कैसे करें पुखराज रत्न की पहचान पुरु अग्रवालइस अंक में हम आपको पुखराज के बारे में कुछ खास बातों से अवगत कराएंगे। पुखराज, जिसे अंग्रेजी में YELLOW SAPPHIRE CORUNDUM कहते हैं देखने में हल्के पीले या गहरे पीले रंग का होता है। यह चमकीला और पारदर्शी होता है। यह सफेद रंग क... moreज्योतिषरत्नअप्रैल 2015Views: 7963
उतम मुहूर्त से उच्च चरित्र का निर्माण शरद त्रिपाठीहमारे लिए यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण में हम अपनी मूल संस्कृति से इतने दूर जा रहे हैं कि हमारे समाज में पति-पत्नी जैसे पवित्र संबंधं का भी महत्व नहीं रह गया है। प्रिंट मीडिया के कई सर्वेक्षणों से यह ब... moreज्योतिषउपायअध्यात्म, धर्म आदिमुहूर्तजनवरी 2007Views: 9259
फलित ज्योतिष में प्रश्न कुंडली का योगदान पी पी एस राणाप्रश्न शास्त्र में प्रश्नकत्र्ता की जिज्ञासा, उत्सुक्ता, उत्कंठा, इच्छा, शंका, चिंता आदि प्रश्नों का समाधान जन्मपत्री की लंबी चैड़ी गणितीय प्रक्रिया के बिना किया जाता है।... moreज्योतिषप्रश्न कुंडलीकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकनवेम्बर 2010Views: 8640
वर्तमान परिपे्रक्ष्य में कुंडली मिलान संजय बुद्धिराजाप्रत्येक समाज में विवाह के रीति रिवाज समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति में धर्मगुरूओं द्वारा संपादित किये जाते रहे हैं, इसलिये यह कार्य, अलिखित होते हुये भी, स्थायी माने जाते रहे हैं। लेकिन शायद अब, आज के समय में, उसकी आव... moreज्योतिषभवनमार्च 2014Views: 9096
लियो गोल्ड (गृह संस्करण) विनय गर्गज्योतिष के क्षेत्र में अग्रणी संस्था फ्यूचर पाॅइंट ने ज्योतिष का कंप्यूटरीकरण करने में लगभग 20 वर्ष का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संस्था द्वारा विकसित प्रोग्रामों में लियो-1, लियो 99 तथा लियो गोल्ड से कोई भी ज्योतिषी शायद ही अन... moreज्योतिषअप्रैल 2004Views: 8770
क्यों? डॉ. अरुण बंसलअनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह प्र... moreज्योतिषअध्यात्म, धर्म आदिविविधजुलाई 2013Views: 8593
पितृ दोष: समस्या और समाधान फ्यूचर पाॅइन्टजन्मपत्री का नवम भाव भाग्य भाव कहलाता है। इसके अतिरिक्त इस भाव से पिता और पूर्वजों का विचार भी किया जाता है। धर्म शास्त्रों में यह मान्यता है कि पूर्व जन्म के पापों के कारण पितृ दोष का निर्माण होता है। व्यक्ति का जीवन सुख-द... moreज्योतिषदेवी और देवउपायअध्यात्म, धर्म आदिभविष्यवाणी तकनीकसितम्बर 2016Views: 9029
पर्व-त्योहारों की तारीखों में मतांतर क्यों? फ्यूचर पाॅइन्टभारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की गरिमा के प्रतीक पर्व-त्यौहारों के संबंध में कई बार मतांतर हो जाने से पर्व-त्यौहारों की तिथियों एवं तारीखों के बारे में भ्रांतियां उत्पन्न हो जाती हैं। फलस्वरूप, धर्म परायण लोगों के मन में कई प्रकार की... moreज्योतिषपर्व/व्रतआकाशीय गणितजनवरी 2004Views: 8649
संवत 2069 - महिलाओं के नाम ही क्यों विनय गर्गआज के समय में यदि देखे तो अधिकार और सुरक्षा की बात महिलाओं की ही हो रही है, चाहे वह बसों में अधिक सीटें सुरक्षित करने की हो या महिलाओं के लिए अलग से महिला बैंक बनाने की बात हो।... moreज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2013Views: 8814
मंगल दोष,परिहार और ग्रहों की भूमिका राजीव रंजनभारतीय ज्योतिषशास्त्र ने वैदिक काल से ही कष्ट, दुःख और सन्ताप से पीड़ित मानवता को आधार और सम्बल प्रदान किया है। जब प्रत्यक्ष, अनुमान आदि के आश्रय से भी समस्याओं का समाधान नहीं मिल पाता था तो ज्योतिष शास्त्र अपने प्रभाव से मानव मा... moreज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2015Views: 10948
मकर संक्रांति हमेशा 14 जनवरी को शरद त्रिपाठीसूर्य के दो अयन होते हैं। उत्तरायण और दक्षिणायन। उत्तरायण काल में सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है और कर्क से धनु तक के भ्रमण समय को दक्षिणायन भ्रमण काल माना जाता है। हमारी हिंदू सभ्यता संस्कृति में उत्तरायण सूर्य को ... moreज्योतिषग्रहणपर्व/व्रतपंचांगजनवरी 2008Views: 8897