उत्तर भारत में पंचांग निर्माण के स्थल ब्रजमोहन निरालाइस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अं... moreज्योतिषपंचांगअप्रैल 2010Views: 17470
नक्षत्रों का ज्योतिषीय विवरण सुल्तान फैज ‘टिपू’वैदिक काल में वार के स्थान पर नक्षत्र दिवस के प्रयोग की परम्परा नक्षत्र ज्ञान की प्राचीनता का साक्षात उदाहरण हैं। शास्त्रों से विदित होता हैं। उस काल में वर्तमान व् भविष्य के दिशा निर्देशन या फलादेश में राशियों की जगह नक्षत्रों या... moreज्योतिषमुहूर्तनक्षत्रराशिफ़रवरी 2013Views: 16256
कैसे करें लहसुनिया रत्न की पहचान पुरु अग्रवाललहसुनिया विभिन्न रंगों में पाया जाता है- हरा, हल्का हरा, पीला तथा भूरा। यह अत्यंत कठोर एवं टिकाऊ रत्न है इसलिए इसका आभूषणों में भी उपयोग किया जाता है। यदि लहसुनिया को कैबोकाॅन के रूप में काटा जाए तो इसके ऊपर पड़ने वाला प्रका... moreज्योतिषरत्नफ़रवरी 2006Views: 20989
मंगलकारी मंगल ग्रह फ्यूचर पाॅइन्टमंगल की ग्रीष्म ऋतु मानी गयी है। पुराणों के मतानुसार मंगल देवताओं के सेनापति थे। इन्होंने तारकासुर का वध किया था। ऋषि श्री पराशर के मतानुसार मंगल के वस्त्र लाल रंग के, श्री कल्याण वर्मा के अनुसार मंगल के वस्त्र मोटे और बहुत ... moreज्योतिषग्रहअप्रैल 2015Views: 15769
वैश्विक परिदृश्य 2013 इन्द्रदीप बनर्जीप्राचीन भारत का लग्न मकर माना जाता रहा हैं। किन्तु अधिकाँश ज्योतिषी भारत की स्वतंत्रता को आधार मानकर वृष लग्न को भारत का लग्न मानते हैं।... moreज्योतिषमेदनीय ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2013Views: 12318
राहु-केतु की परम अशुभ फलदाई स्थिति सीताराम सिंहराहु-केतु का बिंदु मात्र अस्तित्व होने पर भी इनके मानव जीवन पर पड़ने वाले अशुभ प्रभाव के कारण हमारे परम ज्ञानी व दिव्यदृष्टि ऋषियों ने उन्हें छाया ग्रह की संज्ञा दी है, और पापी ग्रहों की श्रेणी में शनि व मंगल के साथ रखा है। इनक... moreज्योतिषकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2014Views: 17503
लग्नानुसार कालसर्प योग का फलादेश महेश चंद्र भट्टकालसर्प योग प्रत्येक लग्न में अलग-अलग प्रकार का फल देता है। विभिन्न लग्नों में काल सर्प योग होने पर किस प्रकार के फल मिलते हैं उसका विवेचन लग्नानुसार इस लेख में दिया गया है।... moreज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकमई 2011Views: 18313
तलाक एवं पुनर्विवाह: एक विश्लेषण अखिलेश शुक्लाज्योतिषशास्त्र में बृहस्पति एवं शुक्र को श्रेष्ठ शुभ फलदायक माना गया है। मानसागरी ग्रंथ के अनुसार बृहस्पति या शुक्र केंद्र या त्रिकोण में हो, तो सभी अरिष्टों का नाश हो जाता है। दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने में भी बृहस्पति एवं शु... moreज्योतिषज्योतिषीय योगविवाहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2007Views: 15889
मुहूर्त का महत्व शुभेष शर्मनमानव जीवन में जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त मुहूर्तो का विशेष महत्व है, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की कामना में मुहूर्त प्रकरण चलता रहता है और मुहूर्त के द्वारा शुभारंभ सर्वथा शुभता तथा सफलता प्रदान करता है।... moreज्योतिषमुहूर्तभविष्यवाणी तकनीकजून 2011Views: 18724
शनि के बारे में आप क्या जानते है ? फ्यूचर पाॅइन्टफ्यूचर पॉइंट के सौजन्य से शनि जीवन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है। इस आलेख में शनि की विभिन्न स्थितियों के फल का निरूपण किया गया है। शनि का अन्य ग्रहों के साथ साहचर्य, भावों और राशियों के साथ-साथ सभी लग्नों पर इसके प्रभाव के अतिर... moreज्योतिषकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2009Views: 16125
राजनीतिज्ञ बनने के ज्योतिषीय कारण ओम प्रकाश दार्शनिक‘‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’’ अर्थात देश काल व परिस्थितियों से जन्म लेते हैं- जनप्रिय राजनीतिज्ञ राजनेता। यही कारण हैं राजनीतिज्ञ बनने के। प्रजातांत्रिक समाज में लोगों की आम समस्याओं एवं उनके समाधान तथा जनहित के विकास कार्यों... moreज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहअप्रैल 2014Views: 17893
शरीर पर तिल होने का फल अंजली गिरधरप्रायः शरीर के अलग-अलग अंगों पर तिल के फल भी अलग-अलग होते हैं। पुरुष के शरीर पर दाहिनी ओर तिल होना शुभ एवं लाभकारी माना गया है जबकि महिलाओं के बायीं तरफ वाले तिल शुभ एवं लाभकारी माने जाते हैं। यदि किसी के हृदय पर तिल हो तो... moreज्योतिषमुखाकृति विज्ञानभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2016Views: 16982