर्मनमानव अपनी जन्म कुंडली परमात्मा के घर से ही अंकित करवाकर लाता है। जन्म जन्मांतर की करनी-भरनी का लेखा जोखा हस्तरेखाओं में अंकित होता है। वर्तमान कर्तव्य कर्मों के अनुसार रेखाएं परिवर्तित होती रहती हैं। रेखाओं का उदय अस्त हाथों में प... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगविवाहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2007व्यूस: 5861
संवत्सर-सूक्ष्म विवेचन डॉ. अरुण बंसलसंवत् 2070 पराभव नामक संवत्सर था। क्रमानुसार 2071 का नाम प्लवंग होना चाहिए। लेकिन ऐसा... और पढ़ेंज्योतिषअकतूबर 2014व्यूस: 1577
शेयर कमोडिटी व आपका भाग्य आनन्द शिव मेहताबाजार सदैव एक समान नहीं रहता है। अनेकों लोग आज जैसा कल चले, गत सप्ताह समान इस सप्ताह चले, गत माह समान इस माह चले, गत वर्ष समान इस वर्ष गत ऋतु समान इस समय चले यह नहीं होता। कभी 2, 3 दिन मंदी या तेजी की लाईन चंद्रमा निकालता है। ... और पढ़ेंज्योतिषमेदनीय ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकगोचरजनवरी 2016व्यूस: 6707
देश-विदेशों के लिए तिथिमान परिवर्तन विधि आभा बंसलअनेक स्थानों से अनेक पंचांग निकलते हैं। प्रत्येक में तिथिमान श्न्नि-श्न्नि होते हैं।... और पढ़ेंज्योतिषसितम्बर 2004व्यूस: 1536