जीवन के दु:खों के कारणों की जिज्ञासा व्यक्ति को ज्योतिष की ओर खींच लाती हैं। यही जिज्ञासा व्यक्ति को ज्योतिष में बहुत कुछ सिखाती हैं और जिसका लाभ व्यक्ति को स्वयं को तो मिलता ही है साथ ही इसके द्वारा व्यक्ति अन्यों का भी कल्याण करता हैं। किसी घटना के घटित होने का समय क्या होगा? इसके लिए कुंडली के ग्रह योग देखे जाते है। भारतीय ज्योतिष की गणना बहुत गहरी और बारिक हैं। स्वयं को ज्योतिष से जोड़ने मात्र से आप विशेष हो जाते हैं। लग्न कुंडली के बाद, नवमांश कुंडली महत्वपूर्ण होती है। इसके बाद दशा और गोचर देखा जाता हैं। गोचर में बदलाव के साथ ही सोच अर्थात परिस्थितियों में बदलाव होता हैं। भचक्र में ग्रह स्थिति में परिवर्तन होने पर हमारे जीवन की घटनाएं स्वत: बदलने लगती हैं। यह बदलाव हमारी सोच की दिशा भी निर्धारित करता है। ज्योतिष सीखने के लिए तत्पर है तो सर्वप्रथम प्रात: पूजन के बाद पंचांग देखने की आदत ड़ालें। प्रतिदिन पंचांग की जानकारी होना भी ज्योतिष को गहराई से समझने में सहयोग करेगा। शुद्ध फलादेश करने के लिए गोचर की सूक्ष्म जानकारी आवश्यक हैं। गोचर हमें दीर्घकाल के फलादेश करने में भी सहयोग करता हैं। दशाओं से स्थूल घटनाओं को जाना जा सकता हैं। परन्तु इन घटनाओं का सही क्रम और समय जानने के लिए गोचर और नक्षत्रों पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए। फलादेश करते समय ग्रह जिसकी राशि में स्थित हो उसके स्वामी के गुणों का भी ध्यान रखना चाहिए। नक्षत्रों पर बारीकी से समय देकर फलादेश में शुद्धता का स्तर बढ़ा सकते है। ज्योतिष का एक बहुत बड़ा उपयोग बच्चों के पालन पोषण में किया जा सकता हैं। आज के समय में श्रेष्ठ पालन पोषण कैसे किया जाए इसके लिए बच्चों को समझने के स्थान पर माता-पिता के स्वभाव को समझना होगा। ज्योतिष में इसमें बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं। हम लोग आज अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हें। अच्छे संस्कर नहीं दे पा रहे हें। अच्छा पालन पोषण नहीं दे पा रहे हैं। इसका कारण है कि हम आज बच्चों के मन को नहीं समझ पा रहे हैं। बच्चों के मन को समझने के लिए हम ज्योतिष का सहयोग ले सकते हैं।
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