सिर दर्द: सिर दर्द रोग कितना फैला
हुआ है इसका अनुमान इस बात से ही
लगाया जा सकता है कि 27 करोड़
जनसंख्या वाले अमेरिका में 4.5 करोड़
लोग इससे ग्रस्त हैं। इनमें से 2.8
करोड़ लोग केवल आधे सिर दर्द
(माइग्रेन) के शिकार हैं।
भारत के शहरों में भी कुछ इतने ही
रोगी सिरदर्द से पीड़ित हैं। यह रोग
शहरियों में ज्यादा पाया जाता है।
कार्यालयों और स्कूलों दोनों में ही अधिक
से अधिक अनुपस्थिति का एक
मुख्य कारण सिर दर्द है।
सिर दर्द सामान्यतः चार प्रकार के
होते हैं।
तनाव से होने वाला सिर
दर्द: 90 प्रतिशत लोगों को
सिर दर्द तनाव के कारण होता
है। इसमें रोगी को रोजाना ही
सिर दर्द हो जाया करता है।
यह दर्द मांसपेशियों के सिकुड़ने
से होता है।
यह दर्द एक महीने में कभी-कभी
15 दिनों, या फिर इससे अधिक
दिनों तक होता रहता है। इस दर्द का
संबंध अधिक आवाज या रोशनी से
नहीं होता।
आधे सिर का दर्द (माइग्रेन): सिर
दर्द का दूसरा महत्वपूर्ण प्रकार है। यह
दर्द क्यों होता है यह अभी ठीक प्रकार
से ज्ञात नहीं है।
ऐसा समझा जाता है कि यह रोग पीढ़ी
दर पीढ़ी चलता है इस रोग में दिमाग
में कुछ बदलाव हो जाते हैं या फिर
जन्म से ही दिमाग के कुछ हिस्सों में
परिवर्तन रहते हैं।
यह दर्द ज्यादातर हथौड़े मारने जैसा
लगता है। हर बार सिर में केवल एक
ही तरफ दर्द रहता है। लेकिन
कभी-कभी दूसरे हिस्से में भी दर्द हो
सकता है।
यह दर्द अमूनन 4 से 72 घंटे या फिर
कभी-कभी इससे भी अधिक समय
तक रह सकता है। एक महीने में इसके
कई दौरे पड़ सकते हैं।
माइग्रेन दर्द का दौरा तेज, चमकती
रोशनी, तेज आवाज, अधिक महक आदि
के कारण हो सकता है। इस
दर्द के साथ-साथ चक्कर
आना, उल्टी आना या फिर
पेट दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते
हैं।
माइग्रेन के रोगियों को उच्च
रक्तचाप, दमा, तनाव, जैसे अन्य
रोग भी हो सकते हैं।
तनावजन्य तथा माइग्रेन
कभी-कभी दोनों ही दर्द एक
साथ भी हो सकते हैं।
क्लस्टर हेडेक: यह कम
लोगों को होता है। परंतु इसम
दर्द अन्य सभी दर्दों से तेज होता है।
इससे ग्रस्त कुछ लोग सुइयां चुभने
और कुछ सिर फटने जैसे कष्ट की
शिकायत करते हैं। या वहीं कुछ अन्य
लोगों को दर्द लगातार रहता है।
रोगी दर्द से इतने बेचैन हो जाते हैं कि
एक जगह बैठना उनके लिए दूभर हो
जाता है और इधर से उधर चक्कर
लगाते रहते हैं। इन रोगियों की एक
आंख के पीछे ही दर्द होता है।
यह दर्द 14 से 90 दिनों तक रह सकता
है। अचानक ही यह गायब भी हो
जाता है- पुनः लौटने के लिए।
अन्य कारणों से होने वाला सिर
दर्द: साइनस, सिर में चोट लगने के
बाद नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, दिमाग
में किसी रसोली (टयूमर) कारणों से भी
सिरदर्द होता है।
साइनस के कारण होने वाले सिर दर्द
के रोगी को गाल की हड्डी में निरंतर
दर्द रहता है इसके अतिरिक्त माथे में
या नाक की हड्डी में भी दर्द हो सकता
है।
सिर को अचानक मोड़ने से यह दर्द
ज्यादा भी हो सकता है। इस दर्द के
साथ-साथ नाक बहना, छींकें आना,
कान बंद रहना, बुखार या फिर चेहरे
पर सूजन आना आदि लक्षण भी महसूस
किए जा सकते हैं।
नेत्र रोग स्कूली छात्रों में सिरदर्द, नजर
की कमजोरी से भी हो जाता है। बच्चे
स्कूल में ब्लैकबोर्ड को ठीक से नहीं
देख पाते। इसका कारण दूर की नजर
का कमजोर होना है।
कभी-कभी काला मोतिया के रोगी भी
सिरदर्द से परेशान रहते हैं।
हारमोन सिर दर्द: यह सिर दर्द
औरतों में हारमोन्स के बढ़ते गिरते स्तर
के कारण माहवारी के समय, गर्भावस्था
में या फिर माहवारी बंद हो जाने के
बाद हो जाया करता है। रसायन, जैसे
गर्भ निरोधक गोलियां खाने से भी कुछ
स्त्रियों को सिर दर्द हो सकता है।
कैसे होता है सिर दर्द: कुछ संदेश
दिमाग, रक्त धमनियों तथा आसपास
की नाड़ियों के आस पास जन्म लेकर,
आदान प्रदान करते हैं, जिसके कारण
सिर दर्द चालू हो जाता है। इन सब
क्रियाओं से रक्त धमनियां तथा सिर
की मांसपेशी की नाड़ियां उत्तेजित हो
जाती हैं और ये नाड़ियां, दिमाग को
दर्द के संदेश भेजना शुरू कर देती हैं।
इन नाड़ियों में उत्तेजना क्यों होती है,
यह अभी तक ज्ञात नहीं है।
माइग्रेन के रोगियों के दिमाग में एक
माइग्रेन दर्द केंद्र रहता है। कुछ
क्रियाशील नाड़ी कोशिकाएं ऐसे संदेश
भेजती हैं, जिनसे पहले तो रक्त धमनियां
सिकुड़ती हैं और फिर फैल जाती हैं
साथ ही प्रोस्टाग्लेंडिन और सेरोटेनिन
नामक रसायन रक्त में आ जाते हैं।
यही रसायन दर्द को हथौड़े जैसा या
सिर फटने जैसा बनाते हैं।
कभी-कभी सिर दर्द अचानक ही हो
जाता है। इसका कारण संक्रमण,
जुकाम, बुखार और जैसा कि ऊपर
बताया गया- साइनुसाइटिस नामक
रोग, या गले में संक्रमण या कभी कभी
कर्ण रोग रहता है।
तनावजन्य सिर दर्द का कारण
पारिवारिक परेशानी या कार्यस्थल,
स्कूल में मानसिक तनाव या फिर
मद्यपान, असमय भोजन करना या लंबे
समय तक भूखे रहना, सोने के स्थान
या समय में परिवर्तन, रसायन या दवाओं
का सेवन, दबाव, पढ़ते या कार्य करते
समय कमर एवं गर्दन का असमान्य
अवस्था में रहना या फिर आंखों में
तनाव होना है।
सिर दर्द के साथ-साथ नाड़ी तंत्र में
गड़बड़ी के कारण भी दिमागी रोग;ठतंपद
क्पेमंेमद्ध होते हैं। ये रोग संक्रमण,
मेनिन्जाइटिस, एन्सेफ्लाइटिस, दिमाग
में रक्त स्राव होने, रसोली बनने, रक्त
के थक्के जमने, सिर को चोट लगने
या फिर दिमाग में फोड़े और मवाद के
बनने के कारण हो सकते हैं।
कभी-कभी कुछ रसायनों के वातावरण
में रहने या इस्तेमाल करने से भी ये
रोग हो सकते हैं।
सिर दर्द का निदान: निदान हेतु
सबसे पहले सिर दर्द किस प्रकार का
और किस अवस्थाओं में ज्यादा या
कम होता है, यह जानना अत्यंत
आवश्यक है।
रक्तचाप सामान्य रहे, तो आंखों तथा
कानों की जांच करनी चाहिए। इनमें
कुछ खराबी नहीं मिलने पर अन्य जांच
जैसे सी. टी. स्कैन या फिर एम. आरआइ.
स्कैन कराना चाहिए। इन जांचों
से दिमाग के रोगों की पहचान बखूबी
हो जाती है।
सिर के एक्सरे से आमतौर पर इस रोग
की कुछ खास जानकारी मिलती।
उन कुछ लोगों को, जो सिर दर्द होने
पर बेहोश हो जाते हैं, ई ई जी की
जरूरत भी पड़ सकती है।
कभी -कभी इलाज के बावजूद अपेक्षित
आराम नहीं मिलता है। ऐसी अवस्था
में सिर दर्द विशेषज्ञ से सलाह लेना
उचित होगा। परंतु हमारे देश में ऐसे
विशेषज्ञ केवल शहरों के कुछ बड़े
अस्पतालों में ही मिल सकते हैं।
उपचार: इलाज के सफल होने के
लिए यह जरूरी है कि चिकित्सक के
पास सिरदर्द के कारणों का ठीक प्रकार
से निदान करने के लिए समुचित समय
हो।
रोगी अपनी भोजन डायरी में, जो खाता
है, जिस वातावरण में रहता है, जो
कार्य करता है आदि सब कुछ क्रमानुसार
प्रतिदिन नोट करे, तो चिकित्सक कुछ
हद तक सिर दर्द के कारणों को पकड़
सकता है।
यदि दर्द धीमे-धीमे लगातार कुछ
झुंझुनाहट भरा हो, ऐसा लगे कि सिर
में एक पट्टी सख्ती से बंधी हुई है, तो
इसका कारण तनाव होता है। इस दर्द
में उपलब्ध आम दर्द निवारक दवाएं
जैसे पेरासिटामोल, आइबूप्रोफेन आदि
आराम दिलाती हैं।
माइग्रेन का दर्द अक्सर औरतों में ही
अधिक देखा जाता है। इस दर्द के दौरे
के समय एक अंधेरे शांत कमरे में रहना
अच्छा लगता है।
गर्म ठंडी सेंक सिर और गर्दन में आराम
देती है। कभी-कभी मालिश, चाय,
काफी आदि से भी कुछ लोग आराम
पाते हैं। इस दर्द में चिकित्सक द्वारा
बताई गई दवाओं का पूरी मात्रा तथा
नियम से इस्तेमाल करना उचित है।
कभी-कभी सिर दर्द, रोजाना एक ही
समय पर होता है। दर्द के समय साथ
ही आंखों से पानी भी आता है।
दर्द सुई चुभने जैसा, एक ही तरफ रहें,
तेज भी हो तो क्लस्टर हेडेक होता है।
यह दर्द 45-90 मिनट तक रहता है।
इस दर्द के दौरान रोगी आराम नहीं
करना चाहता और खाने की दवाएं
आराम नहीं देतीं, इसलिए 100 प्रतिशत
आक्सीजन तथा सुई लेना लाभदायक
होता है।
ऐसे दर्द के लिए ऐसी दवाएं फायदेमंद
होती हैं जिनसे दर्द का होना ही रोका
जा सके। इस समूह में बीटा ब्लाॅकर
तनावरोधी, मांसपेशी का तनाव कम
करने वाली और अन्य दवाएं आती हैं।
माइग्रेन के रोगियों को माइग्रेन न हो
इसके लिए फ्लूनारिन दवा लेनी
चाहिए। यह अत्यंत कारगर सिद्ध हुई
है।
लगभग 4-5 प्रतिशत लोगों को सिर
दर्द प्रायः रोज ही रहता है। ऐसे लोगों
को दर्द से बचाव की दवाएं ही लाभ दे
सकती हैं।
दर्द निवारक दवाओं के लगातार
इस्तेमाल से भी दर्द हो जाया करता
है। इसे रिबाउंड हेडेक कहा जाता है।
यह दर्द सुबह उठते ही होता है और
पूरे दिन रहता है। ऐसे में लगातार
खाई जा रही दर्द निवारक दवाएं खाना
बंद करने पर ही आराम होता है।
कुछ लोगों को सिर दर्द खांसी करने
या लगातार खांसते रहने से भी हो
जाता है। ऐसे में साधारण दवाएं
आइबूप्रोफेन और पैरासिटामोल पूरा
आराम दे देती हैं।
याद रखें, सिर दर्द अगर अचानक ही
बहुत तेज होने लगे और अन्य लक्षण
जैसे बुखार, गर्दन का अकड़ जाना,
शरीर पर दाने निकल आना बेसुध या
बेहोश होना, मिर्गी का दौरा पड़ना
आदि दिखाई पड़ें या फिर एकदम से
कमजोरी महसूस होने लगे, बोलने में
दिक्कत हो, हाथ-पैर सुन्न पड़ जाएं,
दर्द सिर में चोट लगने पर, गिरने या
किसी के धक्का मारने के बाद हो और
आराम करने तथा दवा खाने से भी
आराम न मिले, तब घर पर बैठकर
इलाज न करें, तुरंत किसी अच्छे
चिकित्सक से परामर्श लें।
वातारण में भी कई कारण होते हैं, जो
सिर दर्द उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं। अप्राकृतिक पेय
पदार्थ तथा चाइनिज साॅस आदि के
सेवन से भी माइग्रेन होने की संभावना
रहती है। पनीर, समुद्री मछलियां और
अन्य जीव, मांसाहारी भोजन, चाकलेट,
अचार, खमीर युक्त भोजन, मूंगफली
से बना मक्खन, डबलरोटी, सोयाबीन
साॅस, पिज्जा, चिकन, हाट डाॅग, शराब
आदि का सेवन भी इस दर्द का कारण
है।
इलाज के कुछ खास उपाय
बायोफीडबैक: इस प्रक्रिया द्वारा
रोगी को सिर दर्द के दौरान होने वाले
मानसिक तनाव, मांसपेशी में तनाव
हृदय गति तथा सांस गति आदि के
बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाती
है। धीरे-धीरे पूरे शरीर को तनावमुक्त
करने का नियमित प्रयास किया जाता
है। रोगी के सिरदर्द, फिर तनाव और
तनाव से फिर सिरदर्द का चक्र टूट
जाता है और धीरे-धीरे रोगी अपने रोग
पर काबू करने का तरीका सीख लेता
है।
यह तरीका तनाव, माइग्रेन तथा क्लस्टर
हेडेक सभी को काबू करने या उनसे
बचने में सहायक है।
इस तरीके में इलेक्ट्रोमायोग्राफ नामक
मशीन द्वारा मांसपेशी तनाव को मापा
जाता है, खासकर माथे की मांसपेशी
के तनाव को। क्योंकि यही मांसपेशी
तनाव तनावजन्य दर्द का मुख्य कारण
है।
तापमान ट्रेनर: इस उपकरण द्वारा
तापमान मापा जाता है और जब मनुष्य
तनाव में होता है तो उसका तापमान
कम हो जाता है। इसी से पता चल
जाता है कि व्यक्ति को तनाव शुरू हो
गया है। ऐसे में उसे तनाव रहित रहने
का उपाय शुरू कर देना चाहिए।
हृदय गति मापक यंत्र- इसे कान
या उंगली पर लगा दिया जाता है।
इस यंत्र द्वारा हृदय गति कितनी है
आसानी से चल जाता है। जब हम
तनाव में होते हैं, तो हृदय गति बढ़
जाती है और फिर हम उसे कम करके
सिर दर्द से बच सकते हैं।
ऐक्यूपंक्चर ;।बनचनदबजनतमद्धः इस
क्रिया में ऊर्जा ले जाने वाली 14 बड़ी
मेरीडियन पर स्थित 12000 एक्यू के
स्थानों पर महीन सुइयों को चुभोया
जाता है। चीन में इसे आदिकाल से
प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल किया
जाता है।
चीनियों के अनुसार, ऊर्जा के असंतुलन
से ‘ची’ विस्थापित हो जाती है और दर्द
का कारण बनती है। एक्यूपंक्चर इस
ऊर्जा के असंतुलन को सामान्य करता
है।
एक्यूपंक्चर द्वारा सुइयां चुभोने से
ऐन्डोरफिन नामक रसायन का शरीर में
संचार होता है। एन्डोरफिन, मोरफीन
नामक दवा से मिलता जुलता है। यह
रसायन दर्द के संदेशों को दिमाग तक
नहीं पहुंचने देता।
मालिश: यह अच्छा और कारगर
तरीका है तनावजन्य दर्द ठीक करने
का, खासकर जब गर्दन के पीछे की
मांसपेशी में दर्द हो।
गंधयुक्त तेल: कुछ तेल ऐसे होते हैं
जिनकी गंध ही सिरदर्द को दूर कर
देती है जैसे लेवेन्डर, जिन्जर, पिपरमिंट
और विन्टरग्रीन तेल। इन तेलों को
सूंघने या फिर गर्दन या कनपटी एवं
माथे पर लगाने से तनाव के उपरांत
होने वाले सिर दर्द में आराम मिलता
है।
अगर वातावरण ही तनाव एवं दर्द का
कारण हो, तो उससे से दूर चले जाना
चाहिए या फिर हो सके तो उस वातावरण
को प्रदूषित कर रहे तत्वों में सुधार
करना चाहिए।
योग आजकल बहुत प्रचलित है।
अधिकांश रोगों में योगासन, प्राणायाम
आदि बहुत लाभदायक होते हैं। सिरदर्द,
जो मुख्यतः तनाव के कारण होता है,
से बचाव के लिए रोगी को एक क्रिया
प्रातः और शाम को सूर्य की ओर मुंह
करके करनी होती है।
इस क्रिया में आंखें बंद करके सिर्फ
माथे पर बल डालना है। यह क्रिया
दिन में दो बार करनी चाहिए और हर
बार सौ बल डालना चाहिए। इसे करने
से रोगी को 50 प्रतिशत तक आराम
पहले ही सप्ताह में बिना कोई दवा
खाए मिलेगा।
कुछ लोगों को नीचे दिए गए खाद्य एवं
पेय पदार्थों में से एक या अनेक के
खाने पीने से भी सिर दर्द उत्पन्न या
ज्यादा हो सकता है।
मशरूम;डनेीतववउद्ध, प्याज, अचार,
चाकलेट, चाकलेट दूध, खट्टे फल, कोको,
मदिरा, अप्राकृतिक पेय जैसे कोक,
पेप्सी, चाय, काॅफी, पिज्जा, पनीर,
खासकर स्विस, चेद्दर या फिर मोजेरैला।
पनीर में टायरामीन नामक रसायन के
रहने से सिर दर्द उत्पन्न तथा ज्यादा
होता है।
भोजन को सुरक्षित करने के लिए
इस्तेमाल किया गया रसायन
मोनोसोडियम ग्लुटामेट ;डैळद्ध से बहुत
सारे लोगों को सिरदर्द हो जाता है।
इसका इस्तेमाल डिब्बा बंद खाद्य
पदार्थों, सोयाबीन साॅस, मेवा आदि को
सुरक्षित करने हेतु किया जाता है।
इन सब पदार्थों के अतिरिक्त कुछ
लोगों को गेहूं, सीताफल के बीज, तिल
या फिर मूंगफली या मूंगफली से बने
मक्खन आदि से भी सिर दर्द हो जाता
है।
दर्द के कारण जीवन से ऊब चुके
लोगों के लिए कुछ सुझाव:
Û प्रतिदिन किसी सुशिक्षित योग गुरु
से शिक्षा लेकर योगाभ्यास करें।
Û माथे को सिकोड़ने वाली ऊपर बताई
गई कसरत सौ-सौ बार सुबह और
शाम करें।
Û दिन में 8 से 10 ग्लास या इससे
अधिक पानी अवश्य पीएं।
Û आहार में धीरे-धीरे पकाये हुए भोजन
को कम करके अंततः पूर्णतः कच्चे
भोजन, फलों मेवों एवं बकरी के दूध
का यथासंभव सेवन कर सकें और
हमेशा खुश रहें तो संभव है कि
सिरदर्द से बहुत हद तक छुटकारा
मिल जाएगा।