बैंक

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प्रमोद कुमार सिन्हा

वास्तुशास्त्र में धन रखने के लिए सबसे उपयुक्त और शुभ स्थान उतर दिशा को माना गया हैं। क्योंकि इस दिशा के स्वामी कुबेर हैं। कुबेर समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी के खजांची हैं। इसलिए बैंक को उतर में रखने की सलाह दी जाती हैं।... और पढ़ें

वास्तुव्यवसायिक सुधारभवन

मार्च 2013

व्यूस: 8497

भू-परीक्षण, प्रकार एवं ढलान का महत्व

किसी नए भूखंड को खरीदने से पहले किसी वास्तु विशेषज्ञ से उसकी जांच करवा लेना आवश्यक है। भूमि के परीक्षण में निम्नांकित सिद्धान्तों कापालन करना चाहिए: -1 फीट X 1 फीट गहरा गडक्का खोदें तथा उसमें से निकली हुई मिट्टी से उसे भर दें। यदि... और पढ़ें

वास्तुवास्तु परामर्शवास्तु पुरुष एवं दिशाएंवास्तु दोष निवारणवास्तु के सुझावभविष्यवाणी तकनीक

मई 2016

व्यूस: 9047

सिनेमा हाल, थियेटर या आडिटोरियम

सिनेमा हाल, थियेटर या आडिटोरियम आधुनिक समाज के लिए अतिमहत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थान है जहां पर विभिन्न उम्र के लोग एक साथ बैठकर मनोरंजन का लुत्फ उठाते हैं। इस स्थान को वास्तु सम्मत बनाने पर लोगों के लिए यह काफी उपयोगी हो जाता हैं।... और पढ़ें

वास्तुभवन

फ़रवरी 2013

व्यूस: 8569

व्यावसायिक स्थल का वास्तु में महत्व

प्र.- किसी भी व्यावसायिक कार्य के निर्माण हेतु किस तरह का भूखंड लाभप्रद होता है? उत्तर-व्यावसायिक कार्य करने के लिए आयताकार या वर्गाकार भूखंड सर्वश्रेष्ठ होता है। आयताकार भूखंड को 1:2 अनुपात से अधिक नहीं रखना चाहिए।... और पढ़ें

वास्तुवास्तु परामर्श

सितम्बर 2014

व्यूस: 8847

स्वास्थ्य एवं वास्तु शास्त्र

आज के इस मशीनी युग एवं एक दूसरे से आगे निकलने की अंधी प्रतिस्पर्धा ने न केवल हमारे जीवन, रहन-सहन और कार्यप्रणाली को ही असंतुलित किया है, बल्कि स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक शुद्ध वातावरण तथा पर्यावरण को भी दूषित कर दिया है। परिणामस्वर... और पढ़ें

वास्तुस्वास्थ्यवास्तु दोष निवारणवास्तु के सुझाव

अकतूबर 2004

व्यूस: 9045

वास्तु में कबाड़खाने का महत्व

वास्तु विज्ञान मनुष्य के चिरकालीन अनुभव का परिणाम है। यदि इसके सिद्धांतों का ठीक-ठीक पालन किया जाए तो निश्चित और तत्काल परिणाम मिलते हैं। विभिन्न वास्तु ग्रंथों में जीवन सुखी व समृद्ध बनाने के लिये घर के हर सदस्य को शयनकक्ष, भंडा... और पढ़ें

वास्तुगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारवास्तु के सुझाव

जनवरी 2005

व्यूस: 8110

ईशान कोण को खाली रखना वैदिक भी है और वैज्ञानिक भी

हमारे ऋषि मुनि महान वैज्ञानिक थे। उनका वैज्ञानिक ज्ञान हमारे वैज्ञानिक ज्ञान की तुलना में ब्रह्मांडीय अनुपात रखता था। उन्होंने संभ्रागन सूत्रधार, मायामतम, स्थापत्य वेद, मनसा आदि में जो कुछ कहा है वह सत्य है। आवश्यकता केवल उस सत्य ... और पढ़ें

वास्तुगृह वास्तुवास्तु पुरुष एवं दिशाएंव्यवसायिक सुधार

जनवरी 2008

व्यूस: 7304

शैक्षणिक संस्थान में वास्तु की उपयोगिता

शैक्षणिक संस्थान व्यक्तित्व निर्माण का एक ऐसा मंदिर है जहां से व्यक्ति ज्ञान एवं शिक्षा अर्जित करते हुए अपने चारित्रिक मूल्यों का विकास करता है। अतः इसका निर्माण उचित एवं तरीके से होना आवश्यक है। इसके निर्माण में वास्तु के सिद्धां... और पढ़ें

वास्तुवास्तु पुरुष एवं दिशाएंवास्तु दोष निवारणवास्तु के सुझावभविष्यवाणी तकनीक

फ़रवरी 2015

व्यूस: 9748

वास्तु निर्माण: काल पुरुष ज्योतिषीय योग

वास्तु पुरूष - वास्तुपुरूष का महत्व भवन निर्माण करते समय भूखंड पर निर्माण योजना से है। वास्तु पुरूष को भवन निर्माण की योजना बनाते समय विभिन्न प्रकार से परिकल्पित किया जाता है। वास्तुपुरूष का विभाजन भवन विशेष की योजनानुसार परिकल्प... और पढ़ें

वास्तुवास्तु परामर्शवास्तु पुरुष एवं दिशाएंवास्तु दोष निवारणवास्तु के सुझावभविष्यवाणी तकनीक

दिसम्बर 2016

व्यूस: 9475

होटल, रेस्तरां एवं रिजाॅट

होटल व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर, लोकेशन, साज-सज्जा, अच्छी सुविधा एवं आतिथ्य का बड़ा ही अहम रोल है। ग्राहकों एवं अतिथियों को आमंत्रित एवं आकर्षित करने में वास्तु की अहम भूमिका है क्योंकि होटल की सही जगह ... और पढ़ें

वास्तुवास्तु परामर्शवास्तु पुरुष एवं दिशाएंवास्तु दोष निवारणवास्तु के सुझावभविष्यवाणी तकनीक

फ़रवरी 2015

व्यूस: 8349

उत्तर-पूर्व दिशा के मकान भूखंड

उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण अथवा वास्तु पूजा कोण अथवा ईश्वर का कोण कहा जाता है। ईशान कोण सर्वाध्कि महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। यदि ईशान कोण कम हो तो परिवार एवं परिवार के सदस्यों को अनेक समस्याओं का ... और पढ़ें

वास्तुवास्तु परामर्शवास्तु पुरुष एवं दिशाएंवास्तु दोष निवारणवास्तु के सुझावभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2016

व्यूस: 10404

फ्लैट खरीदने में किन बातों का रखें ध्यान

मुख्य द्वार या चारदीवारी का द्वार दिशा के अनुसार शुभ स्थान पर हो। शुभ स्थान पूर्वी ईशान, उत्तरी-ईशान, दक्षिणी-आग्नेय और पश्चिमी-वायव्य है। नैर्ऋत्य कोण के द्वार अशुभ होते हैं।... और पढ़ें

वास्तुउपायवास्तु परामर्शवास्तु पुरुष एवं दिशाएंवास्तु के सुझाव

दिसम्बर 2015

व्यूस: 8018

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