शुक्र रत्न हीरा भगवान सहाय श्रीवास्तवकठोरता में हीरे के मुकाबले कोई खनिज या रत्न नहीं टिकता है वरन् ऐसे गुण विद्यमान होते हैं जो इसे ज्योतिष में महत्वपूर्ण बना देते हैं। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि सर्वश्रेष्ठ हीरा वह है जो विशेष प्रकार की दमकयुक्त हो। अगर जात... moreज्योतिषउपायरत्नग्रहजुलाई 2016Views: 5474
संतान बाधा निवारण के ज्योतिषीय उपाय फ्यूचर पाॅइन्ट1.यदि पंचम भाव, पंचमेश और संतानकारक गुरु राहु के द्वारा (युति या दृष्टि) पीड़ित हों सर्प श्राप से संतान बाधा आती है। उपाय जप: ऊँ रां राहवे नमः या ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः 18000 बार जप शनिवार को करें।... moreज्योतिषउपायज्योतिषीय विश्लेषणबाल-बच्चेमई 2006Views: 5059
वैवाहिक समस्याओं के समाधान में ज्योतिष शास्त्र का अनुप्रयोग प्रियंका जैनज्योतिषशास्त्र के सहस्राधिक ग्रन्थों में विवाह तथा उससे जुड़ी हुई समस्याओं पर शताब्दियों से चर्चा होती रही है। वैवाहिक समस्याओं के लिए उत्तरदायी ग्रहयोगों के विषय में दैवज्ञों के साथ-साथ सामान्य मनुष्यों तक को प्रमुख आधारभूत ... moreज्योतिषउपायमंत्रविवाहभविष्यवाणी तकनीकनवेम्बर 2016Views: 6372
रत्न-रुद्राक्ष कवच रमेश शास्त्रीवर्तमान समय में मनुष्य के जीवन में इतनी अधिक व्यस्तता बढ़ गई है कि प्रत्येक व्यक्ति के पास प्रतिदिन पूजा पाठ के लिए अतिरिक्त समय निकालना कठिन सा हो रहा है। आज विज्ञान जितनी भौतिक उन्नति कर रहा है, दूसरी ओर उतने ही अनुपात मे... moreज्योतिषउपायरत्नभविष्यवाणी तकनीकरूद्राक्षनवेम्बर 2006Views: 5231
आध्यात्मिक उपायों द्वारा संतान प्राप्ति एवं सुख रमेश शास्त्रीभारतीय संस्कृति एवं सभ्यता में वैसे तो सभी सोलह संस्कारों का अपना-अपना महत्व है लेकिन विवाह संस्कार का संपूर्ण संस्कारों में विशिष्ट स्थान है। भारतीय सभ्यता में विवाह संस्कार का संतानोत्पत्ति से ही अधिक तात्पर्य है।... moreज्योतिषउपायबाल-बच्चेसुखभविष्यवाणी तकनीकरूद्राक्षमई 2006Views: 4948
हस्ताक्षर -जीवन साथी का चयन डॉ. अरुण बंसलहस्ताक्षर या लिखावट से हमारा सीधा सम्बन्ध मानसिक विचारों से होता हैं। यानि,हम जो सोचते है,करते है जो व्यवहार में लाते हैं। वह सब अवचेतन रूप में कागज़ पर अपनी लिखावट व् हस्ताक्षर के द्वारा प्रदर्शित कर देते हैं।... moreज्योतिषजून 2012Views: 12534
मंगल दोष एवं उपाय डॉ. अरुण बंसलमगल यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव में हो, तो कुंडली मंगलीक होती है। मांगलिक दोष होने पर प्रायः जातक को निम्नांकित समस्याओं का सामना करना पड़ता है:- - विवाह के समय विघ्न आते हैं।... moreज्योतिषउपायजुलाई 2015Views: 11632
विभिन्न लग्नों के लिए रत्न / रूद्राक्ष चयन डॉ. अरुण बंसलप्रत्येक लग्न के लिए एक ग्रह ऐसा होता है जो योगकारक होने के कारण शुभ फलदाई होता है। यदि ऐसा ग्रह कुण्डली में बलवान अर्थात् उच्चराषिस्थ, स्वराषि का या वर्गोत्तमी होकर केन्द्र या त्रिकोण भाव में शुभ ग्रह के प्रभाव में स्थित हो व इस ... moreज्योतिषउपायरत्नरूद्राक्षराशिमई 2014Views: 22395
रत्न एवं स्वास्थ्य डॉ. अरुण बंसलऔषधि मणि मंत्राणां-ग्रह नक्षत्र तारिका। भाग्य काले भवेत्सिद्धिः अभाग्यं निष्फलं भवेत्।। अर्थात- औषधि, रत्न एवं मंत्र ग्रह जनित रोगों को दूर करते हैं। यदि समय सही है तो इनसे उपयुक्त फल प्राप्त होते हैं। लेकिन विपरीत समय में ये भ... moreज्योतिषस्वास्थ्यरत्नमंत्रभविष्यवाणी तकनीकराशिजुलाई 2016Views: 7145
अष्टम भावस्थ शनि और मृत्यु एम. के रस्तोगीअष्टम भाव रहस्यमय है और इसके कुछ कारकत्व भी रहस्य से जुड़े हैं। शनि तो रहस्यमय है ही। अष्टम भाव का कारक भी शनि ही है। अष्टम भाव में ही 22वां द्रेष्काण होता है। शनि यदि अष्टम भावस्थ हो तो उसकी दृष्टियां दशम, द्वितीय व पंचम भावों प... moreज्योतिषज्योतिषीय योगघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2005Views: 24966
रत्न जिज्ञासा समाधान डॉ. अरुण बंसलमुख्य रत्न नौ ही क्यों है जबकि अनेक प्रकार के और रत्न भी उपलब्ध है? ब्रहमांड में नौ ग्रह जिनका महत्वपूर्ण प्रभाव जातक पर पडता है। इन ग्रहों से निकली रश्मियों को एकत्रित करने की क्षमता नवरत्नों में पाई जाती है, अत: ये रत्न ही प्रमु... moreज्योतिषरत्नअकतूबर 2007Views: 15873
रत्न क्यों, कब, कैसे और कौनसा पहनें आभा बंसलरत्नों की उत्पति समुद्र मंथन से जुडी हुई है. रत्नों की महता ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के उपचार के लिए विशेष रूप मने कहीं गयी है. रत्न कैसे काम करते है. क्या कोई उपरत्न या शीशे का रंगीन टुकड़ा रत्न का काम नहीं कर सकता... moreज्योतिषउपायरत्नरूद्राक्षसितम्बर 2004Views: 4565