नेप्च्यून - एक भाग्यकारक ग्रह

नेप्च्यून - एक भाग्यकारक ग्रह  

चंद्रकांता दीक्षित
व्यूस : 56863 | अप्रैल 2006

सामान्यतः जन्मकुंडलियों के ग्रहों और भावों के आधार पर ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा, उनकी स्थिति एवं दृष्टियों को ध्यान में रखकर फलित ज्योतिष की गणना की जाती है। लेकिन आधुनिक युग में जन्मांग चक्र में नेपच्यून, प्लूटो तथा यूरेनस नामक तीन नए ग्रह शामिल करना सटीक भविष्यवाणी में अधिक सहायक सिद्ध होता है। प्रस्तुत आलेख में नेप्च्यून की विभिन्न भावों में उपस्थिति और अन्य ग्रहों से युति जातक के जीवन की दशा और दिशा को किस तरह प्रभावित करती है इस पर प्रकाश डाला गया है। नेप्च्यून जलतत्व का ग्रह है।

गूढ़ शास्त्र, अंतज्र्ञान, दूसरों के विचार जानने, कल्पनासामथ्र्य तथा वैमानिक विद्या का कारक है। दूषित नेप्च्यून मानसिक चंचलता, विस्मृति, मूच्र्छितावस्था, स्नायविक विकार, मस्तिष्क से रक्तस्राव आदि फल दे सकता है जबकि शुभ होने पर आध्यात्मिक विकास तथा प्रतिष्ठा-यश, कीर्ति आदि का प्रदाता होता है।

नेप्च्यून अतीन्द्रिय ज्ञान का कारक ग्रह माना जाता है। मेष राशि में नेप्च्यून होने पर जातक के सिर पर कम बाल होते हैं। वह काल्पनिक वातावरण में विचरण करता है। वृषभ राशि में नेप्च्यून कला, संगीत, प्रेम तथा सुखलोलुपता देता है। दूषित हो तो गला और नेत्र के विकार हो सकते हैं। मिथुन में नेप्च्यून जातक को विनोदी और मौकापरस्त बनाता है। पीड़ित हो तो फेफड़ों की बीमारी या मानसिक रोग हो सकता है। कर्क में रहने पर भावुकता और बचपन में पीड़ा हो सकती है।


क्या आपकी कुंडली में हैं प्रेम के योग ? यदि आप जानना चाहते हैं देश के जाने-माने ज्योतिषाचार्यों से, तो तुरंत लिंक पर क्लिक करें।


अशुभ स्थिति में मातृसुख में कमी और माता का वैधव्य भी संभव है। सिंह राशि में नेप्च्यून रहने पर मनुष्य की ऊंचाई अधिक पर केश पर कम होते हैं। वह प्रणयी व विलासी होता है। हृदय अथवा वक्षस्थल के विकार सता सकते हैं। कन्या में यह ग्रह व्यक्ति को शांत-गंभीर स्वभाव का बनाता है। अनुसंधान में रूचि रहती है। अशुभ योग हो तो अंतड़ियों व पैर के रोग हो सकते हैं। व्यक्ति तब विश्वासघाती और शक्की किस्म का हो जाता है। तुला राशि में नेप्च्यून रहने से जातक ऊंचा, पूरा, कलाभिरूचि रखने वाला और उत्तम बुद्धिमत्ता से युक्त होता है किडनी का विकार भी संभव है।

वृश्चिक में नेप्च्यून जातक को गहन अध्येता, रसायन-औषधि शास्त्र में निष्णात बनाता है। अशुभ प्रभाव में व्यक्ति धूर्त और अविश्वासी होता है उसे गुप्तेंद्रियों के रोग सता सकते हैं। यदि यह धनु राशि में हो तो धर्म, संस्कृति, प्रेम, असामान्य कल्पना या ध्येय दर्शाता है। दूषित हो तो मानसिक विकार और पैर या जांघ में पीड़ा दे सकता है। मकर का नेप्च्यून मानव को मेहनती, लगनशील और सामाजिक-राजनीतिक कार्यों में भाग लेने वाला बनाता है।

अशुभ प्रभाव में व्यक्ति स्वार्थी, धूर्त और त्वचा या घुटने के विकार का शिकार हो सकता है। कुंभ राशि में नेप्च्यून हो तो जातक बौद्धिक क्षेत्रों में प्रगति करता है तथा मानवतावादी दृष्टिकोण और विचार सौंदर्य से युक्त होता है। मीन राशि का नेप्च्यून काव्यकला में रूचि की और प्रवृत्त कर जातक को भावनाप्रदान और स््फूर्तिदायक बनाता है। पीड़ित हो तो व्यक्ति में स्वभाव-विचित्रता और आलस्य देखा जाता है। भागवत फल की चर्चा करें तो प्रथम भाव या स्थान में नेप्च्यून शीघ्र ग्रहणशीलता और उत्तम कल्पनाशक्ति देता है। दूसरे भाव में नेत्रदोष और आकस्मिक धनहानि का योग बनाता है। तीसरे में हो, तो जातक में उच्च शोधवृत्ति और विचित्र कल्पना की प्रवृत्ति होती है।

चतुर्थ भाव में माता-पिता में कमी और बुढ़ापे में पराधीनता का द्योतक है। पंचम भाव में रहने पर प्रणयाराधन की ओर प्रवृत्त कर जातक की अनायास धन प्राप्ति की इच्छा के पीछे धन खर्च कराता है। छठे भाव में गुप्त शत्रु, त्वचा रोग, वातविकार, नौकरों से हानि आदि का द्योतक है। सातवें भाव में नेप्च्यून कोर्ट-कचहरी में खर्च, विवाहसुख में कमी और पत्नी को दीर्घकालीन रोग देता है। शुक्र या चंद्र के साथ हो तो गुप्त प्रेम दर्शाता है। अष्टम भाव में यह ग्रह अध्यात्म प्रेम, गृहस्थसुख में न्यूनता और पुश्तैनी जायदाद को लेकर दुःख और खर्च इंगित करता है।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


नवम स्थान का नेप्च्यून दूरदृष्टि, परमार्थ प्रेम और कम आबादी वाले स्थान में भाग्योदय का द्योतक है। दशम भाव में नेप्च्यून पिता के भाग्योदय में बाधक होता है और धन प्राप्ति के अनेक मार्गों की ओर प्रवृत्त करता है। लाभ स्थान (एकादश भाव) में नेप्च्यून संतान और मित्रों की ओर से कष्ट तथा मां को विचित्र रोग और दुखद मृत्यु देता है। व्यय भाव (द्वादश स्थान) में नेप्च्यून की उपस्थिति धन हानि, नेत्रपीड़ा और गुप्त शत्रुत्रास को दर्शाती है। शुभ योग में आध्यात्मिक प्रगति की सूचक है। नेप्च्यून-सूर्य की युति 1,5,9 और 10 स्थान में शुभ योग कारक होती है।

(उदाहरण: थामस एडिसन) । चंद्र-नेप्च्यून की युति 3, 6, 7 और 11 स्थान में बौद्धिक दृष्टि से अप्रतिम फल देती है।

(उदाहरण: वाशिंगटन, चाल्र्स डिलेस)। मंगल-नेप्च्यून का प्रतियोग आकस्मिक अशुभ दुर्घटना का संकेत देता है। बुध-नेप्च्यून का लाभयोग शुभ रहता है।

(उदाहरण: स्वामी विवेकानंद, अर्नेस्ट हेमिंग्वे) । अंतिम विश्लेषण में नेप्च्यून ग्रह चमत्कारिक फल देने वाला है। कुंडली में जिस ग्रह के युति योग में यह रहता है उस ग्रह के कारकत्व के अनुसार उस व्यक्ति का ‘भाग्य यही तय करता। आधुनिक ज्योतिर्विद मीन को उसके जल तत्व प्रधान होने की वजह से नेप्च्यून की स्वराशि मानते हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.