ज्योतिष


शनि एवं अध्यात्म

शनि एवं अध्यात्म

एस. बी. आर मिश्र

नीलांजनम् समाभासं रविपुत्र यमाग्रज। छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। नमस्कार मंत्र के साथ शनि ग्रह के संबंध में विचार करते हैं। सूर्य से छठा और सौरमंडल का बाह्य ग्रह शनि सूर्य से 143 करोड़ कि.मी. तथा पृथ्वी से 15 करोड़ कि... more

ज्योतिषअध्यात्म, धर्म आदि

पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में किसका खुलेगा भाग्य, किसका जाएगा ताज, किसको आएगी लाज

निर्वाचन आयोग पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित कर चुका है। प्रत्येक राज्य में विभिन्न चरणों में मतदान होंगे। इन पांच राज्यों में से उŸार प्रदेश और उŸाराखंड का चुनावी परिदृश्य क्या होगा?... more

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीक

शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव

प्रत्येक जातक को अपने जीवन में दो या तीन बार शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का सामना करना ही पड़ता है। जिन जातकों की दीर्घायु होती है उनके जीवन में कुल तीन साढ़ेसाती आती है क्योंकि 30 वर्षों के पश्चात ही शनि वापस राशि में आता है। यह आव... more

ज्योतिषउपायग्रहभविष्यवाणी तकनीक

गत्यात्मक दशा पद्धति: एक परिचय

प्राचीन ज्योतिष के गं्रथों में वर्णित ग्रहों की अवस्था के अनुसार मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों की गति के सापेक्ष उनकी शक्ति के प्रभाव के 12-12 वर्षों का विभाजन ‘गत्यात्मक दशा पद्धति’ कहलाता है। यह सिद्धांत, परंपरागत ज्योतिष प... more

ज्योतिषमेदनीय ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीक

तृतीय प्रकृति एवं ज्योतिष ग्रह योग

न केवल भारतीय सनातन परम्परा में बल्कि शिव की अन्य संस्कृतियों में भी ‘आदि-मिथुन’ की कल्पना की गई है। चाहे वह पाश्चात्य संस्कृति में उपलब्ध एडम और ईव हों अथवा स्वयम्भुवन् मनु और सद्रूपा। मानव जाति को स्त्री-पुरुष द्वन्द्वात्मक स्... more

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीक

दर्द का रिश्ता

संसार में जब बच्चा जन्म लेता है तो अपने माता-पिता से खून का शाश्वत रिश्ता लेकर आता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है नये रिश्ते जुड़ते जाते हैं कभी दोस्ती का रिश्ता तो कभी प्यार का ।... more

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकगोचर

ग्रह स्थिति एवं व्यापार

मासारंभ में गुरु का पुनर्वसु नक्षत्र और उच्चस्थ राशि कर्क में स्थित होकर उच्चस्थ शनि द्वारा दृष्टित होना और बुध व शनि का वक्री गति में होना प्राकृतिक प्रकोपों, भयंकर बाढ़ इत्यादि से जन-धन की भारी हानि का संकेत देता है। ... more

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणभविष्यवाणी तकनीकगोचर

एक सही तिथिपत्रक का गणितीय आधार

हिंदू संस्कृति में पंचांग का अपना विशेष महत्व है। जीवन के विभिन्न संस्कारों, यात्राओं, किसी कार्य के आरंभ आदि में पंचांग की सहायता ली जाती है। उद्देश्य केवल एक होता है... more

ज्योतिषखगोल-विज्ञानपर्व/व्रतआकाशीय गणितनक्षत्रपंचांगग्रहगोचर

मंगलीक एवं गैर मंगलीक कुंडलियों का उदाहरण सहित तुलनात्मक अध्ययन

ज्योतिषीय दृष्टि से जन्मांग का सप्तम, द्वितीय, द्वादश (पुरुषों के मामलें में) और अष्टम (स्त्रियों के मामले में) भाव, सप्तमेश, द्वितीयेश, द्वादशेश और अष्टमेश तथा वैवाहिक सुख प्रदाता शुक्र वैवाहिक सुख, गृहस्थ सुख से संबंधित भा... more

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याग्रहभविष्यवाणी तकनीक

कस्पल पद्धति

कस्पल पद्धति

आर.एस. चानी

कस्पल इंटर लिंक प्रणाली, के. पी सिस्टम से कैसे भिन्न है ? कृष्णमूर्ति जी ने वैदिक ज्योतिष से थोड़ा इतर एक अलग पद्धति का सृजन किया जिसका नाम इन्होंने केपी. ज्योतिष पद्धति दिया। कृष्णमूर्ति जी ने एक नक्षत्र जिसकी अवधि 130 -20... more

ज्योतिषविविध

शनि देव एक परिचय

शनि देव एक परिचय

फ्यूचर पाॅइन्ट

इस संसार में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो शनि के प्रभाव से अछूता हो। शनिदेव का नाम सुनते ही जनता में भय उत्पन्न हो जाता है। शनि ग्रह उतने अशुभ नहीं जितना इन्हें समझा जाता है। व्यक्ति को अध्यात्म और मोक्ष दिलाने वाले केवल शनि ग... more

ज्योतिषदेवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिग्रह

जून 2016

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