मंगल के विधायक हैं श्री गणपति

प्रत्येक मन्त्र के प्रारम्भ में ओंकार का उच्चारण अनिवार्य माना गया है, उसी प्रकार प्रत्येक शुभ कार्य पर गणेश जी की अग्रपूजा भी अनिवार्य है। शब्द-ब्रह्म रूप ‘ऊँ’ के द्वारा गणेश जी की ही प्रतिकृति साकार होती है। ‘ऊँ’ के प्रथम भाग ... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रत

सितम्बर 2016

व्यूस: 6817

अशून्य शयन व्रत

अशून्य शयन व्रत

ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’

भविष्य पुराण में अशून्य शयन व्रत की मीमांशा की गई है। इस व्रत का अनुष्ठान श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि से प्रारंभ होता है। इस व्रत को करने से स्त्री वैधव्य तथा पुरुष विधुर होने के पाप से मुक्त हो जाता है।... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रत

जुलाई 2006

व्यूस: 6377

महाशक्ति दायिनी मां दुर्गा पूजा का ज्योतिषीय योग

शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा जो आद्य शक्ति हैं एवं शक्ति की ऊर्जा बिना सभी प्राणी निर्जीव है, की पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के नवग्रहों का संबध नवदुर्गा से है। ़नवग्रह शिवरूप है और शिव में इकार स्वरूप नवशक्ति ... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रत

अकतूबर 2016

व्यूस: 7539

जीवत्पुत्रिका व्रत

जीवत्पुत्रिका व्रत

ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र के आयुष्य, आरोग्य लाभ तथा सर्वविध कल्याणार्थ जीवत्पुत्रिका (जितिया) या जीमूतवाहन व्रत का विधान है। प्रायः स्त्रियां इस व्रत को करती हैं। यह व्रत प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि को... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रत

सितम्बर 2006

व्यूस: 6132

पवित्र पर्व: कार्तिक पूर्णिमा

‘‘प्रणम्य पार्वती पुत्रं भारती भास्करं भवम्। बैकुण्ठवासिनं विष्णु सानन्दं सकलान् सुरान्।। स जपति सिन्धुरवदनो देवो यत्पादपंकजस्मरणम्। वासर मणि रवि तमसां शाशीन्नाशयति विघ्नानाम्।।’’ सृजनात्मक समभाव, कृतज्ञात ज्ञापन व सक्रियता क... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

नवेम्बर 2006

व्यूस: 5149

गीता सार

गीता सार

कृष्णा कपूर

शरीरं यदवाप्नोति यच्चाप्युत्क्रामतीश्ररः गृहीत्वैतानि संयाति वायूर्गन्धानिवाशयात् कुरूक्षेत्र में युद्ध के दौरान जब-कौरव व पांडव आमने-सामने खड़े थे तो अपने दादा, गुरु, भाई-बंधु, सगे-संबंधियों को देखकर अर्जुन को मोह हो गया और ... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

अप्रैल 2016

व्यूस: 6996

स्नेह, सद्भावना एवं कर्तव्य का सूत्र: रक्षा बंधन

रक्षा सूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त 2006 को प्रातः 6 बज कर 3 मिनट से लेकर पूरे दिन तक है। 6 बज कर 3 मिनट से पहले रक्षा न बांधे, क्योंकि उस समय भद्रा है। भारतीय संस्कृति इतनी विशाल एवं लचीली है कि इसमें हर संस्कृति समाह... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

आगस्त 2006

व्यूस: 5749

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत

मासि भाद्रपदेऽष्टम्यां निशीथे कृष्णपक्षके, शशांके वृषराशिस्थे ऋक्षे रोहिणी संज्ञके।। योगेऽस्मिन्वसुदेवाद्धि देवकी मामजीजनत् केवलोपवासेन तास्मिन्जन्मदिने मम सप्तजन्मकृतात्पापान्मुच्यते नात्र संशयः।।... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

आगस्त 2006

व्यूस: 5560

देवशयनी एकादशी व्रत

देवशयनी एकादशी व्रत

फ्यूचर पाॅइन्ट

शयनी या देवशयनी एकादशी व्रत आषाढ़ शुक्लपक्ष एकादशी को किया जाता है। यह एकादशी महान पुण्यदायी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली एवं संपूर्ण पापों का हरण करने वाली है। एक समय नंद नंदन मुरली मनोहर भगवान श्रीकृष्ण से धर्मराज युध... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

जुलाई 2016

व्यूस: 6476

रक्षा बंधन (18 अगस्त 2016)

राष्ट्रीय संघटना की दृष्टि से यदि देखा जाय, तो रक्षा बंधन भारत का सबसे प्रमुख पर्व है। इसमें यह मूलभूत भावना छिपी है कि सम्पूर्ण समाज को जो भारत में नर और नारी तथा प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक वर्ग को मिला कर बनाता है एक दूसरे... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

आगस्त 2016

व्यूस: 6725

कृष्ण जन्माष्टमी (24-8-2016)

कृष्ण जन्माष्टमी (24-8-2016)

फ्यूचर पाॅइन्ट

कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के भगवद् गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

आगस्त 2016

व्यूस: 6901

गीता सार

गीता सार

कृष्णा कपूर

ममैंवाशो जीव लोके, जीव भूतः सनातनः मनः षष्टानि इन्द्रियानी, प्रकृति स्थानि कर्षिति अर्थात् तीन लोकों व चैदह भुवनों में विभिन्न योनियों में यह जीव शरीर धारण करता रहता है। इसलिये इसे जीव लोक कहा गया है। भगवान श्री कृष्ण कहते... और पढ़ें

देवी और देवपर्व/व्रतअध्यात्म, धर्म आदि

मार्च 2016

व्यूस: 7821

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