2016 में भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार शाम धिंगराआज भारतवर्ष विश्व में अपना अलग राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। सबसे अधिक युवा शक्ति के साथ तकनीकी ज्ञान, सांस्कृतिक धरोहर से परिपूर्ण एवं प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश होने का गौरव हमारे राष्ट... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणमेदनीय ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकगोचरजनवरी 2016Views: 7692
विदेश गमन में प्रभावी ज्योतिषीय कारक निर्मल कुमार झाआज विदेश जाने की ललक हर किसी के मन में है। अधिकतर लोग तो विदेश में स्थायी रोजगार को ध्यान में रखकर ही शिक्षा अर्जित करते हैं। विदेश जाने के प्रयास सभी लोग करते हैं लेकिन सफलता सभी को नहीं मिलती। किन ग्रह दशाओं में विदेश यात्रा ... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकयात्राजनवरी 2006Views: 9536
आयुष्मान खुराना आभा बंसलअल्पकाल में ही फिल्माकाश पर छा जाने वाले युवा कलाकार आयुष्मान खुर्राना का जन्म चंडीगढ़ में 14 सितंबर, 1984 को प्रातः 7 बजकर 35 मिनट पर कन्या लग्न, मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र के तृतीय चरण में शुक्रवार को हुआ। अपनी पहली ही फिल्म ‘वि... moreज्योतिषघरमार्च 2014Views: 7749
फर्श से अर्श की उड़ान का मार्मिक अंत आभा बंसलपोंटी चड्ढा का असली नाम गुरुदीप सिंह चड्ढा था। उनका परिवार पार्टीशन के दौरान पाकिस्तान से मुरादाबाद शिफ्ट हुआ था और उनके पिता एक देशी शराब की दुकान के आगे तली मछली बेचा करते थे।... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकगोचरजनवरी 2013Views: 7351
संतान प्राप्ति फ्यूचर पाॅइन्टकैसे जानें कि जातक को पुत्र या पुत्री संतान की प्राप्ति होगी? संतान सुख होने या न होने के ज्योतिषीय कारण क्या हैं? विस्तृत वर्णन करें। उत्तर: जीवन के सभी सुखों में संतान सुख का एक अलग ही स्थान है। न तो पुरुष नपुंसक कहलाना चा... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणबाल-बच्चेभविष्यवाणी तकनीकमई 2016Views: 10045
नव संवत्सर 2065 - पदाधिकारी ग्रह एवं फल डॉ. अरुण बंसलसंवत्सर २०६५ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार ७ अप्रैल २००८, सोमवार को प्रारम्भ होगा। प्लव नाम का यह संवत्सर अधिक वर्षा एवं रोगों का कारक है। इसका स्वामी बुध है। यह चैत्र मास में धान्य के सम भाव को दर्शाता है।... moreज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2008Views: 7917
घर प्राप्ति के ज्योतिषीय योग फ्यूचर पाॅइन्टप्रश्न: जातक को अपना घर कब प्राप्त होता है, ज्योतिषीय योग, दशा और गोचर को निम्न कुंडली पर प्रयोग करते हुए अपने नियमों को प्रतिपादित करें। जातक का घर स्वर्जित होगा या पैतृक यह भी स्पष्ट करें।... moreज्योतिषउपायज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2016Views: 7983
तृतीयस्थ या तृतीयेश ग्रह की दशा -कभी खुशी कभी गम संजय बुद्धिराजाभारतीय ज्योतिष में तृतीय भाव को पराक्रम का भाव कहा गया है. यह भाव अष्टम से अष्टम है जिस कारण इसे शुभ भाव नहीं माना जाता है। तृतीयेश की दशा अष्टमेश की दशा तुल्य कही जाती है... moreज्योतिषदशाघरभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2014Views: 8626
ज्योतिष की आर्ष पद्धति उमा जैनवैदिक ग्रंथों तथा वेदांग ज्योतिष का अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि भारत में नक्षत्र ज्ञान अपने उत्कर्ष पर रहा है। इसी कारण नक्षत्र ज्ञान तथा नक्षत्र विद्या का अर्थ ‘ज्योतिष’ माना जाने लगा। ज्योतिष का प्रचलित अर्थ हुआ वह षास्त्र ... moreज्योतिषनक्षत्रअप्रैल 2004Views: 8288
कष्ट निवारक शनि अष्टक श्रीकृष्ण शर्माशनिदेव की प्रसन्नता एवं अनुकूलता प्राप्त करने हेतु दशरथकृत शनि स्तोत्र बहुत प्रभावशाली माना जाता है। इसके नित्यपाठ से शनि तथा अन्य ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। पाठकों के हितार्थ शुद्धरूप में स्तोत्र दिया जा रहा है। शन... moreज्योतिषदेवी और देवग्रहनवेम्बर 2006Views: 37327
राजनीति एवं षड्यंत्र कारक राहु नरेंद्रमल सुरानाजन्मकुंडली में सात ग्रहों के साथ दो छाया ग्रह राहु एवं केतु को भी उनके गोचर के अनुसार स्थापित किया जाता है। वैदिक युग में राहु ग्रह नहीं था, बल्कि एक राक्षस था। पौराणिक युग में उस राक्षस के दो भाग हो गये।... moreज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2014Views: 8467
त्रिस्कंध ज्योतिष का संहिता प्रकरण आर. के. शर्माब्रह्मा, दैव, मानव, पित्र्य, सौर, चन्द्र, नक्षत्र तथा बार्हस्पत्य- ये नौं मान होते है. इस लोक में इन नौं मानों में से पांच के ही द्वारा व्यवहार होता है. किन्तु उन नौं मानों का व्यवहार के अनुसार पृथक-प्रथक कार्य बताया जाएगा. ११०' स... moreज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायअकतूबर 2011Views: 9325